:अश्विनी श्रीवास्तव: नयी दिल्ली, 26 जून :भाषा: वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क :जीएसटीएन: के बड़े खर्च पर व्यय विभाग ने आपत्ति जताई है। यह एक विशेष इकाई है जिसका गठन जीएसटी के क्रियान्वयन के लिए आईटी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए किया गया है। जीएसटीएन ने अपने खर्चों को पूरा करने के लिए 515 करोड़ रपये का रिण उपलब्ध कराने को भी कहा है जिसे लेकर भी व्यय विभाग को आपत्ति है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि व्यय विभाग ने जीएसटीएन के कामकाज की व्यापक समीक्षा करने की जरूरत बताते हुए सुझाव दिया है कि इसका काम आंतरिक तौर पर सरकारी एजेंसियों द्वारा किया जा सकता है। जीएसटीएन के गठन का मकसद कमाना नहीं है और इसे प्राइवेट लि. कंपनी के रूप में 2013 में गठित किया गया था। इसका काम वस्तु एवं सेवा कर को लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, करदाताओं तथा अन्य अंशधारकों को सूचना प्रौद्योगिकी ढांचा और सेवाएं उपलब्ध कराना है। जीएसटी लागू होने के बाद ज्यादातर केंद्र और राज्य के अप्रत्यक्ष कर मसलन मूल्यवर्धित कर :वैट:, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, केंद्रीय बिक्रीकर, अतिरिक्त सीमा शुल्क तथा विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क समाप्त हो जाएंगे। व्यय विभाग ने जीएसटीएन के संचालन की बड़ी प्रशासनिक लागत पर आपत्ति जताई है। इसके कर्मचारियों की संख्या 45 है जिनकी नियुक्ति बाजार दरों पर की गई है। इसके अलावा इन कर्मचारियों को अतिरिक्त सुविधाएं मसलन आवास किराया, कार और अन्य भत्ते तथा उत्पादकता आधारित प्रोत्साहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
जीएसटीएन के खर्च पर व्यय विभाग ने आपत्ति जताई
:अश्विनी श्रीवास्तव:
नवभारतटाइम्स.कॉम 26 Jun 2016, 1:09 pm