नई दिल्ली
आयकर अधिनियम के तहत कर्मचारी को अपना पैन नंबर अपने कार्यालय के एचआर या अकाउंट डिपार्टमेंट को देना अनिवार्य है, क्योंकि अगर आपका इनकम टैक्स के दायरे में आता है तो उसपर टैक्स (टीडीएस) काटना कंपनी का दायित्व है। जब आपका नियोक्ता टीडीएस काटता है तो इसके लिए उसे आपके पैन या आधार नंबर देने की जरूरत पड़ती है। आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के TRACES पोर्टल पर टीडीएस की जानकारी ले सकते हैं। आइए, जानते हैं अगर आप अपने नियोक्त को अपना पैन नंबर देने में नाकाम होते हैं तो क्या हो सकता है। पैन कार्ड से जुड़े 5 नियम
1. अगर आपकी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता है तो आपको अपने पैन या आधार कार्ड की डीटेल अपने नियोक्ता को देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आयकर अधिनियम के सेक्शन 206AA के तहत आपका एंप्लॉयर आपकी सैलरी से टीडीएस नहीं काट सकता है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री है।
2. अगर आप अपने पैन कार्ड की डीटेल नहीं देते हैं तो आपका नियोक्ता आपकी सैलरी से 20% या उससे भी अधिक की दर से टीडीएस काट सकता है। हालांकि, सेक्शन 192 के तहत जिस कर्मचारी की टीडीएस काटी जानी है, अगर उसकी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो कोई टैक्स नहीं कटेगा।
3. चूंकि पिछले साल से टैक्सपेयर्स को पैन नंबर की जगह आधार नंबर देने की सुविधा मिल गई है, इसलिए आप 12 अंकों वाले आधार नंबर को भी पैन की जगह दे सकते हैं।
4. अगर आप पैन की जगह आधार नंबर दे रहे हैं तो यह सुनिश्चित कर लें सारे आंकड़े सही हों, क्योंकि आंकड़ा गलत होने की सूरत में आयकर अधिनियम, 1961 के सेक्शन 272B के तहत आप पर 10,000 रुपये का जुर्मान हो सकता है।
5. अगर अपने नियोक्ता को आपने पैन डीटेल नहीं दिया और उसने ज्यादा टीडीएस काट लिया है तो इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते वक्त आप टैक्स रिफंड क्लेम कर सकते हैं।
आयकर अधिनियम के तहत कर्मचारी को अपना पैन नंबर अपने कार्यालय के एचआर या अकाउंट डिपार्टमेंट को देना अनिवार्य है, क्योंकि अगर आपका इनकम टैक्स के दायरे में आता है तो उसपर टैक्स (टीडीएस) काटना कंपनी का दायित्व है। जब आपका नियोक्ता टीडीएस काटता है तो इसके लिए उसे आपके पैन या आधार नंबर देने की जरूरत पड़ती है। आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के TRACES पोर्टल पर टीडीएस की जानकारी ले सकते हैं। आइए, जानते हैं अगर आप अपने नियोक्त को अपना पैन नंबर देने में नाकाम होते हैं तो क्या हो सकता है।
1. अगर आपकी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता है तो आपको अपने पैन या आधार कार्ड की डीटेल अपने नियोक्ता को देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आयकर अधिनियम के सेक्शन 206AA के तहत आपका एंप्लॉयर आपकी सैलरी से टीडीएस नहीं काट सकता है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 2.5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री है।
2. अगर आप अपने पैन कार्ड की डीटेल नहीं देते हैं तो आपका नियोक्ता आपकी सैलरी से 20% या उससे भी अधिक की दर से टीडीएस काट सकता है। हालांकि, सेक्शन 192 के तहत जिस कर्मचारी की टीडीएस काटी जानी है, अगर उसकी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो कोई टैक्स नहीं कटेगा।
3. चूंकि पिछले साल से टैक्सपेयर्स को पैन नंबर की जगह आधार नंबर देने की सुविधा मिल गई है, इसलिए आप 12 अंकों वाले आधार नंबर को भी पैन की जगह दे सकते हैं।
4. अगर आप पैन की जगह आधार नंबर दे रहे हैं तो यह सुनिश्चित कर लें सारे आंकड़े सही हों, क्योंकि आंकड़ा गलत होने की सूरत में आयकर अधिनियम, 1961 के सेक्शन 272B के तहत आप पर 10,000 रुपये का जुर्मान हो सकता है।
5. अगर अपने नियोक्ता को आपने पैन डीटेल नहीं दिया और उसने ज्यादा टीडीएस काट लिया है तो इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते वक्त आप टैक्स रिफंड क्लेम कर सकते हैं।