मुंबई: एक कहावत है There is always room at the top. मतलब कि टॉप पोजिशन हासिल करने की हमेशा गुंजाइश होती है। और यदि आप देश के 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक के म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के टॉप रेटेड इक्विटी और हाइब्रिड फंडों में एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) के हिस्से को देखते हैं एक बात निकल कर सामने आती है। यह बात यही कि, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल का काफी अधिक हिस्सा टॉप रेटेड फंडों में है।
एमएफ ट्रैकर वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि जब 4-स्टार और 5-स्टार रेटेड फंड में अपने व्यक्तिगत एयूएम की हिस्सेदारी की बात आती है तो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल अपने सभी बड़े साथियों से आगे निकल जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो इसकी ज्यादातर इक्विटी और हाइब्रिड स्कीम टॉप रेटेड यानी 4-स्टार और 5-स्टार हैं। टॉप रेटेड फंड एयूएम (Regular Plan) की हिस्सेदारी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के लिए 90 फीसदी है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की 90 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी के मुकाबले, एसबीआई म्यूचुअल फंड 69 फीसदी, यूटीआई एमएफ 67 फीसदी, कोटक एमएफ 50 फीसदी, एक्सिस एमएफ 49 फीसदी और निप्पॉन 41 फीसदी है। जबकि आईडीएफसी एमएफ के पास 4-स्टार और 5-स्टार रेटेड फंडों में अपने व्यक्तिगत एयूएम का 15 प्रतिशत हिस्सा है। एचडीएफसी एमएफ और आदित्य बिरला के पास 10 फीसदी हिस्सा भी नहीं है। दूसरे छोर पर, आईसीआईसीआई प्रू, एसबीआई, कोटक और मिरै एक और दो-स्टार रेटेड फंड एयूएम (regular plan) में 'शून्य' हिस्सेदारी वाले बड़े फंड-हाउस हैं। इस प्रकार के फंड जोखिम-समायोजित (risk-adjusted) रेटिंग में सबसे नीचे होते हैं। आईसीआईसीआई प्रू के डायरेक्ट प्लान का 84 फीसदी एयूएम 4-स्टार और 5-स्टार फंड में है। इसकी तुलना में बिरला की हिस्सेदारी शून्य है जबकि एचडीएफसी की महज 4 फीसदी और आईडीएफसी की 28 फीसदी है। कोटक, निप्पॉन, एसबीआई, एक्सिस और यूटीआई के पास 4-स्टार और 5-स्टार फंड में संबंधित डायरेक्ट प्लान एयूएम का 51-74 फीसदी हिस्सा है।
आमतौर पर रिस्क-रिटर्न के आधार पर स्कीम के प्रदर्शन को मापने के लिए लंबी अवधि के डेटा (3-5 वर्ष) के विभिन्न सेटों का उपयोग कर उसकी रेटिंग की जाती है। जहां तक रेटिंग देने का सवाल है तो 5-10 फीसदी फंड को 5-स्टार रेटिंग दी जाती है। इसी तरह, अगले 15-20 प्रतिशत को 4-स्टार रेटिंग दी जाती है और इसी तरह आगे रेटिंग किया जाता है। यह रेटिंग निवेश के लिए पैसे जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि उच्च रेटिंग का मतलब लांग टर्म परफॉरमेंस में स्थिरता है। सरल शब्दों में कहें तो यदि किसी फंड की रेटिंग अधिक है, तो इसका मतलब है कि फंड ने जोखिम-समायोजित (risk-adjusted) बेसिस पर बेहतर प्रदर्शन किया है।
एसेट अंडर मैनेजमेंट में कौन आगे?
एमएफ ट्रैकर वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि जब 4-स्टार और 5-स्टार रेटेड फंड में अपने व्यक्तिगत एयूएम की हिस्सेदारी की बात आती है तो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल अपने सभी बड़े साथियों से आगे निकल जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो इसकी ज्यादातर इक्विटी और हाइब्रिड स्कीम टॉप रेटेड यानी 4-स्टार और 5-स्टार हैं। टॉप रेटेड फंड एयूएम (Regular Plan) की हिस्सेदारी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के लिए 90 फीसदी है।
कौन है कहां
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की 90 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी के मुकाबले, एसबीआई म्यूचुअल फंड 69 फीसदी, यूटीआई एमएफ 67 फीसदी, कोटक एमएफ 50 फीसदी, एक्सिस एमएफ 49 फीसदी और निप्पॉन 41 फीसदी है। जबकि आईडीएफसी एमएफ के पास 4-स्टार और 5-स्टार रेटेड फंडों में अपने व्यक्तिगत एयूएम का 15 प्रतिशत हिस्सा है। एचडीएफसी एमएफ और आदित्य बिरला के पास 10 फीसदी हिस्सा भी नहीं है। दूसरे छोर पर, आईसीआईसीआई प्रू, एसबीआई, कोटक और मिरै एक और दो-स्टार रेटेड फंड एयूएम (regular plan) में 'शून्य' हिस्सेदारी वाले बड़े फंड-हाउस हैं। इस प्रकार के फंड जोखिम-समायोजित (risk-adjusted) रेटिंग में सबसे नीचे होते हैं। आईसीआईसीआई प्रू के डायरेक्ट प्लान का 84 फीसदी एयूएम 4-स्टार और 5-स्टार फंड में है। इसकी तुलना में बिरला की हिस्सेदारी शून्य है जबकि एचडीएफसी की महज 4 फीसदी और आईडीएफसी की 28 फीसदी है। कोटक, निप्पॉन, एसबीआई, एक्सिस और यूटीआई के पास 4-स्टार और 5-स्टार फंड में संबंधित डायरेक्ट प्लान एयूएम का 51-74 फीसदी हिस्सा है।
रैटिंग कैसे की जाती है
आमतौर पर रिस्क-रिटर्न के आधार पर स्कीम के प्रदर्शन को मापने के लिए लंबी अवधि के डेटा (3-5 वर्ष) के विभिन्न सेटों का उपयोग कर उसकी रेटिंग की जाती है। जहां तक रेटिंग देने का सवाल है तो 5-10 फीसदी फंड को 5-स्टार रेटिंग दी जाती है। इसी तरह, अगले 15-20 प्रतिशत को 4-स्टार रेटिंग दी जाती है और इसी तरह आगे रेटिंग किया जाता है। यह रेटिंग निवेश के लिए पैसे जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि उच्च रेटिंग का मतलब लांग टर्म परफॉरमेंस में स्थिरता है। सरल शब्दों में कहें तो यदि किसी फंड की रेटिंग अधिक है, तो इसका मतलब है कि फंड ने जोखिम-समायोजित (risk-adjusted) बेसिस पर बेहतर प्रदर्शन किया है।