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करदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी, बिना सैलरी वाले लोग अब भी पीछे

देश में जब 8.6 लाख डॉक्टर थे तो उनमें से आधे से भी कम इनकम टैक्स देते थे। इसी तरह तीन में से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट टैक्स देता था। देश में कुछ किलोमीटर की ही दूरी पर नर्सिंग होम हैं जिनमें से केवल 13000 ही टैक्स देते हैं। सोमवार को आयकर...

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 23 Oct 2018, 4:45 pm
नई दिल्ली
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देश में जब 8.6 लाख डॉक्टर थे तो उनमें से आधे से भी कम इनकम टैक्स देते थे। इसी तरह तीन में से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट टैक्स देता था। देश में कुछ किलोमीटर की ही दूरी पर नर्सिंग होम हैं जिनमें से केवल 13000 ही टैक्स देते हैं। सोमवार को आयकर विभाग द्वारा जारी आंकड़े दिखाते हैं कि सैलरी पाने वाले लोगों और बिना सैलरी वालों द्वारा भरे गए टैक्स में बड़ा अंतर है।

पिछले चार साल के प्रयासों की वजह से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में 80 फीसदी का उछाल आया है। वहीं आईटी डिपार्टमेंट का कहना है कि करोड़पतियों द्वारा रिटर्न फाइलिंग में 68 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सैलरी वाले करदाताओं की संख्या में वृद्धि बिना सैलरी वालों से ज्यादा तेज है। हालांकि दोनों तरह के कुल करदाताओं की संख्या बराबर है।

पिछले चार साल में आय की घोषणा करने वाले सैलरी क्लास लोगों में 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है वहीं बिना सैलरी वाले लोग इस मामले में आगे हैं। नॉन सैलरीड क्लास में आय की घोषणा करने वालों की संख्या में 27 फीसदी का उछाल आया है। वहीं पिछले साल के मुकाबले इस साल फैशन डिजाइनर और नर्सिंग होम द्वारा दिए गए टैक्स में कमी आई है।

पिछले साल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 1 करोड़ से ऊपर की संपत्तियों के लेनदेन को स्कैन किया और मार्च तक अडवान्स टैक्स देने को कहा। इसी तरह बैंक डिपॉजिट से जुड़े डेटा को भी स्कैन किया जा रहा है। बता दें कि सीबीडीटी ने अपने अधिकारियों से विदेशों में पैसा जमा करने वालों की संपत्ति का जानकारी करने का आदेश दिया है।

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