प्रशांत महेश, मुंबई
डीमॉनेटाइजेशन से इंडियन म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की ग्रोथ को बहुत बढ़ावा मिला। म्यूचुअल फंड्स इंडस्ट्री की एसेट्स में तेज उछाल आया और शेयर मार्केट्स नई ऊंचाई पर पहुंच गए। डीमॉनेटाइजेशन के बाद इनवेस्टर्स बैंक खातों में पैसा जमा करने के लिए कतार में नजर आए जिससे बैंकों के पास कैश की बाढ़ आ गई। बैंकों के पास कैश तो बहुत हो गया लेकिन लोन बांटने के मौके बढ़े नहीं इसलिए उन्होंने एफडी रेट घटा दिए। रियल एस्टेट और गोल्ड का रिटर्न भी कुछ खास नहीं रहा, इसलिए इनवेस्टर्स म्यूचुअल फंड्स की तरफ भागते नजर आए।
कोटक म्यूचुअल फंड के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह कहते हैं, 'डीमॉनेटाइजेशन म्यूचुअल फंड्स के लिए अच्छा रहा। पैसा बैंकों से निकल म्यूचुअल फंड्स में आया।' डीमॉनेटाइजेशन के बाद म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री उससे मिले फायदे को आगे बढ़ाने की कोशिश में जुट गई। म्यूचुअल फंड्स ने इनवेस्टर एडुकेशन प्रोग्राम्स तेज किए और बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान शुरू किया। सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लांस यानी SIP पर घर-परिवारों में खूब चर्चा होने लगी। इसके जरिए सितंबर 2017 में 5,516 करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ जो अक्टूबर 2016 के 3,434 करोड़ रुपये से 60 पर्सेंट ज्यादा है।
इंडियन म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) सितंबर 2017 में 21.45 लाख करोड़ रुपये रहा, जो साल भर पहले के 16.51 करोड़ रुपये से 30 पर्सेंट ज्यादा है। निवेश विकल्प के तौर पर शहरी इलाकों में पहले से अपनी जगह बना चुके म्यूचुअल फंड्स का दायरा टॉप 15 शहरों से बाहर तेजी से बढ़ा। इन B15 शहरों (टॉप 15 के अलावा दूसरे शहरों) में निवेश का लेवल सितंबर 2017 में 3.79 लाख करोड़ रुपये हो गया जो सालभर पहले के 2.74 लाख करोड़ रुपये से 38.5 पर्सेंट ज्यादा था। गुवाहाटी, सिलीगुड़ी, मुरादाबाद और जालंधर जैसी लोकेशन के निवेशकों ने म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाना शुरू कर दिया है।
इक्विटी स्कीमों में इंडिविजुअल्स का इनवेस्टमेंट 4.45 लाख करोड़ रुपये से 50 पर्सेंट बढ़कर 6.68 लाख करोड़ रुपये हो गया। कुछ जानकारों के हिसाब से यह बस बानगी है, असल तसवीर बहुत बड़ी होने वाली है। जैसे-जैसे निवेशकों को म्यूचुअल फंड निवेश की आदत पकड़ेगी, वैसे-वैसे डेट और इक्विटी स्कीमों में निवेश बढ़ेगा। मनी हनी फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ अनूप भैया कहते हैं, 'डीमॉनेटाइजेशन के बाद बहुत से लोग टैक्स ब्रैकेट में आ गए हैं। इससे अब उनको सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बचत के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीमों में निवेश करने में समझदारी नजर आने लगेगी। इससे ऐसी स्कीमों में निवेश बढ़ेगा।'