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टेलिकॉम कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटर्स को दी GST नेटवर्क से जुड़ने की डेडलाइन

देश की बड़ी टेलीकॉम कंपनियों ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के तहत सभी बकाया रजिस्ट्रेशन इस ...

इकनॉमिक टाइम्स 11 Jul 2017, 9:07 am
कल्याण पर्बत, कोलकाता
नवभारतटाइम्स.कॉम GST
सांकेतिक तस्वीर।

देश की बड़ी टेलिकॉम कंपनियों ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स से गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) के तहत सभी बकाया रजिस्ट्रेशन इस सप्ताह पूरे करने के लिए कहा है। डिस्ट्रीब्यूटर्स को चेतावनी दी गई है कि ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, कानूनी झंझट खड़े हो सकते हैं और प्रीपेड सर्विसेज बिजनस पर असर पड़ सकता है। टेलिकॉम कंपनियों का कहना है कि इससे जुलाई-सितंबर क्वॉर्टर में रेवेन्यू का भी नुकसान होने की आशंका है।

ऐसा पता चला है कि देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी आइडिया सेल्युलर ने GST रजिस्ट्रेशन पूरे करने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स को 10 जुलाई की डेडलाइन दी है, जबकि दूसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम ऑपरेटर वोडाफोन इंडिया ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स को इस सप्ताह तक का समय दिया है।

टेलिकॉम कंपनियों ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स को बताया है कि अगर वे इस सप्ताह सभी बकाया GST रजिस्ट्रेशन पूरे नहीं करते तो इससे उनके लिए अपने टॉक टाइम बैलेंस को रिफिल करना कानूनी तौर पर असंभव हो जाएगा। इससे प्रीपेड सर्विसेज बिजनेस पर असर पड़ेगा, नए एक्टिवेशंस और प्रॉडक्ट लॉन्च में रुकावट आएगी और इसके नतीजे में रेवेन्यू का नुकसान होगा।

टेलिकॉम कंपनियों और उनके डिस्ट्रीब्यूटर्स से 1 जुलाई तक GST रजिस्ट्रेशन पूरे करने की उम्मीद की जा रही थी।

एक बड़ी टेलिकॉम कंपनी के सीनियर एग्जिक्यूटिव ने बताया, 'अगर यह समस्या कई सप्ताह तक जारी रहती है तो इससे सितंबर क्वॉर्टर के दौरान प्रति महीने टेलिकॉम इंडस्ट्री को 130-140 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना होगा।'

देश की दिग्गज टेलिकॉम कंपनियों में से एक ने अपने सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स से तुरंत GST रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा है। GST रूल्स के तहत, गुड्स और सर्विसेज की सप्लाई करने वाली किसी एंटिटी का सालाना टर्नओवर अगर 20 लाख रुपये या उससे अधिक है तो उसे रजिस्ट्रेशन कराना होगा। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह सीमा 10 लाख रुपये की है।

हालांकि, पिछले एक सप्ताह में स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी टेलिकॉम कंपनियों के बहुत से डिस्ट्रीब्यूटर्स ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।

देश में मोबाइल यूजर्स में से 90 पर्सेंट से अधिक प्रीपेड सर्विसेज का इस्तेमाल करते हैं। इन सर्विसेज से टेलिकॉम कंपनियों को अपने रेवेन्यू का 80 पर्सेंट तक मिलता है। अगर इन सर्विसेज के डिस्ट्रीब्यूटर्स GST रजिस्ट्रेशन को पूरा करने में नाकाम रहते हैं तो वे कानूनी तौर पर इन कंपनियों से टॉक टाइम रिफिल नहीं करा सकेंगे और वे अपने पार्टनर रिटेलर्स को भी टॉक टाइम नहीं दे सकेंगे। अगर रिटेलर्स रजिस्ट्रेशन नहीं कराते तो वे भी यूजर्स को प्रीपेड रिचार्ज वाउचर और टॉप-अप नहीं बेच सकेंगे। देश में लगभग एक अरब प्रीपेड यूजर्स हैं।

इस बारे में ईटी की ओर से भेजे गए प्रश्नों का भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, रिलायंस कम्युनिकेशंस, रिलायंस जियो इंफोकॉम, एयरसेल और MTS इंडिया ने जवाब नहीं दिया।

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