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Petrol Prices: ईंधन पर भारी टैक्स के बारे में क्या सोचती है देश की संसद?

क्रूड ऑयल बाजार (Crude Oil Market) में बुधवार को थोड़ी राहत मिली थी। हालांकि, भारत समेत दुनिया के लगभग सभी देशों में पेट्रोलियम ईंधन (Petroleum Fuel) की खपत बढ़ने की ही खबर आ रही है। अनलॉक (Unlock) होने से जून के शुरूआती दो सप्ताह के दौरान पेट्रोल-डीजल की मांग (Demand of Petrol Diesel) 13 फीसदी बढ़ी है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 17 Jun 2021, 8:16 am
पिछले चार मई से देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें (Petrol-diesel prices) खूब बढ़ी। कभी लगातार तो कभी ठहर कर, 26 दिनों में ही पेट्रोल 6.34 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। जून के शुरूआती दो सप्ताह में यहां पेट्रोल डीजल की मांग (Petrol Diesel Demand) में 13 फीसदी का उछाल आया है।
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Petrol Prices: ईंधन पर भारी टैक्स के बारे में क्या सोचती है देश की संसद?


फ्यूल प्राइसिंग पर विचार

पेट्रोलियम मामलों की संसद की एक स्थाई समिति (standing committee on petroleum) ने पेट्रोलियम मंत्रालय और ऑयल कंपनी के अधिकारियों से मिलकर फ्यूल प्राइसिंग पॉलिसी (fuel pricing policy) पर विचार करने का फैसला किया है। देश में कम से कम 7 राज्यों में पेट्रोल के भाव ₹100 प्रति लीटर को पार कर गए हैं, जबकि कई राज्यों में डीजल की कीमतें (diesel price) भी ₹100 को छू चुकी हैं। पिछले 4 मई से अब तक रूक-रूक कर 26 दिनों में ही डीजल का दाम 6.63 रुपये प्रति लीटर चढ़ चुका है।


सात राज्यों में पेट्रोल का शतक

देश के 7 राज्यों में पेट्रोल के भाव (petrol prices) ₹100 प्रति लीटर को पार कर गए हैं, जबकि राजस्थान के श्रीगंगानगर में डीजल का भाव (Diesel prices) ₹100 पर पहुंच चुका है। अन्य राज्यों में डीजल ₹95 प्रति लीटर के आसपास बिक रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर महंगाई पर असर पड़ने की आशंका जताई है। आरबीआई (RBI) का सुझाव है कि केंद्र और राज्य सरकारें पेट्रोलियम प्रोडक्ट के भाव पर टैक्स कम करने (Reduce tax) पर विचार करें।


टैक्स की बड़ी हिस्सेदारी

भारत सरकार का तर्क है कि भारत के क्रूड परचेज कॉस्ट (crude purchase cost) में 27 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। जनवरी में क्रूड खरीद की औसत लागत $55 प्रति बैरल थी जो अब $72 प्रति बैरल हो गई है। इस वजह से देश में पेट्रोल-डीजल के भाव (Petrol-diesel prices) में तेज वृद्धि दर्ज की जा रही है। देश के अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल पंप पर ग्राहकों को मिलने वाले पेट्रोलियम उत्पाद की कीमत में राज्यों के टैक्स ( taxes make all the difference) की भारी हिस्सेदारी होती है।

एक्साइज में लगातार वृद्धि

कोरोना संकट दौर में केंद्र और राज्य सरकार ने पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर पिछले साल मार्च और मई के बीच टैक्स की दरों में भारी वृद्धि (Excise duty was raised) की है। कोरोनावायरस संकट (Covid crisis) की वजह से इस अवधि में तेल के भाव में काफी कमजोरी दर्ज की गई थी। पेट्रोल पर टैक्स (Tax on petrol) 65 फ़ीसदी बढ़ा दिया गया और इस समय करीब ₹35 का टैक्स लगाया जा रहा है। इसी तरह डीजल पर टैक्स (Tax on diesel) करीब 80 फ़ीसदी बढ़ा दिया गया जो अब करीब ₹28.35 के बराबर है। दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत में एक्साइज ड्यूटी की हिस्सेदारी 39 और 32 फीसदी हिस्सेदारी है।

कमाई कर रही है सरकार

अगर बात राज्यों के टैक्स की करें तो उन्हें भी पेट्रोल डीजल की बिक्री (Petrol-diesel sales) से काफी आमदनी हो रही है। दिल्ली और राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 22 फ़ीसदी वैट लगाया जाता है। पेट्रोल डीजल की बिक्री (Petrol-diesel sales) से इन राज्यों को काफी कमाई करने में मदद मिल रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले रविवार को यह स्वीकार किया था कि लोगों के लिए इंधन का बढ़ता भाव परेशानी पैदा कर रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि सरकार कोरोनावायरस और अन्य जनकल्याण की योजनाओं के लिए Petrol-diesel sales से रकम जुटा रही (govt cash cow) है।


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