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पांच साल के लिए स्मॉल कैप और मिड कैप फंड बेहतर दांव होंगे: SBI MF

तीन से पांच साल में कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ के हिसाब से रह सकती है। यह बात एसबीआई म्यूचुअल फंड्स के सीईओ नवनीत मनोट ने एक इंटरव्यू में कही है।

इकनॉमिक टाइम्स 1 Oct 2018, 8:30 am
नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम small cap and mid cap funds will be better bets for five years sbi mf
पांच साल के लिए स्मॉल कैप और मिड कैप फंड बेहतर दांव होंगे: SBI MF

तीन से पांच साल में कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ के हिसाब से रह सकती है। यह बात एसबीआई म्यूचुअल फंड्स के सीईओ नवनीत मनोट ने एक इंटरव्यू में कही है। पेश हैं ईटी नाउ के निकुंज डालमिया को दिए उनके इंटरव्यू के मुख्य अंश:

किसी बड़े मीडियम या स्मॉल कैप फंड में पांच साल का एसआईपी शुरू कर सकते हैं?

हर मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों में पैसा लगाने की कैपेसिटी वाले मल्टीकैप फंड या लार्ज या मिडकैप फंड कैटेगरी में पैसा लगाना सबसे अच्छा रहेगा। हमारे यहां बहुत से सेक्टर ऐसे हैं जिनकी सबसे बड़ी कंपनी एक स्मॉल कैप या मिड कैप फर्म है। निवेश के लिए मल्टीकैप फंड बहुत अच्छा रहेगा। अगर आपके पास रिस्क उठाने की कैपेसिटी है तो स्मॉल और मिडकैप सेगमेंट में स्टॉक पिकिंग के बॉटम अप अप्रोच में बहुत संभावना है। ऐसी बहुत सी कंपनियां हैं जिनकी लिस्टिंग होनी है। अगर मुझे पांच से ज्यादा समय के लिए पैसा लगाना हो तो मैं स्मॉल या मिड कैप फंड में SIP शुरू कर सकता हूं।

रे डैलियो के हिसाब से मार्केट में साइकिल चलती है और हमें वहां ऐसा होने के संकेत देने वाले फैक्टर्स पर गौर करना चाहिए। महंगे क्रूड, कमजोर रुपये और हाई मार्केट वैल्यूएशन वाला माहौल पिछली बार कब दिखा था? 2013 में क्रूड महंगा था, रुपया कमजोर था लेकिन मिड कैप बहुत सस्ते थे...

जब आपने रे डैलियो की बात उठाई है तो आपको उनका कमेंट भी याद होगा- पेन प्लस रिफ्लेक्शन इक्वल्स प्रोग्रेस। मतलब, पीड़ा होने पर प्रगति के लिए समस्या का समाधान निकालने की जरूरत होती है। हम चाहे कंपनी चलाने हों या निवेश करनेवाले हों, अगर पॉलिसीमेकर के तौर पर हम मुश्किल में गलतियों से सीखते हैं और राय बनाते हैं तो हम जल्द बेहतर स्थिति में होंगे। 2013 में हमारे सामने पॉलिसी पैरालिसिस से लेकर कमजोर मैक्रो फैक्टर्स की चुनौतियां थीं, लेकिन वैल्यूएशन सस्ता था। तब प्रॉफिट ग्रोथ एस्टीमेट बहुत ऊंचा था और अगले तीन-चार साल में प्रॉफिट ग्रोथ साइकिल जबरदस्त रहने का अनुमान लगाया जा रहा था, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, मार्केट की तेजी सीमित रही। अगले तीन से पांच साल तक मार्जिन और रेवेन्यू के मोर्चे पर होनेवाली जिन चुनौतियों की बात मैंने की है, उनके बावजूद मुझे लगता है कि नॉमिनल जीडीपी की तरह कॉरपोरेट प्रॉफिट ग्रोथ सामान्य रह सकती है।

प्रॉफिट ग्रोथ में तेजी कैसे आएगी?

सबसे बड़ा कारण स्ट्रेस्ड एसेट्स का रिजॉल्यूशन होगा। अगर देश के सबसे बड़े बैंक का रिटर्न ऑन एसेट्स 1 पर्सेंट पर आ जाए तो जरा सोचिए कि उससे निफ्टी पर कितना असर होगा? इसी तरह उन लोगों को देखिए जिन्होंने एक साल पहले आईटी सेक्टर या कुछ एक्सपोर्ट्स को खारिज कर दिया था। अब रुपये में कमजोरी के चलते नियर टर्म में वे फायदे में हैं। अगर ग्लोबल इकनॉमी अच्छा परफॉर्म कर रही है, अमेरिकी इकनॉमी ठोस है और कंपनियां कैपिटल एक्सपेंडिचर कर रही हैं तो जल्दी ही दूरी कंपनियां भी उनकी राह पर चल पड़ेंगी। इन सबसे कॉरपोरेट इंडिया को बहुत फायदा होगा।

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