ऐपशहर

अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए केंद्र ने लॉन्च किए 350 प्रॉजेक्ट्स, प्राइवेट सेक्टर करेगा 38,000 करोड़ का निवेश

केंद्र सरकार ने रविवार को 350 प्रॉजेक्ट्स लॉन्च किए। इनमें करीब दो लाख मकान बनाए जाएंगे। इन्हें प्राइवेट सेक्टर के 38,000 करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट से तैयार किया जाएगा। यह केंद्र सरकार की अफोर्डेबल हाउजिंग स्कीम में कॉर्पोरेट्स की ओर से पहली बड़ी पहल होगी।

पीटीआई 10 Apr 2017, 8:48 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम government launch 350 affordable housing projects
अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए केंद्र ने लॉन्च किए 350 प्रॉजेक्ट्स, प्राइवेट सेक्टर करेगा 38,000 करोड़ का निवेश

केंद्र सरकार ने रविवार को 350 प्रॉजेक्ट्स लॉन्च किए। इनमें करीब दो लाख मकान बनाए जाएंगे। इन्हें प्राइवेट सेक्टर के 38,000 करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट से तैयार किया जाएगा। यह केंद्र सरकार की अफोर्डेबल हाउजिंग स्कीम में कॉर्पोरेट्स की ओर से पहली बड़ी पहल होगी। प्राइम मिनिस्टर ऑफिस ने शनिवार को प्राइवेट रियल एस्टेट डिवेलपर्स के साथ एक मीटिंग की थी। मीटिंग का मकसद 'गतिरोधों' को दूर करना था ताकि '2022 तक सभी के लिए आवास' से जुड़ी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

हाउजिंग ऐंड अर्बन पावर्टी अलीविएशन मिनिस्टर एम वेंकैया नायडू ने गुजरात के गांधीनगर में हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स को लॉन्च किया। कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवेलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के मेंबर्स इन मकानों को बनाने में करीब 38000 करोड़ रुपये निवेश करेंगे। इन मकानों की लागत 15 से 30 लाख रुपये की रेंज में होगी और हर मकान को बनाने की औसत लागत 18 लाख रुपये होगी।

सबसे ज्यादा एक लाख मकान महाराष्ट्र में बनाए जाएंगे। उसके बाद नैशनल कैपिटल रीजन में 41921 मकान, गुजरात में 28465, कर्नाटक में 7,037 और उत्तर प्रदेश में 6055 मकान बनाए जाएंगे।

'826 हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स 4 साल तक की देर के शिकार'
देश में कम से कम 826 हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स को करीब तीन से चार साल तक की देरी का सामना करना पड़ रहा है। यह बात एक स्टडी में कही गई है। इंडस्ट्री बॉडी ऐसोचैम की स्टडी के मुताबिक, दिसंबर 2016 के आखिर तक 2,300 से ज्यादा रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स डिवेलप किए जा रहे थे, इनमें से 826 हाउजिंग और 60 कमर्शल प्रॉजेक्ट्स को ठीक-ठाक देरी का सामना करना पड़ रहा है।

पंजाब में सबसे ज्यादा 48 महीने की देरी देखने को मिली है। इसके बाद तेलंगाना में 45 महीने, पश्चिम बंगाल में 44 महीने, उड़ीसा में 44 महीने और हरियाणा में 44 महीने की देरी प्रॉजेक्ट्स में हुई है। वहीं, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रॉजेक्ट्स में 42 महीने की देरी हुई है। महाराष्ट्र में प्रॉजेक्ट्स को हकीकत में बदलने में 39 महीने की देरी हुई, जबकि कर्नाटक में सबसे कम 31 महीने की देरी देखी गई। राजस्थान और केरल के प्रॉजेक्ट्स कर्नाटक के बराबर की देरी झेल रहे हैं।

कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स में औसतन 39 महीने की देरी हुई है। पब्लिक सेक्टर प्रॉजेक्ट्स में 39.03 महीनों और प्राइवेट सेक्टर प्रॉजेक्ट में 39.63 महीने की देरी हुई है। एक बयान के मुताबिक, 'रियल एस्टेट और हाउजिंग सेक्टर कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। कई रेगुलेटर्स और अथॉरिटीज से जरूरी मंजूरी हासिल करने की प्रक्रिया में काफी समय और कॉस्ट लगती है। प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में होने वाली यह देरी न केवल हाउजिंग सेक्टर में इन्वेस्टमेंट्स को हतोत्साहित करती है, बल्कि इससे देरी के साथ भ्रष्टाचार को बढ़ावा को मिलता है।'

ऐसोचैम ने कहा है कि रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स को मंजूरी देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को एक सिंगल-विंडो सिस्टम लाना चाहिए। सरकार को रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स के रेग्युलेटर के बजाय फेसिलिटेटर के रूप में काम करना चाहिए।

अगला लेख

Businessकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग