नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के संशोधित दिशानिर्देशों का उद्देश्य उचित और भेदभावरहित व्यापार को प्रोत्साहन देना और विदेशी निवेश वाले आनलाइन रिटेलरों को किसी उत्पाद की कीमतें प्रभावित करने से रोकना है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। सरकार ने बुधवार को विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियमों को कड़ा करने का निर्णय किया। इससे फ्लिपकार्ट और आमेजन जैसी आनलाइन कंपनियां उन फर्मों के उत्पाद नहीं बेच पाएंगी जिनमें उनकी हिस्सेदारी है। इसके अलावा सरकार ने ऐसे विशिष्ट विपणन करार पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जिससे उत्पाद का दाम प्रभावित हो सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने जो कुछ भी किया है उसके पीछे मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ई-मार्केटप्लेस प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं की कीमतों को प्रभावित नहीं कर पाएं।’’ यह पूछे जाने पर कि इन नियमों को अगले साल एक फरवरी से लागू करने के पीछे क्या मंशा है, अधिकारी ने कहा, ‘‘हम कंपनियों को संशोधित नियमों के अनुसार अपने कारोबारी मॉडल को समायोजित करने के लिए समय देना चाहते हैं।’’ प्रस्तावित नयी ई-कॉमर्स नीति के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि इसका मसौदा अगले कुछ सप्ताह में जारी कर दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें ई-कॉमर्स पर नीति की जरूरत है। इससे निर्यात और क्षेत्र की कुल वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा।’’
ई-कॉमर्स के संशोधित नियमों का उद्देश्य उचित और भेदभावरहित व्यापार को प्रोत्साहन देना : अधिकारी
नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के संशोधित दिशानिर्देशों का उद्देश्य उचित और भेदभावरहित व्यापार को प्रोत्साहन देना और विदेशी निवेश वाले आनलाइन रिटेलरों को किसी उत्पाद की कीमतें प्रभावित करने से रोकना है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। सरकार ने बुधवार को विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियमों को कड़ा करने का निर्णय किया। इससे फ्लिपकार्ट और आमेजन जैसी आनलाइन कंपनियां उन फर्मों के उत्पाद नहीं बेच पाएंगी जिनमें उनकी हिस्सेदारी है। इसके अलावा सरकार ने ऐसे विशिष्ट विपणन करार पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जिससे उत्पाद
भाषा 27 Dec 2018, 7:39 pm