वी वैद्यनाथन का सपना था कि वह किसी बैंक को हेड करें। उन्हें यह मौका ICICI बैंक को छोड़ने के नौ साल बाद मिला है। सिटी बैंक में काम कर चुके वैद्यनाथन IDFC फर्स्ट बैंक के CEO हैं। IDFC बैंक और कैपिटल फर्स्ट के मर्जर से बने इस बैंक के CEO ने जोएल रेबेलो को दिए इंटरव्यू में अपनी प्राथमिकताओं के बारे में बताया। पेश हैं इंटरव्यू के मुख्य अंश:
हालिया NBFC क्राइसिस की वजह सस्ते फंड या कासा की कमी रही है। आप सही वक्त पर बैंक बने हैं, अब क्या करेंगे?
बड़ा मौका इंडियन ईकोसिस्टम के पॉजिटिव फैक्टर्स से मिलेगा। फाइनेंशियल सेविंग्स जीडीपी के 10% के बराबर यानी 260 अरब डॉलर है। आठ साल में इंडिया 5 लाख करोड़ डॉलर की इकनॉमी हो जाएगी और फाइनेंशियल सेविंग्स 750 अरब डॉलर तक पहुंच जाएंगी। अभी ब्रांच खोलना अहम रहेगा। हमारे पास अभी 200 ब्रांच हैं। अगले 4-5 साल में लगभग 500 ब्रांच और खोले जाएंगे। छोटे उद्यमियों, व्यापारियों और कंपनियों के लिए शानदार पेमेंट सॉल्यूशंस डिवेलप करने की जरूरत है। मेरे हिसाब से अगर हम तीनों काम कर लें तो अच्छा खासा कासा बेस बना लेंगे। इस बीच रेट्स पर भी नजर होगी। जो भी चेंज होगा, सभी कस्टमर्स पर लागू होगा।
आप अब एक बैंक के सीईओ हैं। यहां आपका काम NBFC से कैसे अलग होगा?
बैंकिंग लाइसेंस बहुमूल्य होता है, इसे बड़ी जिम्मेदारी से संभालना पड़ेगा। हमारा मकसद कस्टमर्स को ज्यादा वैल्यू ऑफर करना और लोगों का भरोसा जीतना होगा। मैंने 2010 में जब से ICICI को छोड़ा है, हमेशा कहता रहा हूं कि हमारा लॉन्ग टर्म विजन बैंक बनना है। एक बैंक के पास ज्यादा लोन, डिपॉजिट, इनवेस्टमेंट और प्रोटेक्शन प्रॉडक्ट्स होते हैं। यह कस्टमर्स की कई जरूरतें पूरा करनेवाला प्लेटफॉर्म है। सबसे बड़ी बात यह है कि एक बैंक डिपॉजिट के जरिए लाइबिलिटीज में डायवर्सिफिकेशन लाता है। यह हमारे लिए मौका था और दोनों संस्थानों के लिए बड़ा मौका है।
बहुत से बैंक का रिटर्न रेशियो बड़ा खराब है। बेहतर प्रॉफिटेबिलिटी के लिए आपका क्या प्लान होगा?
मर्जर से बैंक की एवरेज यील्ड बढ़ेगी क्योंकि कैपिटल फर्स्ट की लोन बुक की यील्ड बहुत ज्यादा है। कैपिटल फर्स्ट की एवरेज लेंडिंग यील्ड 12%-16% है। बैंकिंग प्लेटफॉर्म बनने से NBFC के मुकाबले कॉस्ट ऑफ फंड में कमी आएगी और मार्जिन बढ़ेगा। अभी बैंक का एनआईएम 1.7% है और आगे इसमें बढ़ोतरी ही होगी क्योंकि हम उसमें ऊंची यील्ड वाली लोन बुक ऐड कर रहे हैं। कॉस्ट में समय के साथ कमी आएगी। इन सबसे रिटर्न और प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार आएगा। हम अगले दो तीन साल में ब्रांच, स्टाफ और टेक्नोलॉजी में निवेश करेंगे। हम आंकड़े नहीं दे सकते लेकिन हम बेहतर रिटर्न देंगे। बैंक के कामकाज में बदलाव लाएंगे।
बहुत से प्राइवेट बैंक स्टाफ घटा रहे हैं। टेक्नोलॉजी पर फोकस से आपका मतलब कम स्टाफ रखना है?
हम ग्रोथ बैंक हैं और हमें हमेशा टैलेंट की जरूरत होगी। IDFC बैंक के 200 ब्रांच में ज्यादातर भर्तियां रिटेल लाइबिलिटी साइड में हुई हैं। हमारे पास होलसेल साइड में भी स्टाफ हैं। कैपिटल फर्स्ट में ज्यादातर एंप्लॉयी रिटेल लोन साइड में हैं, इसलिए दोनों में कोई टकराव की स्थिति नहीं है। अगर कुछ होता है तो मुझे लीडर के तौर पर उनको सुलझाना होगा। हमारा मकसद एंप्लॉयीज को बनाए रखना है।
हालिया NBFC क्राइसिस की वजह सस्ते फंड या कासा की कमी रही है। आप सही वक्त पर बैंक बने हैं, अब क्या करेंगे?
बड़ा मौका इंडियन ईकोसिस्टम के पॉजिटिव फैक्टर्स से मिलेगा। फाइनेंशियल सेविंग्स जीडीपी के 10% के बराबर यानी 260 अरब डॉलर है। आठ साल में इंडिया 5 लाख करोड़ डॉलर की इकनॉमी हो जाएगी और फाइनेंशियल सेविंग्स 750 अरब डॉलर तक पहुंच जाएंगी। अभी ब्रांच खोलना अहम रहेगा। हमारे पास अभी 200 ब्रांच हैं। अगले 4-5 साल में लगभग 500 ब्रांच और खोले जाएंगे। छोटे उद्यमियों, व्यापारियों और कंपनियों के लिए शानदार पेमेंट सॉल्यूशंस डिवेलप करने की जरूरत है। मेरे हिसाब से अगर हम तीनों काम कर लें तो अच्छा खासा कासा बेस बना लेंगे। इस बीच रेट्स पर भी नजर होगी। जो भी चेंज होगा, सभी कस्टमर्स पर लागू होगा।
आप अब एक बैंक के सीईओ हैं। यहां आपका काम NBFC से कैसे अलग होगा?
बैंकिंग लाइसेंस बहुमूल्य होता है, इसे बड़ी जिम्मेदारी से संभालना पड़ेगा। हमारा मकसद कस्टमर्स को ज्यादा वैल्यू ऑफर करना और लोगों का भरोसा जीतना होगा। मैंने 2010 में जब से ICICI को छोड़ा है, हमेशा कहता रहा हूं कि हमारा लॉन्ग टर्म विजन बैंक बनना है। एक बैंक के पास ज्यादा लोन, डिपॉजिट, इनवेस्टमेंट और प्रोटेक्शन प्रॉडक्ट्स होते हैं। यह कस्टमर्स की कई जरूरतें पूरा करनेवाला प्लेटफॉर्म है। सबसे बड़ी बात यह है कि एक बैंक डिपॉजिट के जरिए लाइबिलिटीज में डायवर्सिफिकेशन लाता है। यह हमारे लिए मौका था और दोनों संस्थानों के लिए बड़ा मौका है।
बहुत से बैंक का रिटर्न रेशियो बड़ा खराब है। बेहतर प्रॉफिटेबिलिटी के लिए आपका क्या प्लान होगा?
मर्जर से बैंक की एवरेज यील्ड बढ़ेगी क्योंकि कैपिटल फर्स्ट की लोन बुक की यील्ड बहुत ज्यादा है। कैपिटल फर्स्ट की एवरेज लेंडिंग यील्ड 12%-16% है। बैंकिंग प्लेटफॉर्म बनने से NBFC के मुकाबले कॉस्ट ऑफ फंड में कमी आएगी और मार्जिन बढ़ेगा। अभी बैंक का एनआईएम 1.7% है और आगे इसमें बढ़ोतरी ही होगी क्योंकि हम उसमें ऊंची यील्ड वाली लोन बुक ऐड कर रहे हैं। कॉस्ट में समय के साथ कमी आएगी। इन सबसे रिटर्न और प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार आएगा। हम अगले दो तीन साल में ब्रांच, स्टाफ और टेक्नोलॉजी में निवेश करेंगे। हम आंकड़े नहीं दे सकते लेकिन हम बेहतर रिटर्न देंगे। बैंक के कामकाज में बदलाव लाएंगे।
बहुत से प्राइवेट बैंक स्टाफ घटा रहे हैं। टेक्नोलॉजी पर फोकस से आपका मतलब कम स्टाफ रखना है?
हम ग्रोथ बैंक हैं और हमें हमेशा टैलेंट की जरूरत होगी। IDFC बैंक के 200 ब्रांच में ज्यादातर भर्तियां रिटेल लाइबिलिटी साइड में हुई हैं। हमारे पास होलसेल साइड में भी स्टाफ हैं। कैपिटल फर्स्ट में ज्यादातर एंप्लॉयी रिटेल लोन साइड में हैं, इसलिए दोनों में कोई टकराव की स्थिति नहीं है। अगर कुछ होता है तो मुझे लीडर के तौर पर उनको सुलझाना होगा। हमारा मकसद एंप्लॉयीज को बनाए रखना है।