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Gold Loan or Personal Loan: पैसे की है जरूरत तो कौन सी सुविधा का उपयोग करें?

कोविड-19 (Covid-19) वैश्विक-महामारी में, ढेरों लोगों को आमदनी या तो खत्म हो गई या फिर घट गई। ऐसे में घर चलाने और कुछ जरूरी काम के लिए पैसे की समस्या खड़ी हो गई है। इस समस्या से निपटने के लिए उधार भी लेना पड़ रहा है। लेकिन, अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए सबसे सही लोन प्रोडक्ट (Loan Product) का चुनाव करना जरूरी है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 24 Aug 2020, 10:39 am
BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी का कहना है कि गोल्ड लोन (Gold Loan)और पर्सनल लोन (Personal Loan) ऐसे ही दो सबसे लोकप्रिय लोन प्रोडक्ट हैं। इन दोनों प्रोडक्ट के इंटरेस्ट रेट (Interest Rate), चार्ज, और फीचर्स अलग-अलग हैं। इसलिए, इन दोनों फाइनेंसिंग फैसिलिटीज (Financial facilities) में से किसी एक का चुनाव कैसे करना चाहिए? इसका जवाब जानने के लिए, आइए इन दोनों लोन प्रोडक्ट के फीचर्स पर नजर डालते हैं।
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Gold Loan or Personal Loan: पैसे की है जरूरत तो कौन सी सुविधा का उपयोग करें?


गोल्ड लोन

गोल्ड लोन लेने के लिए आपको सोना ही गिरवी रखना पड़ता है। सोना का मतलब है, सोने की चीजें, जैसे- गहने, सिक्के, सोने की छड़ या बार (Gold Bar) इत्यादि गिरवी रखना पड़ता है। यदि गोल्ड लोन लेन वाला लोन लेने की अवधि के अंदर मूल धन और ब्याज की पूरी राशि जमा नहीं करता है तो लोन देने वाली कंपनी गिरवी रखे गए सोने को बेच कर अपनी भरपाई करने के लिए स्वतंत्र होता है।

सोने की वैल्यू पर निर्भर

गोल्ड लोन का अमाउंट, उधारदाता के पास गिरवी रखे जाने वाले सोने के वैल्यू पर डिपेंड करता है। हाल ही में, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने उधारदाताओं को लोन-टू-वैल्यू (LTV) थ्रेसहोल्ड को, गिरवी रखे जाने वाले सोने के वैल्यू के 70% से बढ़ाकर 90% करने की इजाजत दी है। उदाहरण के लिए, यदि गिरवी रखे जाने वाले सोने का वैल्यू 1 लाख रुपये है तो अब एक उधारदाता उसके बदले 90,000 रु. तक का गोल्ड लोन दे सकता है।

टेन्योर अलग अलग

अलग-अलग लोन कंपनी में गोल्ड लोन का टेन्योर अलग-अलग होता है। गोल्ड लोन देने वाली एनबीएफसी, आम तौर पर 3 महीने से 3 साल के बीच की अवधि के लिए लोन देती है। गोल्ड लोन का इंटरेस्ट, लोन देने वाली कंपनी, लोन लेने का टेन्योर और लोन के आकार के आधार पर तय होता है। एक तरह से कहें तो गोल्ड लोन पर इंटरेस्ट रेट 7 फीसदी से 29 फीसदी सालाना के आसपास रह सकता है।

लोन के लिए क्या जरूरी कागजात

गोल्ड लोन पाने के लिए, आइडेंटिटी प्रूफ (PAN, AAdhar, इत्यादि), एड्रेस प्रूफ (आधार, वोटर आईडी कार्ड, इत्यादि) और लोन कंपनी की शर्तों के आधार पर कुछ अन्य डॉक्यूमेंट्स सबमिट करने पड़ते हैं। गोल्ड लोन में प्रोसेसिंग फीस, गोल्ड वैल्यूएशन चार्ज, डॉक्यूमेंटेशन फीस, और लोन कंपनी की शर्तों के आधार पर फोरक्लोजर चार्ज भी देना पड़ सकता है। इसे एक टर्म लोन या ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी के रूप में लिया जा सकता है, जिससे रीपेमेंट में फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है।

पर्सनल लोन

पर्सनल लोन एक अनसिक्योर्ड लोन प्रोडक्ट है, यानी यह लोन लेने के लिए कुछ गिरवी रखना नहीं पड़ता है। लेकिन, बैंक यह लोन देने से पहले लोन आवेदक का क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट इतिहास चेक करते हैं। पर्सनल लोन का इंटरेस्ट रेट अलग-अलग बैंक में अलग-अलग होता है जो उधारकर्ता के क्रेडिट स्कोर, लोन अमाउंट, टेन्योर, इत्यादि के आधार पर आम तौर पर 8.5 फीसदी से 25 फीसदी प्रतिवर्ष के बीच होता है। इसका लोन टेन्योर अलग-अलग लोन कंपनी में अलग-अलग होता है जो 1 साल से 5 साल के बीच होता है। इस लोन को EMI में चुकाना होता है।

क्या जरूरी है कागजात

अधिकांश बैंक, पर्सनल लोन पर प्रोसेसिंग फीस और प्रीपेमेंट और पार्ट-प्रीपेमेंट चार्ज भी लेते हैं। लोन आवेदकों को आइडेंटिटी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ और इनकम प्रूफ जैसे डॉक्यूमेंट्स सबमिट करने पड़ते हैं। सैलरी और सेल्फ-एम्पलॉयमेंट वाले लोन आवेदकों को थोड़े अलग तरह के डॉक्यूमेंट्स सबमिट करने पड़ सकते हैं। यदि आपको एक प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन ऑफर मिला है तो आपको कम डॉक्यूमेंट्स सबमिट करने पड़ेंगे। बैंक आम तौर पर आवेदक की आमदनी और क्रेडिट योग्यता को ध्यान में रखते हुए पर्सनल लोन का अमाउंट और इंटरेस्ट रेट तय करते हैं।

तो, कौन-सा लोन प्रोडक्ट आपके लिए ज्यादा सूटेबल है?

जिस तरह हर व्यक्ति की आवश्यकता अलग अलग होती है, उसी तरह हर व्यक्ति के लिए लोन प्रोडक्ट भी एक नहीं हो सकते। आपके लिए कौन सा लोन प्रोडक्ट बढ़िया है, यह तो निर्भर करता है आपके लोन की जरूरत क्या है, आपके पास जमानत की उपलब्धता क्या है और आपका क्रेडिट स्कोर क्या है। आइए, जानते हैं कि इसका फैसला किन मापदंडों के आधार पर किया जात है।

जमानत की उपलब्धता

यदि आपके पास सोना (Gold) या एफडी (FD) के कागजात या बांड (Bond paper) जैसे पर्याप्त जमानत हैं और आप उसे गिरवी रखकर लोन लेना चाहते हैं तो गोल्ड लोन (Gold Loan) लेना बेहतर होगा। इसे गिरवी रख कर आप लोन लेते हैं तो इसका इंटरेस्ट रेट (Interest Rate) थोड़ा कम होता है। यदि आपके पास गिरवी रखने के लिए कुछ नहीं है तो पर्सनल लोन जैसी अनसिक्योर्ड फाइनेंसिंग फैसिलिटी का लाभ लेना बेहतर होगा।

लोन की जरूरत

आपको पहले देखना होगा कि आपके लोन की जरूरत क्या है? यदि लोन की जरूरत ज्यादा रकम की है, तो आपको ज्यादा जमानत का भी इंतजाम करना होगा। यदि आपके पास मौजूद जमानत का वैल्यू, आपकी लोन सम्बन्धी जरूरत से कम है तो पर्सनल लोन (Personal Loan) लेना ही ठीक रहेगा। पर्सनल लोन में आपको अपनी जरूरत के अनुसार पर्सनल लोन अमाउंट मिल सकता है।

क्रेडिट स्कोर

क्रेडिट स्कोर का मतलब सिबिल स्कोर से है। यदि किसी का सिबिल स्कोर 750 से 800 है तो इसे बढ़िया माना जाता है। यदि आपका क्रेडिट स्कोर ख़राब है तो आपको पर्सनल लोन नहीं भी मिल सकता है। यदि खराब क्रेडिट स्कोर के बावजूद कोई बैंक या एनबीएफसी आपको लोन देने के लिए तैयार है तो उसका इंटरेस्ट रेट, अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों की तुलना में बहुत ज्यादा होगा। ऐसी परिस्थिति में, गोल्ड लोन लेना बेहतर होगा लेकिन इसके लिए आपके पास जरूरी जमानत होना चाहिए।

आमदनी की स्थिरता

पर्सनल लोन लेने में लोन लेने वाले की आमदनी देखी जाती है। वेतनभोगी व्यक्तियों को आमतौर पर आसानी से पर्सनल लोन मिल जाता है लेकिन स्वरोजगार या दैनिक मजदूरी करने वालों को इसे लेने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ते हैं। सीधे सीधे कहें तो यदि, आपके पास आमदनी का स्थिर स्रोत नहीं है, तो पर्सनल लोन मिलना मुश्किल हो सकता है। इसलिए, गोल्ड लेना अच्छा होगा क्योंकि ऐसे लोन पर क्रेडिट स्कोर का कम असर पड़ता है।

लोन प्रोडक्ट की तुलना भी जरूरी

कोई भी लोन प्रोडक्ट चुनने से पहले, अलग-अलग लोन प्रोडक्ट्स और उधारदाताओं की तुलना करें और आपकी जरूरतों को सबसे अच्छी तरह पूरा करने वाला और सबसे अच्छा रीपेमेंट ऑप्शन देने वाला प्रोडक्ट चुनें। तुलना करते समय इंटरेस्ट रेट के साथ-साथ प्रोसेसिंग फीस और फोरक्लोजर चार्ज का भी ध्यान रखें। इसके अलावा, प्रिफरेंशियल रेट्स और कम पेपरवर्क वाले प्री-अप्रूव्ड पर्सनल लोन ऑफरों के बारे में भी मालूम करें। अंत में, एक उचित रीपेमेंट प्लान बनाना न भूलें क्योंकि लोन न चुका पाने पर आपका बेशकीमती एसेट हाथ से जा सकता है, एडिशनल इंटरेस्ट पेनाल्टी देनी पड़ सकती है, कर्ज बढ़ता चला जाएगा, और क्रेडिट स्कोर ख़राब हो सकता है।

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