[ ईटी ब्यूरो | मुंबई ]
देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के ट्रेडिंग सिस्टम का फोरेंसिक टेस्ट करने वाली बाहरी एजेंसी ने अपनी जांच में पाया कि उसके एल्गोरिद्मिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और को-लोकेशन फैसिलिटी के साथ छेड़छाड़ होने का बड़ा रिस्क था। उसने अपनी जांच में यह भी पाया कि कुछ स्टॉक ब्रोकर्स को उसके सर्वर्स तक बेजा एक्सेस मिला हुआ था। एनएसई ने इन बातों का जिक्र अपने आईपीओ डॉक्युमेंट में किया है।
एनएसई को इंडिपेंडेंट एजेंसी ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी है। एजेंसी ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि एनएसई के टिक-बाय-टिक सिस्टम आर्किटेक्चर को देखने से लगता था कि डेटा क्रमबद्ध तरीके से प्रसारित होता है। इसमें जो स्टॉक ब्रोकर सबसे पहले सर्वर से कनेक्ट होता था, उसको अपने से बाद में कनेक्ट होने वाले स्टॉक ब्रोकर से पहले टिक या मार्केट फीड मिलता था।
एजेंसी ने बताया, 'एनएसई में अलग-अलग स्टॉक ब्रोकर्स से अलग तरह का व्यवहार किया जाता था और मौजूदा सर्वर के पोर्ट्स पर और एक सर्वर से दूसरे सर्वर में मूवमेंट पर नए आईपी के आवंटन में एकसमान तरीका नहीं अपनाया जाता था। जो ब्रोकिंग मेंबर्स कम भीड़ वाले सर्वर से कनेक्ट होते थे, उनको दूसरों से पहले टिक मिलती थी जिससे उनको दूसरे ब्रोकर्स पर एडवांटेज मिल जाती थी।'
एनएसई ने कहा कि इंडिपेंडेंट एजेंसी ने एनालिसिस में यह पाया कि एक खास स्टॉक ब्रोकर 10 दिसंबर 2012 से 30 मई 2014 के बीच लगातार सेकेंडरी सर्वर से सबसे पहले जुड़ता रहा है। एजेंसी ने पाया कि इस पीरियड में उस स्टॉक ब्रोकर को सेकेंडरी सर्वर का एक्सेस लगातार मिलते रहना और उसका एनएसई के संबंधित एंप्लॉयी की नजर में ना आना मुमकिन नहीं था। उस एंप्लॉयी के नाम का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। उस एंप्लॉयी ने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जबकि किसी का सेकेंडरी सर्वर से लगातार कनेक्ट रहना प्रोटोकॉल के खिलाफ है।
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उसको अपनी जांच में एनएसई के कुछ खास एंप्लॉयी की तरफ से कुछ स्टॉक ब्रोकर्स के साथ विशेष व्यवहार किए जाने की बात का पता चला था। हालांकि रिपोर्ट में यह नहीं लिखा गया है कि उनके बीच किसी तरह की सांठगांठ थी। रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि एनसएई के पास टिक-बाय-टिक सिस्टम की कार्यप्रणाली के विभिन्न पहलुओं को लेकर कोई लिखित पॉलिसी और प्रोटोकॉल नहीं था। एनएसर्इ फोरेंसिक ऑडिट के लिए डेलॉयट इंडिया को अप्वाइंट किया था। एक्सचेंज ने कहा कि उसने सितंबर से नवंबर 2016 के बीच को लोकेशन फैसिलिटी से मिले 145.52 करोड़ रुपये का रेवेन्यू अलग बैंक एकाउंट में डाला है।