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अब बिग बास्केट (Big Basket) के जरिए भी ऑर्गेनिक, प्राकृतिक वन धन उत्पादों और ट्राइफूड उत्पादों को खरीदा जा सकेगा। सोमवार को ट्राइफेड (TRIFED) और बिग बास्केट के बीच इस बारे में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ट्राइब्स इंडिया (Tribes India) बिग बास्केट के साथ मिलकर ऑनलाइन मार्केटिंग का बड़े पैमाने पर विस्तार करेगा। इसके अलावा अन्य जनजातीय उद्यमियों के बीच मोती की खेती (Pearl Culture) को बढ़ावा देने के लिए ट्राइफेड और पूर्ती एग्रोटेक के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया। इन दो नई पहलों का कार्यान्यवन इस साल 2 अक्टूबर से होगा और जनजातीय लोगों की आजीविका को भी बल मिलेगा। वनोपजों की होगी बिक्री बिग बास्केट प्लेटफार्म पर
ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच हुए समझौते के तहत बिग बास्केट प्लेटफॉर्म के जरिए प्राकृतिक वन धन उत्पादों का प्रचार और बिक्री होगी। ट्राइफेड बिग बास्केट के साथ जुड़कर अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर, विशेषज्ञता और पहुंच का लाभ उठाकर पूरे देश में ग्राहकों की व्यापक संख्या को ऑर्गेनिक, प्राकृतिक और ट्राइफूड वन धन उत्पादों को उपलब्ध करा सकता है। जनजातीय समुदाय द्वारा हाथ से बनाए गए प्रमाणिक वन उत्पादों को शामिल करके बिग बास्केट को अपने पोर्टफोलियो को और अधिक समृद्ध करने में भी मदद मिलेगी। यह सहयोग जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा देने और जनजातीय समुदाय के लिए आजीविका के अवसर पैदा करके बिग बास्केट के सामाजिक कल्याण की दिशा में किए जाने वाले कार्यों में भी बढ़ोतरी करेगा।
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जनजातीय लोगों के सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण के लिए युद्ध स्तर पर काम
इस मौके पर केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, “सरकार महत्वाकांक्षी परिवर्तनकारी कार्यक्रम चला रही है जो आने वाले समय में जनजातीय लोगों की आजीविका के लिए गेम चेंजर साबित होंगे। यह प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है कि हम अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचें और एक आत्मनिर्भर भारत की स्थापना की दिशा में काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि इसी भावना से जनजातीय कार्य मंत्रालय और ट्राइफेड बड़ी संख्या में इस तरह की पहल के माध्यम से जनजातीय लोगों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं।
जनजातीय उत्पाद लाए जा रहे हैं बाजार में
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अब ट्राइफेड और जनजातीय कार्य मंत्रालय की विभिन्न पहलों के माध्यम से अनुसंधान और डिजाइन की मदद से मूल्यवर्धन और उत्कृष्ट गुणवत्ता सुनिश्चित करके जनजातीय उत्पादों को बाजार में लाया जा रहा है। जनजातीय लोगों में छिपी हुई प्रतिभा और उत्कृष्ट उत्पाद बनाने की एक बड़ी क्षमता है। एक राष्ट्र के रूप में यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि उनके कौशल, कला और शिल्प, भावी पीढ़ी के लिए नष्ट न हों, इसलिए देश भर में जनजातीय लोगों के लाभ के लिए ये कार्यक्रम आज शुरू किए गए हैं।
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ट्राइफेड और पूर्ती एग्रोटेक में क्यों हुआ समझौता
ट्राइफेड और पूर्ती एग्रोटेक के बीच हुए समझौते के तहत ट्राइफेड, पूर्ती एग्रोटेक को ट्राइब्स इंडिया के लिए सप्लायर के रूप में अपनी सप्लायर लिस्ट में शामिल करेगा। ट्राइफेड, पूर्ती एग्रोटेक से सीप/मोती खरीदेगा, जिसे 141 ट्राइब्स इंडिया बिक्री केन्द्रों और विभिन्न ई-कॉमर्स पोर्टल्स के जरिए बेचा जाएगा। पूर्ती एग्रोटेक को आगे चलकर वन धन विकास केंद्र समूह के रूप में विकसित किया जा सकता है।
अब बिग बास्केट (Big Basket) के जरिए भी ऑर्गेनिक, प्राकृतिक वन धन उत्पादों और ट्राइफूड उत्पादों को खरीदा जा सकेगा। सोमवार को ट्राइफेड (TRIFED) और बिग बास्केट के बीच इस बारे में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। ट्राइब्स इंडिया (Tribes India) बिग बास्केट के साथ मिलकर ऑनलाइन मार्केटिंग का बड़े पैमाने पर विस्तार करेगा। इसके अलावा अन्य जनजातीय उद्यमियों के बीच मोती की खेती (Pearl Culture) को बढ़ावा देने के लिए ट्राइफेड और पूर्ती एग्रोटेक के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया। इन दो नई पहलों का कार्यान्यवन इस साल 2 अक्टूबर से होगा और जनजातीय लोगों की आजीविका को भी बल मिलेगा।
ट्राइफेड और बिग बास्केट के बीच हुए समझौते के तहत बिग बास्केट प्लेटफॉर्म के जरिए प्राकृतिक वन धन उत्पादों का प्रचार और बिक्री होगी। ट्राइफेड बिग बास्केट के साथ जुड़कर अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर, विशेषज्ञता और पहुंच का लाभ उठाकर पूरे देश में ग्राहकों की व्यापक संख्या को ऑर्गेनिक, प्राकृतिक और ट्राइफूड वन धन उत्पादों को उपलब्ध करा सकता है। जनजातीय समुदाय द्वारा हाथ से बनाए गए प्रमाणिक वन उत्पादों को शामिल करके बिग बास्केट को अपने पोर्टफोलियो को और अधिक समृद्ध करने में भी मदद मिलेगी। यह सहयोग जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा देने और जनजातीय समुदाय के लिए आजीविका के अवसर पैदा करके बिग बास्केट के सामाजिक कल्याण की दिशा में किए जाने वाले कार्यों में भी बढ़ोतरी करेगा।
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जनजातीय लोगों के सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण के लिए युद्ध स्तर पर काम
इस मौके पर केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, “सरकार महत्वाकांक्षी परिवर्तनकारी कार्यक्रम चला रही है जो आने वाले समय में जनजातीय लोगों की आजीविका के लिए गेम चेंजर साबित होंगे। यह प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है कि हम अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचें और एक आत्मनिर्भर भारत की स्थापना की दिशा में काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि इसी भावना से जनजातीय कार्य मंत्रालय और ट्राइफेड बड़ी संख्या में इस तरह की पहल के माध्यम से जनजातीय लोगों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं।
जनजातीय उत्पाद लाए जा रहे हैं बाजार में
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अब ट्राइफेड और जनजातीय कार्य मंत्रालय की विभिन्न पहलों के माध्यम से अनुसंधान और डिजाइन की मदद से मूल्यवर्धन और उत्कृष्ट गुणवत्ता सुनिश्चित करके जनजातीय उत्पादों को बाजार में लाया जा रहा है। जनजातीय लोगों में छिपी हुई प्रतिभा और उत्कृष्ट उत्पाद बनाने की एक बड़ी क्षमता है। एक राष्ट्र के रूप में यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि उनके कौशल, कला और शिल्प, भावी पीढ़ी के लिए नष्ट न हों, इसलिए देश भर में जनजातीय लोगों के लाभ के लिए ये कार्यक्रम आज शुरू किए गए हैं।
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ट्राइफेड और पूर्ती एग्रोटेक में क्यों हुआ समझौता
ट्राइफेड और पूर्ती एग्रोटेक के बीच हुए समझौते के तहत ट्राइफेड, पूर्ती एग्रोटेक को ट्राइब्स इंडिया के लिए सप्लायर के रूप में अपनी सप्लायर लिस्ट में शामिल करेगा। ट्राइफेड, पूर्ती एग्रोटेक से सीप/मोती खरीदेगा, जिसे 141 ट्राइब्स इंडिया बिक्री केन्द्रों और विभिन्न ई-कॉमर्स पोर्टल्स के जरिए बेचा जाएगा। पूर्ती एग्रोटेक को आगे चलकर वन धन विकास केंद्र समूह के रूप में विकसित किया जा सकता है।