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Petrol-diesel price: एक साल में बेस प्राइस से 5 गुना बढ़ी पेट्रोल-डीजल की रीटेल कीमत, जानिए क्या रही वजह

विधानसभा चुनाव (Assembly Election) खत्म हो चुके हैं। एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Price of petrol and diesel) बढ़नी शुरू हो गई हैं। देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत (Petrol Price) 100 रुपये प्रति लीटर के पार चली गई है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 13 May 2021, 8:01 am
देश में पिछले एक साल में तेल की कीमतों में 20 रुपये से अधिक बढ़ोतरी हुई है जबकि इस दौरान पेट्रोल और डीजल की बेस प्राइस (base price) में केवल 3-4 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। देश के कई शहरों में इस समय पेट्रोल की कीमत (petrol price) 100 रुपये प्रति लीटर के पार चली गई है। तेल की कीमतों में मौजूदा तेजी के लिए टैक्स में पिछले साल की कई बढ़ोतरी जिम्मेदार है।
नवभारतटाइम्स.कॉम base price of petrol diesel up rs 20 in year
Petrol-diesel price: एक साल में बेस प्राइस से 5 गुना बढ़ी पेट्रोल-डीजल की रीटेल कीमत, जानिए क्या रही वजह



एक साल में कितनी बढ़ी कीमत

पिछले साल 1 मई को दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल की कीमत 69.59 रुपये प्रति लीटर थी जबकि इसकी बेस प्राइस 27.95 रुपये थी। इसी तरह डीजल की कीमत 62.29 रुपये और इसकी बेस प्राइस 24.85 रुपये थी। इस साल 1 मई के आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोल की बेस प्राइस 3.53 रुपये बढ़कर 31.48 रुपये हो गई है लेकिन रीटेल प्राइस 20.81 रुपये बढ़कर 90.40 रुपये पहुंच गई है। इसी तरह डीजल की बेस प्राइस में इस दौरान 4.17 रुपये की तेजी आई है लेकिन रीटेल प्राइस 20.32 रुपये बढ़कर 82.61 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई।

कैसे तय होती है कीमतें

कुछ लोगों की यह दलील हो सकती है कि इस दौरान भारत की क्रूड कॉस्ट में बढ़ोतरी इसके लिए जिम्मेदार है। पिछले साल मई में भारत की क्रूड कॉस्ट 31 डॉलर प्रति बैरल थी जो अब 66 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि तेल की कीमतों में क्रूड भी एक फैक्टर होता है। लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतें उनके इंटरनैशनल कोट्स और रुपये-डॉलर के एक्सचेंज रेट के आधार पर तय होती है। इससे पता चलता है कि उनकी बेस प्राइस में मामूली तेजी क्यों आई और क्रूड की तरह कीमतें दोगुना क्यों नहीं हुई।

बढ़ोतरी के लिए कौन जिम्मेदार

पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में तेजी की वजह केंद्र द्वारा पिछले साल टैक्स में की गई बढ़ोतरी और उसके बाद राज्यों द्वारा वैट (VAT) में की गई बढ़ोतरी जिम्मेदार है। केंद्र ने पिछले साल मार्च से मई के बीच पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में प्रति लीटर 13 रुपये और डीजल पर 16 रुपये की बढ़ोतरी की थी। तब कोरोना महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई थी।

कितना लगता है टैक्स

इससे पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 65 फीसदी बढ़कर 19.98 रुपये से 32.98 रुपये पहुंच गई। इसी तरह डीजल पर यह 79 फीसदी बढ़कर 15.83 रुपये से 28.35 रुपये पहुंच गई। पेट्रोल और डीजल की मौजूदा खुदरा कीमतों में एक्साइज ड्यूटी का हिस्सा क्रमशः 36 फीसदी और 34 फीसदी है। दिल्ली में वैट का हिस्सा 22 फीसदी है जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में यह अधिक है। इन टैक्सेज के कारण ग्राहकों को तेल महंगा पड़ता है। जनवरी से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से घरेलू बाजार में 17 फरवरी को पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर चली गई थी।

विधानसभा चुनाव खत्म होते ही बढ़ोतरी शुरू

विधानसभा चुनावों से पहले एक्साइज ड्यूटी में कटौती की मांग की जा रही थी लेकिन सरकार ने इसकी ठीकरा तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस पर फोड़ दिया। उसका कहना था कि ये देश उत्पादन को सीमित करके कीमतों में तेजी ला रहे हैं। लेकिन सरकारी तेल कंपनियों ने 28 फरवरी से लेकर 23 मार्च तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जबकि इस दौरान भारत की क्रूड कॉस्ट 68 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी। अब विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं और एक बार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं। देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार चली गई है।

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