[ आशुतोष आर श्याम | ईटीआईजी ]
जब भी निवेशकों में घबराहट बढ़ती है, डिफेंसिव स्टॉक्स में निवेश बढ़ जाता है। देश की सबसे बड़ी पावर ट्रांसमिशन कंपनी पावर ग्रिड के शेयरों में पिछले एक महीने में निवेशकों की दिलचस्पी बहुत ज्यादा बढ़ी है। इस कंपनी की प्रॉफिट ग्रोथ आगे चलकर बढ़िया रहने वाली है और इसकी ग्रोथ भी तेज बनी रहेगी। इसके साथ यह डिफेंसिव स्टॉक भी है। इसी वजह से पिछले एक महीने में पावर ग्रिड ने बेंचमार्क इंडेक्स से 14 पर्सेंट अधिक रिटर्न दिया है।
पावर ग्रिड की अर्निंग रेगुलेटेड इक्विटी पर 15.5 पर्सेंट फिक्स्ड रिटर्न ऑन इक्विटी (आरओई) से तय होती है, जो ग्रॉस ब्लॉक (या प्लांट, प्रॉपर्टी और बिना डेप्रिसिएशन के इक्विपमेंट की वैल्यू) में इक्विटी एक्सपोजर के अनुपात में होता है। अभी अधिक प्रोजेक्ट कमीशन होने से कंपनी का ग्रॉस ब्लॉक बढ़ रहा है, जिसे तकनीकी भाषा में कैपिटलाइजेशन कहते हैं। इसलिए उसकी अर्निंग ग्रोथ भी तेज बनी हुई है। इसलिए अगर किसी साल में कंपनी के कैपिटल एक्सपेंडिचर से कैपिटलाइजेशन अधिक है तो पावर ग्रिड की अर्निंग ग्रोथ के लिए यह पॉजिटिव बात है।
फाइनेंशियल ईयर 2016 में पहली बार कंपनी का कैपिटलाइजेशन रेशियो उसके कैपिटल एक्सपेंडिचर से ज्यादा रहा। यह ट्रेंड 2020 तक बना रह सकता है। फाइनेंशियल ईयर 2017 से 2019 के बीच कुल कैपिटलाइजेशन 84,000 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है, जबकि इस दौरान कैपिटल एक्सपेंडिचर 72,600 करोड़ रुपये रह सकता है। इससे मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में रेगुलेटेड इक्विटी में 19 पर्सेंट और अगले फिस्कल ईयर में 16 पर्सेंट बढ़ेगी। इसी हिसाब से कंपनी की प्रॉफिट ग्रोथ भी बढ़ेगी।
पावर ग्रिड को 1.2 लाख करोड़ के इनवेस्टमेंट की मंजूरी मिली हुई है। इससे आने वाले कुछ साल में कंपनी की अर्निंग विजिबिलिटी का अंदाजा लगाया जा सकता है। कंपनी यह ग्रोथ 1.6 लाख करोड़ के एसेट बेस से हासिल करने जा रही है। फाइनेंशियल ईयर 2017 के दूसरे क्वॉर्टर में पावर ग्रिड की प्रॉफिट ग्रोथ 29 पर्सेंट रही क्योंकि इसके एसेट कैपिटलाइजेशन में बड़े एचवीडीसी प्रोजेक्ट्स के पूरा होने से तेज बढ़ोतरी हुई। कंपनी ने सितंबर क्वॉर्टर में 6,700 करोड़ के एसेट्स कैपिटलाइज्ड किए। इस तिमाही में उसका कैपिटल एक्सपेंडिचर 5,300 करोड़ रुपये रहा।
इंटरेस्ट रेट में गिरावट से भी पावर ग्रिड को फायदा होगा। इससे रिटर्न ऑन इक्विटी पर कंपनी का फिस्क्ड इनकम सिक्योरिटीज की तुलना में स्प्रेड बढ़ जाएगा। इनवेस्टर्स यूटिलिटी कंपनियों के आरओई की तुलना बॉन्ड यील्ड से करते हैं। अगर दोनों के बीच स्प्रेड बढ़ता है तो फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज की तुलना में यूटिलिटी स्टॉक्स का अट्रैक्शन बढ़ जाता है। अभी बॉन्ड यील्ड में गिरावट आ रही है। इससे पावर ग्रिड का अट्रैक्शन बढ़ रहा है। एनालिस्टों के अनुमान के मुताबिक, रिस्क फ्री रेट में आधा पर्सेंट की गिरावट आने पर पावर ग्रिड और एनटीपीसी के शेयरों की वैल्यू डिस्काउंटेड कैश फ्लो के आधार पर 8-10 पर्सेंट बढ़ सकती है।