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सरकारी पावर और ऑइल कंपनियों में निवेश करें: एक्सपर्ट

सरकारी ऑइल और पावर कंपनियों में निवेश के मौके हैं। सरकारी कंपनियां कम वैल्यूएशन पर मिल रही हैं...

इकनॉमिक टाइम्स 7 May 2018, 8:56 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम Investment-Tips

कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी देश के लिए अच्छी नहीं है, लेकिन पावर और सरकारी तेल कंपनियों के शेयर कम वैल्यूएशन पर मिल रहे हैं। इकनॉमिक टाइम्स के प्रशांत महेश को दिए इंटरव्यू में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर शंकरन नरेन ने कहा कि बाजार सस्ता नहीं है। मिड और स्मॉल कैप के साथ क्वॉलिटी स्टॉक्स महंगे हैं। उन्होंने कहा कि निवेशकों को इस साल कम रिटर्न के लिए तैयार रहना चाहिए। पेश हैं इंटरव्यू के खास अंश...

1. फरवरी और मार्च के करेक्शन के बाद अप्रैल में बेंचमार्क इंडेक्स में रिकवरी हुई और निफ्टी अभी 26.51 के पीई पर ट्रेड कर रहा है। क्या ऐसी सूरत में निवेशक बाजार से पैसा बना पाएंगे?

इन लेवल पर मार्केट सस्ता नहीं है। मिड और स्मॉल कैप सेगमेंट में शेयरों का वैल्यूएशन काफी अधिक है, जबकि लार्ज कैप जिन सेक्टर्स के शेयर सस्ते हैं, वे सस्ते ही बने रहेंगे। क्वॉलिटी स्टॉक्स का वैल्यूएशन अधिक है। इन सबके बावजूद मार्केट में पैसा लगातार आ रहा है, जिससे वैल्यूएशन ऊंचा बना हुआ है। प्राइस अर्निंग (पीई) टु जीडीपी जैसे मानकों पर बाजार सस्ता नहीं है। हालांकि, भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जहां कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ में अभी रिकवरी शुरू नहीं हुई है। शेयर बाजार में बुलबुला भी नहीं बना है, जो अच्छी बात है। इसलिए निवेशक यहां से बाजार से बहुत पैसा नहीं बना सकते। उन्हें कुछ कम रिटर्न के लिए तैयार रहना चाहिए।

2. 2016 की शुरुआत के सबसे निचले स्तर से ब्रेंट क्रूड का दाम 47 डॉलर प्रति बैरल (यानी 170 पर्सेंट) तक बढ़ा है। आज यह 75 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है। कई ट्रेडर्स और तेल का निर्यात करने वाले देशों का कहना है कि इसमें और बढ़ोतरी हो सकती है। क्या कच्चे तेल की ऊंची कीमत आपको परेशान कर रही है?

तेल के दाम में तेजी ने हमारी चिंता बढ़ा दी है। इसमें 1 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से देश का इंपोर्ट बिल 7,500-8,000 करोड़ रुपये बढ़ जाता है। हमारे चालू खाता घाटे में भी इसी तरह से बढ़ोतरी होती है, जो अभी 1.2 अरब डॉलर है। ऐसा होने पर फिक्स्ड इनकम मार्केट कमजोर होता है, रुपये में गिरावट आती है, महंगाई बढ़ती है। ऐसे में महंगाई दर को कम करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ती है, जिसका अपना असर होता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के सामने ईरान पर पाबंदी के बारे में फैसला करने के लिए 12 मई की डेडलाइन है। फंडामेंटली ऑइल जिस लेवल पर है, वहां से उसके दाम कम होने चाहिए। हालांकि, ट्रंप ईरान को लेकर जो फैसला करेंगे, उसका ऑयल प्राइसेज पर असर पड़ सकता है।

3. चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर का भारत पर क्या असर होगा?

ट्रेड वॉर का भारत पर बहुत असर नहीं होगा। हमारे जीडीपी में एक्सपोर्ट सेक्टर का अधिक योगदान नहीं है। मेरा मानना है कि ग्लोबल ट्रेड का भारत को बहुत फायदा नहीं मिला है। हम एक्सपोर्टर से ज्यादा इंपोर्टर हैं। इसलिए इसका भारत पर बहुत असर नहीं होगा।

4. मार्च क्वॉर्टर में कंपनियों का रिजल्ट अब तक कैसा रहा है?

कंपनियों के नतीजे अब तक ठीक-ठाक रहे हैं। कॉर्पोरेट बैंकों के रिजल्ट खराब रहेंगे, इसका बाजार को पहले से अंदाजा था। आगे चलकर कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद है। हाल में हमने एविएशन कंपनियों के नतीजे देखे, जो खराब रहे हैं। क्या इसका असर बाजार पर पड़ चुका है, इसका जवाब देना मुश्किल है। तेल के दाम में बढ़ोतरी और रुपये में कमजोरी का इन कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ पर असर हुआ है।

5. निवेशकों को अभी कहां पैसा लगाना चाहिए?

सरकारी ऑइल और पावर कंपनियों में निवेश के मौके हैं। सरकारी कंपनियां कम वैल्यूएशन पर मिल रही हैं। फाइनैशल सेक्टर की हालत में सुधार होगा और टेलिकॉम कंपनियों की स्थिति भी बेहतर होनी चाहिए। आईटी और फार्मा सेक्टर मार्च तिमाही में बॉटम आउट हो चुके हैं। हालांकि, मार्केट कंपनियों से अच्छी प्रॉफिट ग्रोथ की उम्मीद कर रहा है और इसी वजह से बाजार का वैल्यूएशन अधिक है। हम पावर यूटिलिटीज, करेक्शन के बाद टेलिकॉम, कॉर्पोरेट बैंक और फार्मा सेक्टर में निवेश कर रहे हैं।

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