[ प्रशांत कराड़। चंडीगढ़ ]
दुनिया में धान की कुल पैदावार में 20 पर्सेंट हिस्सेदारी रखने वाले भारत में मॉनसून में देरी के चलते इस खरीफ सीजन में इसकी बुआई प्रभावित हुई है। इस साल कम बारिश और गर्म हवाओं के चलते किसानों को बुआई टालनी पड़ी है। मॉनसून सीजन की बारिश गर्मियों की फसल के लिए जरूरी है। धान को सिंचाई के लिए भरपूर पानी की जरूरत होती है। पर्याप्त और समय से हुई बारिश से 8 राज्यों में धान की सामान्य किस्मों की पैदावार बढ़ती है। हालांकि, मौजूदा सीजन में सूखे मौसम और रकबे में कमी से धान की पैदावार घट सकती है।
उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. राम शबद जसवारा ने बताया कि राज्य में वैसे तो 60 लाख हेक्टेयर के अधिकतर हिस्से में धान की खेती होती है। इनकी सिंचाई आमतौर पर नहर और अंडरग्राउंड वॉटर से होती है। हालांकि, अभी तापमान काफी ज्यादा है, जो धान की खेती के लिए ठीक नहीं है। इससे किसानों की लागत भी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि जब भी कम बारिश होती है, धान के रकबे में 1 लाख हेक्टेयर की कमी हो जाती है।
आमतौर पर उत्तर प्रदेश में मॉनसून 20 जून तक पहुंच जाता है, जो चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। यहां भले ही धान की फसल की सिंचाई नहर और ग्राउंडवॉटर से होती है, लेकिन पैदावार के लिए बारिश का समय से होना जरूरी है। अंबाला के रहने वाले रमेश यादव ने 4 एकड़ में चावल की खेती करने की तैयारी की है। उन्होंने बताया कि बारिश से खेती की लागत कम हो जाती है और पानी की भी बचत होती है। पंजाब ने धान की बुआई के लिए सॉयल कंजर्वेशन एक्ट, 2009 के तहत सुझाई गई तारीख 15 जून से दो दिन पहले बुआई का फैसला लिया था। इसके बावजूद सूखे मौसम की वजह से कई किसान तय समय से पहले बुआई शुरू नहीं कर पाए। अनुमान है कि पिछले साल के 31.4 लाख हेक्टेयर की तुलना में राज्य में इस साल 28 लाख हेक्टेयर में फसल की बुआई होगी।
पंजाब एग्रीकल्चर के डायरेक्टर स्वतंत्र कुमार ने बताया कि मॉनसून पूर्वानुमान को देखते हुए हमने किसानों से निवेदन किया है कि जहां भी संभव हो, वो देर से बुआई करें। प्रशासन इधर किसानों को अलग-अलग फसलों की बुआई करने को कह रहा है। इसमें खासतौर पर कम पानी की जरूरत वाले फसलों पर जोर दिया जा रहा है। इस वजह से पंजाब और हरियाणा में सामान्य धान के रकबे में गिरावट आ सकती है। एग्रीकल्चर के डिप्टी डायरेक्टर अनिल शेरावत ने बताया कि हम अंडरग्राउंड वॉटर के गिरते स्तर को चेक करने के लिए धान के खेतों को मक्का या अन्य फसलों में बदलने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चला रहे हैं। धान उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, छत्तीसगढ़ और असम में खरीफ सीजन की मुख्य फसल है।