बिल्कुल ऐसा ही है। दलबदल विरोधी कानून अपनी प्रासंगिकता और अहमियत खोता जा रहा है। जिस नेता को अपने दल और अपनी सरकार में कोई पद नहीं मिलता, वह दूसरे पाले में चला जाता है। कानून में कुछ ऐसी खामियां हैं, जिसके चलते पार्टी बदलने वाले जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है। इसके कारण जनता को भुगतना पड़ रहा है। - सिटिजन रिपोर्टर अनु हुड्डा
दलबदल विरोधी कानून अपनी प्रासंगिकता खो रहा है
नवभारतटाइम्स.कॉम 25 Jul 2019, 6:41 am