बेंगलुरु
अगर अमेरिका देश संबंधी कोटा हटाता है तो हजारों भारतीयों को वहां की नागरिकता मिल सकती है। यह जानकारी अमेरिकी सरकार की एक रिसर्च रिपोर्ट से मिली है। देश संबंधी कोटा हटाए जाने से भारतीय आईटी इंडस्ट्री को भी फायदा होगा, जो बड़े पैमाने पर वहां भारत से पेशेवरों को प्रोजेक्ट्स के लिए भेजती है और वह इसके लिए ग्रीन कार्ड पर निर्भर है।
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है, 'अभी खासतौर पर भारत और एक सीमा तक चीन और फिलीपींस के लोगों को अमेरिका में स्थायी नागरिकता पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।' 2018 के मध्य तक 9 लाख से अधिक लोगों को एंप्लॉयमेंट के लिए प्रवास की मंजूरी दी गई थी, लेकिन अमेरिका में काम करने के लिए सीमित वीजा होने की वजह से उन्हें इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे वीजा की मांग खासतौर पर भारत और उसके बाद चीन और फिलीपींस से आती है।
भारतीयों को ग्रीन कार्ड के लिए औसतन साढ़े 9 साल का इंतजार करना पड़ता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसमें हर साल नए आवेदनों की संख्या के हिसाब से बढ़ोतरी या कमी होती है। यूएस इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट साल में पांच एंप्लॉयमेंट बेस्ड एलपीआर कैटेगरी के तहत 1,40,000 वीजा देता है, जो वित्त वर्ष 2017 में स्वीकार किए गए 11 लाख एलपीआर का 12 पर्सेंट है।
इसके साथ सभी एंप्लॉयमेंट बेस्ड एलपीआर में संबंधित देश के लिए अधिकतम 7 पर्सेंट का कोटा तय किया गया है। हाल में देश संबंधी कोटा खत्म करने के कई प्रस्ताव आए हैं, लेकिन अब तक इन्हें कानूनी शक्ल नहीं मिली है। रिसर्च रिपोर्ट में देश संबंधी कोटा हटाने के बाद क्या स्थिति हो सकती है, इसका भी जिक्र किया गया है।
इसमें कहा गया है, 'इससे कुछ देशों का एंप्लॉयमेंट बेस्ड इमिग्रेशन में दबदबा हो जाएगा। इससे खास उद्योगों को लाभ हो सकता है, जो बड़े पैमाने पर विदेशी वर्कर्स को रोजगार देते हैं। इससे दूसरे देशों से विदेशी वर्कर्स और उद्योगों को नुकसान होगा, जो शायद उन्हें नौकरी दे सकते हों।'
अगर अमेरिका देश संबंधी कोटा हटाता है तो हजारों भारतीयों को वहां की नागरिकता मिल सकती है। यह जानकारी अमेरिकी सरकार की एक रिसर्च रिपोर्ट से मिली है। देश संबंधी कोटा हटाए जाने से भारतीय आईटी इंडस्ट्री को भी फायदा होगा, जो बड़े पैमाने पर वहां भारत से पेशेवरों को प्रोजेक्ट्स के लिए भेजती है और वह इसके लिए ग्रीन कार्ड पर निर्भर है।
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है, 'अभी खासतौर पर भारत और एक सीमा तक चीन और फिलीपींस के लोगों को अमेरिका में स्थायी नागरिकता पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।' 2018 के मध्य तक 9 लाख से अधिक लोगों को एंप्लॉयमेंट के लिए प्रवास की मंजूरी दी गई थी, लेकिन अमेरिका में काम करने के लिए सीमित वीजा होने की वजह से उन्हें इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे वीजा की मांग खासतौर पर भारत और उसके बाद चीन और फिलीपींस से आती है।
भारतीयों को ग्रीन कार्ड के लिए औसतन साढ़े 9 साल का इंतजार करना पड़ता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसमें हर साल नए आवेदनों की संख्या के हिसाब से बढ़ोतरी या कमी होती है। यूएस इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट साल में पांच एंप्लॉयमेंट बेस्ड एलपीआर कैटेगरी के तहत 1,40,000 वीजा देता है, जो वित्त वर्ष 2017 में स्वीकार किए गए 11 लाख एलपीआर का 12 पर्सेंट है।
इसके साथ सभी एंप्लॉयमेंट बेस्ड एलपीआर में संबंधित देश के लिए अधिकतम 7 पर्सेंट का कोटा तय किया गया है। हाल में देश संबंधी कोटा खत्म करने के कई प्रस्ताव आए हैं, लेकिन अब तक इन्हें कानूनी शक्ल नहीं मिली है। रिसर्च रिपोर्ट में देश संबंधी कोटा हटाने के बाद क्या स्थिति हो सकती है, इसका भी जिक्र किया गया है।
इसमें कहा गया है, 'इससे कुछ देशों का एंप्लॉयमेंट बेस्ड इमिग्रेशन में दबदबा हो जाएगा। इससे खास उद्योगों को लाभ हो सकता है, जो बड़े पैमाने पर विदेशी वर्कर्स को रोजगार देते हैं। इससे दूसरे देशों से विदेशी वर्कर्स और उद्योगों को नुकसान होगा, जो शायद उन्हें नौकरी दे सकते हों।'