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आखिर क्यों नीति आयोग ने दिया इन 3 सरकारी बैंकों को बेचने का सुझाव, जानिए वजह

नीति आयोग ने मोदी सरकार को 3 बैंकों के निजीकरण का सुझाव (NITI Aayog recommends privatisation of 3 banks) दिया है। सवाल ये है कि आखिर मोदी सरकार को नीति आयोग ने ऐसा सुझाव क्यों दिया है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 1 Aug 2020, 9:44 pm
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम why niti aayog recommends modi government to privatise these 3 public sector banks here is the reason
आखिर क्यों नीति आयोग ने दिया इन 3 सरकारी बैंकों को बेचने का सुझाव, जानिए वजह

नीति आयोग ने हाल ही में सरकार को सुझाव दिया है कि वह पब्लिक सेक्टर के तीन बैंकों का निजीकरण कर दे। यानी इन तीनों बैंकों में से अपनी हिस्सेदारी बेच दे, जिससे इनका मालिकाना हक निजी हाथों में चला जाएगा। ये बैंक हैं पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र। तीन बैंकों के निजीकरण के साथ-साथ नीति आयोग ने ग्रामीण बैंकों के मर्जर का भी सुझाव दिया था। आइए जानते हैं नीति आयोग ने क्यों दिया है इन तीन बैंकों के निजीकरण का सुझाव।


लगातार हो रहा घाटा सबसे बड़ी वजह

इन बैंकों के निजीकरण का सुझाव दिए जाने के पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि इन बैंकों को लगातार घाटा हो रहा है। सरकार की इन बैंकों में हिस्सेदारी होने की वजह से इस घाटे का सीधा असर सरकार की आय पर पड़ रहा है। ऐसे में नीति आयोग ने इससे निपटने का रास्ता निकालते हुए इनके निजीकरण का सुझाव दिया है। आइए जानते हैं इन बैंकों को कितना घाटा हुआ है।

पंजाब एंड सिंध बैंक

2019-20 की चौथी तिमाही में पंजाब एंड सिंध बैंक का घाटा बढ़कर 236.30 करोड़ रुपये हो गया है। घाटा बढ़ने की वजह है फंसे कर्ज के लिए प्रवाधान बढ़ाना। इसी अवधि में एक साल पहले भी बैंक को 58.57 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। कुछ दिन पहले ही इस बैंक ने 112 करोड़ रुपये का फ्रॉड होने की सूचना दी थी। इस बैंक में भी फ्रॉड के 67 मामले सामने आए हैं, जिसके तहत 397 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। यानी ये बैंक सरकार के लिए सिर्फ एक घाटे का सौदा है, जिसे निजी हाथों में सौंपकर सरकार बाहर निकलना चाहती है।

यूको बैंक

वैसे तो यूको बैंक ने इस बार जून में खत्म हुई तिमाही में 21.45 करोड़ रुपये का फायदा कमाया है, लेकिन पिछले साल इसी अवधि में बैंक को 601.45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। हालांकि, ब्याज से हुई कमाई में 5.11 फीसदी की कटौती हुई है। इतना ही नहीं साल दर साल के आधार पर कमाई 0.2 फीसदी गिरी है। यूको बैंक में 119 फ्रॉड के मामले भी सामने आए हैं, जिनकी कुल रकम करीब 5,384 करोड़ रुपये है नुकसान से बचने के लिए नीति आयोग ने सरकार को इसे बेचने का सुझाव दिया है।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र

इस बैंक में भी फ्रॉड के करीब 413 मामले सामने आए हैं, जिनके तहत 3391 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सामने आई है। ये बैंक भी सरकार के कंट्रोल से बाहर ही जाता दिख रहा है। यही वजह है कि सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने इसके निजीकरण का सुझाव दिया है।

बस 5 सरकारी बैंक बचेंगे

इसी सप्ताह की शुरुआत में इस बात की खबरें भी आ रही थीं कि सरकार नुकसान में चल रही इंडिया पोस्ट को ग्रामीण बैंकों के साथ विलय कर सकती है। इसके बाद एक नया पब्लिक सेक्टर बैंक बनेगा, जो नुकसान को मात दे सकेगा। भारत सरकार अपने आधे से भी अधिक पब्लिक सेक्टर बैंकों का निजीकरण करने की योजना बना रही है। योजना ये है कि इनकी संख्या घटाकर 5 पर ले आया जाए। इसकी शुरुआत बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक के अपने शेयर्स बेचने से हो सकती है।

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