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PF ब्याज पर टैक्स का आपके रिटर्न पर होगा क्या असर, जहां जानिए पूरी बात

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्‍त वर्ष से प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपये या उससे ज्‍यादा के PF (Provident Fund) योगदान पर मिलने वाले ब्‍याज को टैक्‍स के दायरे में लाने का प्रस्‍ताव रखा है। इस कदम से ज्‍यादा वेतन पाने वाले उन लोगों को नुकसान होगा जो टैक्‍स-फ्री इंटरेस्‍ट कमाने के लिए वॉलेंट्ररी प्रोविडेंट फंड (वीपीएफ) का इस्‍तेमाल करते हैं। हालांकि यह प्रस्तावित टैक्स केवल सालाना 2.5 लाख रुपये के योगदान पर लगेगा और केवल कर्मचारी के कंट्रीब्यूशन पर लगेगा। लेकिन इससे कई पीएफ सब्सक्राइबर्स परेशान हैं। आइए जानते हैं कि इसका किस पर होगा असर और कौन रहेगा बेअसर...

नवभारतटाइम्स.कॉम 8 Feb 2021, 12:32 pm
यह पहला मौका नहीं है जब सरकार ने पीएफ की रकम पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा है। 2016 के बजट में भी सरकार ने ईपीएफ में जमा के 60 फीसदी ब्‍याज पर टैक्‍स लगाने का प्रस्‍ताव किया था। इस नए टैक्‍स पर व्‍यापक स्‍तर पर विरोध के बाद सरकार ने इसे वापस ले लिया था। हालांकि इस बार ऐसी स्थिति नहीं है क्योंकि इससे केवल मोटी सैलरी पाने वाले कर्मचारी ही प्रभावित होंगे। वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस प्रस्ताव से केवल एक फीसदी पीएफ सब्सक्राइबर्स ही प्रभावित होंगे।
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PF ब्याज पर टैक्स का आपके रिटर्न पर होगा क्या असर, जहां जानिए पूरी बात



अगर बेसिक सैलरी हर महीने 173611 रुपये तक है?

अगर आपकी करेंट बेसिक सैलरी हर महीने 173611 रुपये तक है और आप VPF में योगदान नहीं कर रहे हैं तो आपको बजट में लगाए गए टैक्स से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। जिन लोगों की मौजूदा सैलरी इस स्तर से कम है, उन पर टैक्स का कोई असर नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि अनिवार्य ईपीएफ अंशदान बेसिक सैलरी का 12 फीसदी है। अगर आप 173611 रुपये के 12 फीसदी को 12 से गुणा करें तो यह रकम 2.5 लाख रुपये बैठती है। यानी अगर आपका कंट्रीब्यूशन हर महीने 20833 रुपये तक है तो आप नए टैक्स के दायरे से बाहर रहेंगे।

अगर आप VPF में कंट्रीब्यूट कर रहे हैं?

स्वैच्छिक भविष्य निधि (Voluntary Provident Fund) में ईपीएफ के साथ अधिकतम बेसिक सेलरी का 100 फीसदी कंट्रीब्यूट किया जा सकता है। मान लीजिए किसी व्यक्ति का ईपीएफ और वीपीएफ बराबर है। तो यह बेसिक सैलरी का 24 फीसदी होगा। इस तरह अगर कोई व्यक्ति ईपीएफ और वीपीएफ में 24 फीसदी योगदान कर रहा है और उसकी बेसिक सैलरी 86806 रुपये से कम है तो उस पर भी इस टैक्स का कोई असर नहीं होगा। अगर आपकी बेसिक सैलरी इससे अधिक है और आप वीपीएफ में 12 फीसदी से अधिक योगदान दे रहे हैं तो आप इससे प्रभावित हो सकते हैं। इससे बचने के लिए आपको अपना वीपीएफ योगदान कम करना होगा।

पीएफ पर कितना मिलेगा रिटर्न

वीपीएफ में जिसका कंट्रीब्यूशन जितना ज्यादा होगा, उसके रिटर्न उतना ही ज्यादा असर होगा। मान लीजिए की अगले साल भी पीएफ पर ब्याज 8.5 फीसदी रहता है तो 2.5 लाख रुपये तक के कंट्रीब्यूशन पर कोई टैक्स नहीं होगा। इससे ज्यादा राशि पर टैक्स और सरचार्ज लगेगा।

नए वेज कोड का असर

नया वेज कोड इस साल 1 अप्रैल से लागू हो सकता है। इसमें सैलरी की परिभाषा को व्यापक बनाया जा सकता है जिससे बेसिक सैलरी बढ़ सकती है। अगर ऐसा होता है तो 12 फीसदी ईपीएफ की रकम भी बढ़ जाएगी और कई लोगों का सालाना योगदान बढ़ जाएगा। इससे ऐसे लोग प्रभावित होंगे जिनकी बेसिक सैलरी तो कम है लेकिन कुल पारिश्रमिक (Remuneration) ज्यादा है। अगर आपकी बेसिक सैलरी कुल सैलरी का 30 फीसदी है तो यह 1.67 गुना बढ़ जाएगी और आप टैक्स के दायरे में आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में अगर आपकी बेसिक सैलरी 104167 रुपये है तो आप टैक्स से बच सकते हैं लेकिन इससे ज्यादा सैलरी होने पर आपको एक्सट्रा ईपीएफ कंट्रीब्यूशन पर मिले ब्याज पर टैक्स देना पड़ सकता है। बराबर वीपीएफ योगदान के मामले में अगर आपकी बेसिक सैलरी 52083 रुपये या उससे कम है तो आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अगर आपकी बेसिक सैलरी इससे अधिक है तो आपको वीपीएफ में योगदान कम करना होगा।

क्या पीपीएफ पर भी लगेगा ब्याज

कुछ लोगों को आशंका है कि 2.5 लाख रुपये की सीमा पीपीएफ पर भी लागू होगी। बजट दस्तावेजों में सेक्शन 10 (11) के तहत ब्याज का जिक्र किया गया है। पीपीएफ पर ब्याज इसी के दायरे में आता है। हालांकि अब तक इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है। अगर पीपीएफ को इसमें शामिल नहीं किया जाता है तो यह निवेशकों के लिए फिक्सड इनकम का सबसे बेहतर जरिया है। जिन निवेशकों को वीपीएफ में टैक्स का डर है वे पीपीएफ का रुख कर सकते हैं। यहां उन्हें ज्यादा रिटर्न मिलेगा और ब्याज पर टैक्स भी नहीं देना होगा। पीपीएफ में सालाना 1.5 लाख रुपये की सीमा खत्म होने के बाद ही उन्हें वीपीएफ में जाना चाहिए।

हाई वैल्यू यूलिप अब नहीं रहे आकर्षक

इसी तरह यूलिप में अगर साल में 2.5 लाख रुपये से ज्‍यादा के प्रीमियम का भुगतान करते हैं तो सेक्‍शन 10 (10डी) के तहत उपलब्‍ध टैक्‍स एग्‍जेम्‍पशन हटा दिया गया है। यह नियम मौजूदा यूलिप पर लागू नहीं होगा. सिर्फ इस साल एक फरवरी के बाद बेची गई पॉलिसियों पर ही यह प्रभावी होगा।

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