नरेंद्र नाथन, ईटी वेल्थ, नई दिल्ली
कच्चे तेल का महंगा होना सरकार के लिए जरूर चिंता का विषय है, लेकिन स्मार्ट निवेशकों के लिए यह एक शानदार मौका भी है। पेट्रोलियम पदार्थों पर आधारित कई सेक्टर ऐसे हैं जो कीमत में उतार-चढ़ाव से सीधे प्रभावित होते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि 2020 की पहली छमाही में तेल की कीमत 63-68 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेगी। हालांकि कीमत में थोड़ी उछाल दूसरी छमाही में आएगी। ऐसे में यह निवेशकों के लिए एक शानदार मौका है। मार्च तक तेल उत्पादन में कटौती का फैसला
ओपेक (OPEC) देशों ने मार्च 2020 तक उत्पादन में कटौती का फैसला पहले ही किया था। तेल महंगाई के पीछे यह सबसे बड़ा कारण है। ईरान पर हमले के बाद इस कारण को बल मिला है। जनवरी के तीसरे हफ्ते में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील होने के बाद वैश्विक स्थिति में सुधार आएगी। साल की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधि में तेजी आएगी जिससे तेल की मांग बढ़ेगी और कीमत में उछाल संभव है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दूसरी छमाही में तेल की कीमत 70-72 डॉलर प्रति बैरल के करीब रह सकती है।
महंगाई पर कच्चे तेल की कीमत का सीधा असर
हालांकि कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर का बदलाव भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, अगर कच्चा तेल 10 डॉलर प्रति बैरल महंगा होता है तो भारत को हर महीने 1.5 अरब डॉलर ज्यादा खर्च करने होंगे क्योंकि यह जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। वहीं महंगाई करीब 0.40 फीसदी बढ़ जाएगी। मांग में कमी के बीच महंगाई पर कंट्रोल रखना जरूरी है। दिसंबर महीने में कच्चा तेल करीब 6 डॉलर प्रति बैरल (करीब 10 फीसदी) महंगा हुआ है।
ऑयल और गैस सेक्टर पर क्या होगा असर?
कच्चे तेल की कीमत में उछाल से स्वतंत्र रिफाइनरी कंपनियों के शेयर पर खास असर नहीं होगा। मैंगलोर रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर पर तेल के भाव का ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि ये तेल रिफाइन कर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को बेच देती हैं।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर क्या होगा असर?
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओएनजीसी के शेयर पर तेल की कीमत बढ़ने का असर दिखाई देगा। ये कंपनियां तेल की कीमत बढ़ने पर इसका बोझ जनता पर पास कर सकती हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत के हिसाब से रोजाना तेल का भाव तय होता है। नैचुरल गैस की बढ़ती डिमांड के कारण सरकार प्राइस पर कंट्रोल हटा सकती है जिससे कीमत बाजार तय करेगा।
1. ओएनजीसी
इकनॉमिक टाइम्स वेल्थ में एक्सपर्ट्स की सलाह है कि ONGC का शेयर अगले एक साल में 46 फीसदी तक ग्रो कर सकता है। 31 दिसंबर को एक शेयर का भाव 127.95 रुपये था जो अगले साल 186.79 रुपये तक पहुंच सकता है।
2. ऑयल इंडिया
ऑयल इंडिया (OIL India) के शेयर में भी अगले एक साल में 46 फीसदी का उछाल आ सकता है। 31 दिसंबर को जिस शेयर का भाव 152 रुपये था वह 222 रुपये तक पहुंच सकता है।
3. एविएशन
एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं कि एविएशन सेक्टर के शेयर में निवेश घाटे का सौदा हो सकता है।
4. FMCG सेक्टर
कच्चा तेल महंगा होने से FMCG कंपनियां के लए इनपुट कॉस्ट बढ़ जाएगा क्योंकि कच्चा माल महंगा हो जाएगा। इसलिए इस सेक्टर में निवेश को लेकर सकारात्मक संकेत नहीं हैं।
5.सीमेंट इंडस्ट्री
कच्चा तेल महंगा होगा तो एनर्जी सेक्टर की कॉस्टिंग बढ़ जाएगी, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर नकारात्मक असर होगा। कमजोर कंस्ट्रक्शन ऐक्टिविटी के बावजूद ACC सीमेंट ने सालान दर पर सेल्स में 3 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की है। कॉर्पोरेट टैक्स रेट घटने से यह अपने निवेशकों को रिटर्न दे पाने में सक्षम हो पाएगा। ईटी वेल्थ के एक्सपर्ट के मुताबिक, एसीसी पर एक साल में 18 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है।
6. टायर इंडस्ट्री
ऑटो शेयर में सुस्ती के कारण टायर इंडस्ट्री पहले से मांग में कमी से जूझ रही है। पेट्रोलियम महंगा होने पर पेट्रोलियम पदार्थ से बनने वाले रबर की कीमत में तेजी आएगी। ऑटो सेक्टर में तेजी नहीं आने के कारण टायर कंपनियां बढ़ी कीमत का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाल पाएंगी। हालांकि उम्मीद है कि अपोलो टायर डमेस्टिक और यूरोप के बाजार में बेहतर परफॉर्म करेगी और रिटर्न की संभावना है।
कच्चे तेल का महंगा होना सरकार के लिए जरूर चिंता का विषय है, लेकिन स्मार्ट निवेशकों के लिए यह एक शानदार मौका भी है। पेट्रोलियम पदार्थों पर आधारित कई सेक्टर ऐसे हैं जो कीमत में उतार-चढ़ाव से सीधे प्रभावित होते हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि 2020 की पहली छमाही में तेल की कीमत 63-68 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहेगी। हालांकि कीमत में थोड़ी उछाल दूसरी छमाही में आएगी। ऐसे में यह निवेशकों के लिए एक शानदार मौका है।
ओपेक (OPEC) देशों ने मार्च 2020 तक उत्पादन में कटौती का फैसला पहले ही किया था। तेल महंगाई के पीछे यह सबसे बड़ा कारण है। ईरान पर हमले के बाद इस कारण को बल मिला है। जनवरी के तीसरे हफ्ते में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील होने के बाद वैश्विक स्थिति में सुधार आएगी। साल की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधि में तेजी आएगी जिससे तेल की मांग बढ़ेगी और कीमत में उछाल संभव है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दूसरी छमाही में तेल की कीमत 70-72 डॉलर प्रति बैरल के करीब रह सकती है।
महंगाई पर कच्चे तेल की कीमत का सीधा असर
हालांकि कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर का बदलाव भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, अगर कच्चा तेल 10 डॉलर प्रति बैरल महंगा होता है तो भारत को हर महीने 1.5 अरब डॉलर ज्यादा खर्च करने होंगे क्योंकि यह जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। वहीं महंगाई करीब 0.40 फीसदी बढ़ जाएगी। मांग में कमी के बीच महंगाई पर कंट्रोल रखना जरूरी है। दिसंबर महीने में कच्चा तेल करीब 6 डॉलर प्रति बैरल (करीब 10 फीसदी) महंगा हुआ है।
ऑयल और गैस सेक्टर पर क्या होगा असर?
कच्चे तेल की कीमत में उछाल से स्वतंत्र रिफाइनरी कंपनियों के शेयर पर खास असर नहीं होगा। मैंगलोर रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर पर तेल के भाव का ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि ये तेल रिफाइन कर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को बेच देती हैं।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर क्या होगा असर?
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओएनजीसी के शेयर पर तेल की कीमत बढ़ने का असर दिखाई देगा। ये कंपनियां तेल की कीमत बढ़ने पर इसका बोझ जनता पर पास कर सकती हैं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत के हिसाब से रोजाना तेल का भाव तय होता है। नैचुरल गैस की बढ़ती डिमांड के कारण सरकार प्राइस पर कंट्रोल हटा सकती है जिससे कीमत बाजार तय करेगा।
1. ओएनजीसी
इकनॉमिक टाइम्स वेल्थ में एक्सपर्ट्स की सलाह है कि ONGC का शेयर अगले एक साल में 46 फीसदी तक ग्रो कर सकता है। 31 दिसंबर को एक शेयर का भाव 127.95 रुपये था जो अगले साल 186.79 रुपये तक पहुंच सकता है।
2. ऑयल इंडिया
ऑयल इंडिया (OIL India) के शेयर में भी अगले एक साल में 46 फीसदी का उछाल आ सकता है। 31 दिसंबर को जिस शेयर का भाव 152 रुपये था वह 222 रुपये तक पहुंच सकता है।
3. एविएशन
एक्सपर्ट्स सलाह दे रहे हैं कि एविएशन सेक्टर के शेयर में निवेश घाटे का सौदा हो सकता है।
4. FMCG सेक्टर
कच्चा तेल महंगा होने से FMCG कंपनियां के लए इनपुट कॉस्ट बढ़ जाएगा क्योंकि कच्चा माल महंगा हो जाएगा। इसलिए इस सेक्टर में निवेश को लेकर सकारात्मक संकेत नहीं हैं।
5.सीमेंट इंडस्ट्री
कच्चा तेल महंगा होगा तो एनर्जी सेक्टर की कॉस्टिंग बढ़ जाएगी, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर नकारात्मक असर होगा। कमजोर कंस्ट्रक्शन ऐक्टिविटी के बावजूद ACC सीमेंट ने सालान दर पर सेल्स में 3 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की है। कॉर्पोरेट टैक्स रेट घटने से यह अपने निवेशकों को रिटर्न दे पाने में सक्षम हो पाएगा। ईटी वेल्थ के एक्सपर्ट के मुताबिक, एसीसी पर एक साल में 18 फीसदी का रिटर्न मिल सकता है।
6. टायर इंडस्ट्री
ऑटो शेयर में सुस्ती के कारण टायर इंडस्ट्री पहले से मांग में कमी से जूझ रही है। पेट्रोलियम महंगा होने पर पेट्रोलियम पदार्थ से बनने वाले रबर की कीमत में तेजी आएगी। ऑटो सेक्टर में तेजी नहीं आने के कारण टायर कंपनियां बढ़ी कीमत का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाल पाएंगी। हालांकि उम्मीद है कि अपोलो टायर डमेस्टिक और यूरोप के बाजार में बेहतर परफॉर्म करेगी और रिटर्न की संभावना है।