[ सरिता सिंह | नई दिल्ली ]
भारतीय रेलवे और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी), इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और एनटीपीसी सहित कुछ सरकारी कंपनियां जल्द ही देश के न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम के एक्सपैंशन के लिए फंडिंग कर सकती हैं। सरकारी कंपनी न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) देश में न्यूक्लियर पावर प्लांट्स लगाने के लिए ज्वाइंट वेंचर बनाने के मकसद से बड़ी मात्रा में कैश रखने वाली पीएसयू और रेलवे के साथ बातचीत कर रही है।
NPCIL के डायरेक्टर (प्रोजेक्ट्स), रोहित बनर्जी ने ईटी को बताया, 'हम कई पीएसयू से बात कर रहे हैं। एटॉमिक एनर्जी एक्ट में संशोधन होने से NPCIL को भारतीय पीएसयू के साथ जेवी बनाने की अनुमति मिली है।' देश में न्यूक्लियर पावर जेनरेशन की मौजूदा इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 6,780 mw की है। NPCIL इसे बढ़ाकर 63 GW करने की योजना बना रही है। इसके लिए अधिक कैश रखने वाली पीएसयू से फंडिंग हासिल करने की योजना है। NPCIL अभी 6,700 mw के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है।
जमीन की उपलब्धता और टेक्नोलॉजी शेयरिंग जैसे मुद्दों के अलावा NPCIL को लो-कॉस्ट फाइनेंस हासिल करने में भी दिक्कत होती है। कंपनी अभी न्यूक्लियर पावर प्लांट्स लगाने के लिए कैपिटल का इंतजाम डेट और इक्विटी, बजटीय मदद और टेक्नोलॉजी देने वाले देश से डेट फाइनेंसिंग के जरिए करती है।
न्यूक्लियर पावर के प्रपोज्ड एक्सपैंशन में से 11,200 mw स्वदेशी प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर्स और 34,100 लाइट वॉटर रिएक्टर्स के जरिए करने की योजना है। बाकी के लिए 500-1,000 mw के फास्ट ब्रीडर रिएक्टर्स और एडवांस्ड हेवी वॉटर रिएक्टर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है।
एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962 में इस वर्ष जनवरी में संशोधन कर एक सरकारी कंपनी की परिभाषा का दायरा बढ़ाया गया था। इससे NPCIL ऐसे ज्वाइंट वेंचर कर सकती है जिनमें उसकी मेजॉरिटी होल्डिंग होगी जबकि अन्य सरकारी कंपनियों के पास 49 पर्सेंट हिस्सेदारी रहेगी।
अभी केवल दो सरकारी कंपनियों- NPCIL और भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड को देश में न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की अनुमति है। ये दोनों कंपनियां डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी के तहत आती हैं। ये कंपनियां थर्मल न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के डिजाइन, कंस्ट्रक्शन और ऑपरेशन की जिम्मेदारी संभालती हैं। इससे पहले NPCIL ने न्यूक्लियर पावर प्लांट्स लगाने के लिए एनटीपीसी, आईओसी और नाल्को के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाए थे, लेकिन कानून में इसके लिए प्रावधान न होने की वजह से कंपनी की योजना आगे नहीं बढ़ सकी थी।