नई दिल्ली
साल 2019 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रीपो रेट में लगातार कटौती किया। इस साल रीपो रेट में 1.35 फीसदी की कटौती की गई। रेट कट से लोन लेने वालों का तो फायदा हुआ, लेकिन फिक्स्ड इनकम में निवेश करने वालों निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा। बैंकों ने FD (फिक्स्ड डिपॉजिट्स) पर इंट्रेस्ट रेट को घटा दिया है। 5-10 साल की अवधि वाले डिपॉजिट्स पर SBI ने इंट्रेस्ट रेट घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया। सीनियर सिटिजन्स के लिए यह 6.75 फीसदी है। हालांकि मुकाबले में को-ऑपरेटिव बैंक ज्यादा इंट्रेस्ट रेट ऑफर कर रहे हैं। 1 जनवरी से कारोबार पर असर डालेंगे ये 8 बदलाव
एफडी से बेहतर रिटर्न
एफडी की तुलना में सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम्स (SCSS), प्रधानमंत्री व्यय वंदना योजना (PMVVY), नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSCs)और आरबीआई बॉन्ड ( RBI bonds) पर बेहतर रिटर्न मिल रहा है। 2020 में एफडी की तुलना में इन विकल्पों का चयन किया जा सकता है। हालांकि, PMVVY और SCSS केवल सीनियर सिटिजन्स के लिए है और दोनों स्कीम्स में अधिकतम 15-15 लाख तक निवेश कर सकते हैं, लेकिन नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट और आरबीआई बॉन्ड में कोई लिमिट नहीं है।
अब तक रिटर्न फाइल नहीं किया तो क्या होगा?
रेगुलर इनकम का भी ऑप्शन
जो निवेशक अब तक रेगुलर इनकम के लिए एफडी में निवेश करते आ रहे हैं उनके लिए रिजर्व बैंक का बॉन्ड एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि इसमें हर छह महीने में इंट्रेस्ट पेमेंट मिलता है। फिलहाल इस पर 7.75 फीसदी का एश्योर्ड रिटर्न मिल रहा है। फिनविन फाइनैंशल प्लानर्स के फाउंडर मेलविन जोसेफ का कहना है कि बहुत सारे निवेशकों को इस सुविधा के बारे में पता नहीं है, इसलिए वे एफडी में ही निवेश करते हैं।
RBI बॉन्ड के बारे में बड़ी बातें
1. इसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी किया जाता है जिसपर 7.75 फीसदी का एश्योर्ड फिक्स्ड रिटर्न मिलता है।
2. RBI बॉन्ड पर हर छह महीने में रिटर्न मिलता है।
3. इसे NRI निवेशक नहीं खरीद सकते हैं।
4. आरबीआई बॉन्ड की फेस वैल्यू 1000 रुपये है और न्यूनतम निवेश इससे कम नहीं हो सकता है।
5. इसमें निवेश करने की सीमा नहीं है। निवेशक कितनी भी राशि निवेश कर सकता है।
6. यह बॉन्ड 7 सालों के लिए होता है।
7. अगर निवेशक हर छह महीने पर रिटर्न नहीं लेता है तो 7 साल के बाद उसे हर बॉन्ड के बदले (जिसकी कीमत 1000 रुपये है) 1703 रुपये मिलेंगे।
8. अगर वह रिटर्न लेता है तो साल में दो बार- 1 अगस्त और 1 फरवरी को रिटर्न मिलता है।
9. सीनियर सिटिजन्स के लिए रिजर्व बैंक का बॉन्ड निवेश के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। 60-70 उम्र के बुजुर्ग के लिए लॉक-इन पीरियड 6 साल, 70-80 साल के उम्र के बुजुर्ग के लिए लॉक-इन पीरियड 5 साल और 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए लॉक-इन पीरियड 4 साल है।
10. जानकारी के लिए बता दें कि RBI बॉन्ड टैक्सेबल होता है।
साल 2019 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रीपो रेट में लगातार कटौती किया। इस साल रीपो रेट में 1.35 फीसदी की कटौती की गई। रेट कट से लोन लेने वालों का तो फायदा हुआ, लेकिन फिक्स्ड इनकम में निवेश करने वालों निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा। बैंकों ने FD (फिक्स्ड डिपॉजिट्स) पर इंट्रेस्ट रेट को घटा दिया है। 5-10 साल की अवधि वाले डिपॉजिट्स पर SBI ने इंट्रेस्ट रेट घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया। सीनियर सिटिजन्स के लिए यह 6.75 फीसदी है। हालांकि मुकाबले में को-ऑपरेटिव बैंक ज्यादा इंट्रेस्ट रेट ऑफर कर रहे हैं।
एफडी से बेहतर रिटर्न
एफडी की तुलना में सीनियर सिटिजन्स सेविंग स्कीम्स (SCSS), प्रधानमंत्री व्यय वंदना योजना (PMVVY), नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSCs)और आरबीआई बॉन्ड ( RBI bonds) पर बेहतर रिटर्न मिल रहा है। 2020 में एफडी की तुलना में इन विकल्पों का चयन किया जा सकता है। हालांकि, PMVVY और SCSS केवल सीनियर सिटिजन्स के लिए है और दोनों स्कीम्स में अधिकतम 15-15 लाख तक निवेश कर सकते हैं, लेकिन नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट और आरबीआई बॉन्ड में कोई लिमिट नहीं है।
अब तक रिटर्न फाइल नहीं किया तो क्या होगा?
रेगुलर इनकम का भी ऑप्शन
जो निवेशक अब तक रेगुलर इनकम के लिए एफडी में निवेश करते आ रहे हैं उनके लिए रिजर्व बैंक का बॉन्ड एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि इसमें हर छह महीने में इंट्रेस्ट पेमेंट मिलता है। फिलहाल इस पर 7.75 फीसदी का एश्योर्ड रिटर्न मिल रहा है। फिनविन फाइनैंशल प्लानर्स के फाउंडर मेलविन जोसेफ का कहना है कि बहुत सारे निवेशकों को इस सुविधा के बारे में पता नहीं है, इसलिए वे एफडी में ही निवेश करते हैं।
RBI बॉन्ड के बारे में बड़ी बातें
1. इसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी किया जाता है जिसपर 7.75 फीसदी का एश्योर्ड फिक्स्ड रिटर्न मिलता है।
2. RBI बॉन्ड पर हर छह महीने में रिटर्न मिलता है।
3. इसे NRI निवेशक नहीं खरीद सकते हैं।
4. आरबीआई बॉन्ड की फेस वैल्यू 1000 रुपये है और न्यूनतम निवेश इससे कम नहीं हो सकता है।
5. इसमें निवेश करने की सीमा नहीं है। निवेशक कितनी भी राशि निवेश कर सकता है।
6. यह बॉन्ड 7 सालों के लिए होता है।
7. अगर निवेशक हर छह महीने पर रिटर्न नहीं लेता है तो 7 साल के बाद उसे हर बॉन्ड के बदले (जिसकी कीमत 1000 रुपये है) 1703 रुपये मिलेंगे।
8. अगर वह रिटर्न लेता है तो साल में दो बार- 1 अगस्त और 1 फरवरी को रिटर्न मिलता है।
9. सीनियर सिटिजन्स के लिए रिजर्व बैंक का बॉन्ड निवेश के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है। 60-70 उम्र के बुजुर्ग के लिए लॉक-इन पीरियड 6 साल, 70-80 साल के उम्र के बुजुर्ग के लिए लॉक-इन पीरियड 5 साल और 80 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों के लिए लॉक-इन पीरियड 4 साल है।
10. जानकारी के लिए बता दें कि RBI बॉन्ड टैक्सेबल होता है।