चाहे हाइवे हो या फिर गांव और शहर की सड़कें, ऑटो वाले इसी तरह से सवारियां भरकर चलते हैं। ड्राइवर वाली सीट पर भी 3 से 5 सवारियां तक बैठा ली जाती हैं। प्रशासन इसके बाद भी आंख बंद करके बैठा हुआ है। किसी दिन बड़ा हादसा होने के बाद ही सबकी आंखें खुलेंगी। आए दिन यहां नाबालिग भी ऑटो चलाते दिख जाते हैं, जिनके पास डीएल तक नहीं होता है।
खतरे में सवारियों की जान
नवभारतटाइम्स.कॉम 10 Jul 2017, 6:32 am