एनपीएस से टैक्स बचाने में मदद
साल 2015 में जब अनिल जाजू की कंपनी ने एनपीएस संबंधी सुविधा शुरू की तो उन्होंने टैक्स बचाने के इस मौके को दोनों हाथ से लपक लिया। इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80(ccd) (2) के तहत किसी एंप्लॉई की बेसिक सैलरी का 10 फ़ीसदी एनपीएस में डालने पर वह टैक्स फ्री हो जाता है। यह वास्तव में टैक्स बचत का एक ऐसा उपाय है जिसे अधिकतर लोग अपनाना चाहते हैं। नेशनल पेंशन सिस्टम वास्तव में आपकी 3 तरीके से टैक्स बचाने में मदद करता है।
तीन सेक्शन के तहत टैक्स बचत
एनपीएस में आप जो निवेश करते हैं वह इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80c के तहत टैक्स बचत के लायक है। अगर आपने इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80c के तहत पहले ही डेढ़ लाख रुपए का निवेश कर लिया है तो आप सेक्शन 80(ccd) (1b) के तहत ₹50,000 का निवेश कर इस पर अतिरिक्त टैक्स छूट पा सकते हैं। अगर आपकी सैलरी का 10 फ़ीसदी एनपीएस में डाल दिया जाए तो इस पर सेक्शन 80(ccd)(2) के तहत टैक्स बचत का लाभ मिलता है।
कितना बचेगा टैक्स
अगर किसी व्यक्ति ने पिछले 6 साल में एनपीएस में 14 लाख रुपये का निवेश किया है तो उसे 4.36 लाख रुपये का टैक्स बचाने में मदद मिल सकती है। अगर आप इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80(ccd)(1b) के तहत एनपीएस में निवेश करते हैं आपको ओवरऑल रिटर्न कमाने में काफी मदद मिल सकती है। वास्तव में इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80 के तहत निवेश करने के लिए बहुत से विकल्प हैं और एनपीएस में निवेश करने पर ₹50,000 की तक की रकम पर अतिरिक्त डिडक्शन की सुविधा बहुत बड़ी सुविधा है।
पेंशन, रिटर्न, टैक्स बचत
अगर कोई व्यक्ति 30 फ़ीसदी टैक्स ब्रैकेट में आता है तो एनपीएस में ₹50,000 के निवेश से उसे ₹15600 तक का टैक्स बचाने में मदद मिल सकती है। इस हिसाब से एनपीएस में निवेश से आपको प्रभावी रूप से काफी फायदा हो सकता है। अगले 25 साल में सालाना सात फीसदी रिटर्न से एनपीएस में 50,000 रुपये के निवेश से 34 लाख रुपये जोड़े जा सकते हैं। इसमें रिटायर होने के बाद ₹20 लाख की रकम आपको टैक्स फ्री मिल सकती है, जबकि जीवन भर ₹8000 की मासिक पेंशन पाई जा सकती है।
एनपीएस की और जानकारी
सरकारी के साथ प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला कोई भी कर्मचारी अपनी मर्जी से NPS योजना में शामिल हो सकता है। रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी एनपीएस का एक हिस्सा निकाल सकते हैं और बाकी रकम से रिटायरमेंट के बाद रेगुलर इनकम के लिए एन्युटी ले सकते हैं। NPS योजना में दो तरह के अकाउंट होते हैं। टियर-1 और टियर-2। हर सब्सक्राइबर को एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (पीआरएएन) उपलब्ध कराया जाता है। इस पर 12 अंकों का एक नंबर होता है। यही नंबर सभी लेनदेन में काम आता है।