[ सैकत दास | मुंबई ]
एचडीएफसी सहित इंडियाबुल्स हाउसिंग, डीएचएफएल, एलआईसी हाउसिंग, जीआईसी हाउसिंग, पीएनबी हाउसिंग जैसी टॉप रेटिंग वाली हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के शेयर 52 हफ्ते के पीक पर पहुंच गए हैं क्योंकि इनवेस्टर्स की दिलचस्पी इनमें बनी हुई है। सरकार ने 2022 तक सभी को घर दिलाने का वादा किया है। मार्केट एनालिस्टों का मानना है कि इससे हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के बिजनेस में तेजी आएगी। निवेशकों को लग रहा है कि इनकी रेटिंग भी बढ़ सकती है।
इस बारे में इकरा में फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग्स के ग्रुप हेड कार्तिक श्रीनिवासन ने बताया, 'हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों का भविष्य अच्छा दिख रहा है क्योंकि सरकार इस सेक्टर के लिए जोर लगा रही है। इस सेगमेंट में एसेट क्वॉलिटी की टेंशन भी नहीं है। नोटबंदी का भी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर बुरा असर नहीं पड़ा है।' श्रीनिवासन ने कहा कि फंडिंग कॉस्ट कम होने से हाउसिंग फाइनेंस फर्म्स के इंटरेस्ट मार्जिन को भी सपोर्ट मिल रहा है। उन्होंने बताया, 'यह सेक्टर अच्छा परफॉर्म कर रहा है। रेटिंग रिवीजन होने पर अलग-अलग कंपनी पर उसका अलग-अलग असर होगा।'
देश की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी के शेयर 1,556 रुपये के साल भर के पीक पर पहुंच गए थे, लेकिन उसके बाद कुछ गिरावट के साथ मंगलवार को ये 1,548 रुपये पर बंद हुए। इसमें 21 पर्सेंट से अधिक की तेजी आई। ईटीआईजी के डेटा से पता चलता है कि मंगलवार को करीब 8 हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के शेयर 52 हफ्ते के पीक पर पहुंचे। इस वित्त वर्ष में अब तक इन स्टॉक्स ने 3-42 पर्सेंट का रिटर्न दिया है। मिसाल के लिए, जीआईसी हाउसिंग फाइनेंस का शेयर मार्च अंत के बाद से 42.63 पर्सेंट चढ़ चुका है। पिछले एक साल में प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टर्स भी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
मैक्वायरी कैपिटल के एनालिस्ट सुरेश गणपति ने बताया, 'प्रधानमंत्री आवास योजना के चलते इनवेस्टर्स को लोन की मांग बढ़ने की उम्मीद है। जब दूसरे सेगमेंट में लोन ग्रोथ सुस्त है, तब इन हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की लोन ग्रोथ डबल डिजिट में रही है। इन बातों से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और उन्हें लॉन्ग टर्म में इन कंपनियों का प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद है।' उन्होंने कहा, 'रेगुलेटरी ढील से भी यह सेक्टर अट्रैक्टिव हो गया है।' मिसाल के लिए सेबी ने इस साल की शुरुआत में डेट ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स के लिए हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में एक्सपोजर लिमिट में ढील दी थी। इसके बाद डेट फंड्स अपने नेट एसेट्स का 15 पर्सेंट तक हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश कर सकते हैं, जबकि पहले इसकी लिमिट 10 पर्सेंट थी। इससे हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की फंडिंग कॉस्ट कम हुई है।