नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि भारत ने विदेशी कंपनियों और विदेशी निवेश के लिये आकर्षक गंतव्य बनने का खाका तैयार किया है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हम कितने अच्छे से पारदर्शिता के साथ कंपनी कानून का क्रियान्वयन कर पाते हैं, यह महत्वपूर्ण हो जाता है। राष्ट्रपति कोविंद ने भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के 51वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमने देखा है कि कैसे कुछ उद्यमों ने लोगों का भरोसा तोड़ा है। (ऐसी) कंपनियां या तो लड़खड़ा भटक गयीं या ठप हो गयीं। इस सबमें परेशानी आम लोगों को हुई।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि कंपनी सचिवों को यह देखना चाहिए कि कंपनियों के हितधारक यह समझे कि ,‘ मुनाफा और मुनाफाखोरी में फर्क होता है।’’ उन्होंने कंपनी को पूरी जिम्मेदार के साथ कारोबार करने तथा आर्थिक उद्देश्यों एवं वृहद सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों के बीच सामंजस्य बिठा कर चलने की जरूरत पर बल दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि कंपनी सचिव संचालन पेशेवर और आंतरिक कारोबारी भागीदार की भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें उन मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए जहां हमें सुधार करने की जरूरत है ताकि अतीत की गलतियों या कमियों को सही तरीके से सुधारा जा सके।’’ उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट संचालन का विचार जटिल है, लेकिन यह जिन सिद्धांतों पर आधारित हैं वे स्पष्ट हैं। पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, सत्यनिष्ठ और निष्पक्षता इसके चार स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी सचिवों को यह जिम्मेदारी के साथ तय करना चाहिये कि कैसे इन सिद्धांतों को चलन में लाया जाये। इस कार्यक्रम में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी उपस्थित रहे।
भारत को निवेश का आकर्षक गंतव्य बनाने में कंपनी कानून का पारदर्शी क्रियान्वयन महत्वपूर्ण: कोविंद
नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि भारत ने विदेशी कंपनियों और विदेशी निवेश के लिये आकर्षक गंतव्य बनने का खाका तैयार किया है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हम कितने अच्छे से पारदर्शिता के साथ कंपनी कानून का क्रियान्वयन कर पाते हैं, यह महत्वपूर्ण हो जाता है। राष्ट्रपति कोविंद ने भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के 51वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमने देखा है कि कैसे कुछ उद्यमों ने लोगों का भरोसा तोड़ा है। (ऐसी) कंपनियां या तो लड़खड़ा भटक गयीं या ठप हो गयीं। इस सबमें परेशानी आम
भाषा 5 Oct 2019, 4:35 pm