मुंबई
आप में लगन हो और कड़ी मेहनत करते हैं तो सफलता आपके कदम चूमेगी। इस बात को घाटकोपर की रहने वाली ऑटो ड्राइवर की बेटी स्टेफी पेरिरा ने सीए फाइनल क्लियर करके सही साबित कर दिखाया है।
स्टेफी ने ऑटो रिक्शा चलाने वाले अपने पिता फ्रांसिस पेरिरा से प्रेरणा हासिल करके सीए करने का फैसला किया। उनकी मां पास की सोसायटी में नौकरानी का काम करती हैं ताकि परिवार को दिक्कत न हो। उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं क्योंकि अब मैं अपने मां बाप के सपनों को पूरा कर सकती हूं। मेरे माता-पिता ने बहुत संघर्ष किया लेकिन मुझे कोई दिक्कत नहीं होने दी। मैं अपनी सफलता का श्रेय उनको देती हूं।'
स्टेफी के परिवार में उनकी बड़ी बहन अनीता और माता-पिता हैं। अनीता इंटीरियर डिजाइनर है। उनका परिवार घाटकोपर के लक्ष्मीनगर में एसआरए बिल्डिंग में किराये के अपार्टमेंट में रहता है। उन्होंने सीपीटी पहले प्रयास में ही क्लियर कर लिया था जबकि आईपीसीसी में पहले प्रयास में कुछ अंक से पास होते-होते रह गईं।
स्टेफी ने बताया कि वह रोजाना 13 घंटे से ज्यादा समय तक पढ़ती थी और ठाणे स्थित एक छोटे से पुस्तकालय में जाती थीं। उन्होंने बताया, 'मैं अपने कुछ सीए मित्र और अपने शिक्षकों समेत कई लोगों से परामर्श किया और एग्जाम की एक स्ट्रैटिजी बनाई। शुक्र है कि यह स्ट्रैटिजी काम कर गई।' स्टेफी ने अपनी खुद की टैक्स कंसल्टेंसी शुरू की है और अब इसके प्रसार पर गौर कर रही है।
आप में लगन हो और कड़ी मेहनत करते हैं तो सफलता आपके कदम चूमेगी। इस बात को घाटकोपर की रहने वाली ऑटो ड्राइवर की बेटी स्टेफी पेरिरा ने सीए फाइनल क्लियर करके सही साबित कर दिखाया है।
स्टेफी ने ऑटो रिक्शा चलाने वाले अपने पिता फ्रांसिस पेरिरा से प्रेरणा हासिल करके सीए करने का फैसला किया। उनकी मां पास की सोसायटी में नौकरानी का काम करती हैं ताकि परिवार को दिक्कत न हो। उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं क्योंकि अब मैं अपने मां बाप के सपनों को पूरा कर सकती हूं। मेरे माता-पिता ने बहुत संघर्ष किया लेकिन मुझे कोई दिक्कत नहीं होने दी। मैं अपनी सफलता का श्रेय उनको देती हूं।'
स्टेफी के परिवार में उनकी बड़ी बहन अनीता और माता-पिता हैं। अनीता इंटीरियर डिजाइनर है। उनका परिवार घाटकोपर के लक्ष्मीनगर में एसआरए बिल्डिंग में किराये के अपार्टमेंट में रहता है। उन्होंने सीपीटी पहले प्रयास में ही क्लियर कर लिया था जबकि आईपीसीसी में पहले प्रयास में कुछ अंक से पास होते-होते रह गईं।
स्टेफी ने बताया कि वह रोजाना 13 घंटे से ज्यादा समय तक पढ़ती थी और ठाणे स्थित एक छोटे से पुस्तकालय में जाती थीं। उन्होंने बताया, 'मैं अपने कुछ सीए मित्र और अपने शिक्षकों समेत कई लोगों से परामर्श किया और एग्जाम की एक स्ट्रैटिजी बनाई। शुक्र है कि यह स्ट्रैटिजी काम कर गई।' स्टेफी ने अपनी खुद की टैक्स कंसल्टेंसी शुरू की है और अब इसके प्रसार पर गौर कर रही है।