[ राजेश मैस्करनेस | मुंबई ]
बोस्टन बेस्ड फंड मैनेजर जीएमओ ने हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस (HFCL) में पिछले दो ट्रेडिंग सेशंस में 1.5 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदी है। जीएमओ के इमर्जिंग मार्केट्स क्वॉलिटी फंड ने बुधवार और गुरुवार को दो बल्क डील्स के जरिए कंपनी के 1.95 करोड़ शेयर खरीदे। इससे इन दो सेशंस में इसके शेयर 32 पर्सेंट उछल गए।
बुधवार को फंड ने HFCL के 1.108 करोड़ शेयर यानी कंपनी की टोटल होल्डिंग का 0.89 पर्सेंट हिस्सा 23.92 रुपये प्रति शेयर के भाव पर खरीदा था। गुरुवार को जीएमओ ने 87.49 लाख शेयर 28.13 रुपये के भाव पर खरीदे।
एनालिस्टों ने कहा कि कंपनी की बैलेंस शीट पिछले चार वर्षों में सुधरी है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी के फाउंडर और सीईओ जी चोक्कालिंगम ने कहा, 'कंपनी के कारोबार की रिस्ट्रक्चरिंग होने के बाद फाइनेंशियल ईयर 2014 से इसके फाइनेंशियल्स में सुधार आया है। हालांकि करेंट लेवल पर यह शेयर खरीदने लायक तो नहीं है।'
HFCL ऑप्टिक फाइबर केबल्स (OFC) बनाने और टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए इक्विपमेंट एंड एग्जिक्यूशन ऑफ टर्नकी कॉन्ट्रैक्ट्स के बिजनेस में है। फाइनेंशियल ईयर 2015 के दौरान HFCL ने जीएसएम इक्विपमेंट बनाना शुरू किया था।
31 मतार्च 2017 को खत्म साल के दौरान कंपनी ने 2378 करोड़ रुपये की नेट सेल्स दर्ज की थी। वह आंकड़ा सालभर पहले की समान अवधि में दर्ज आंकड़े से 17 पर्सेंट कम था। फाइनेंशियल ईयर 2017 में कंपनी का नेट प्रॉफिट सालभर पहले के मुकाबले 21 पर्सेंट घटकर 123.71 करोड़ रुपये रहा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज की इनवेस्टमेंट इकाई रिलायंस इंडस्ट्रीज इनवेस्टमेंट्स एंड होल्डिंग्स की HFCL में 30 जून को 3.92 पर्सेंट हिस्सेदारी थी।
इस शेयर से अधिकतर बड़े निवेशक परहेज करते रहे हैं। इसकी वजह फॉर्मर स्टॉक ब्रोकर केतन पारेख के साथ HFCL की कथित सांठगांठ थी। पारेख को साल 1998 से 2001 के बीच शेयर मार्केट में जोड़तोड़ करने के आरोप में दोषी करार दिया गया था। मार्च 1999 से मार्च 2000 के बीच HFCL का शेयर 54 रुपये से उछलकर 2415 रुपये पर पहुंच गया था। इस तरह इसमें लगभग 4355 पर्सेंट का उछाल आया था। साल 2010 में HFCL ने मामला कंसेंट ऑर्डर के जरिए सेबी के साथ निपटाया था।
इंडिपेंडेंट मार्केट एनालिस्ट अंबरीश बलिगा ने कहा, 'कंपनी की कारोबारी संभावनाएं बेहतर तो हुई हैं, लेकिन निवेशकों को यह देखने के लिए इंतजार करना चाहिए कि पारेख से जुड़े दिनों की छाया से कंपनी कैसे बाहर आती है।'