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NEET PG: OBC और EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, नीट काउंसलिंग पर जल्द होगा फैसला

NEET PG 2021 Counselling: OBC को 27 फीसदी और EWS छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसले के बाद नीट पीजी काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू होगी।

नवभारतटाइम्स.कॉम 23 Nov 2021, 11:46 am
अखिल भारतीय कोटा मेडिकल में OBC को 27 फीसदी और EWS छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करने के लिए केंद्र और चिकित्सा परामर्श समिति (एमसीसी) की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। केंद्र ने पिछली सुनवाई में कहा था कि NEET PG काउंसलिंग तब तक शुरू नहीं होगी जब तक कि सुप्रीम कोर्ट OBC और EWS के लिए आरक्षण की वैधता का फैसला नहीं कर लेती। मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज में 50 फीसदी सीटें केंद्रीय चिकित्सा परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से आवंटित की जाती हैं। 50 फीसदी AIQ सीटों के लिए NEET PG काउंसलिंग 25 अक्टूबर से शुरू होने वाली थी, लेकिन MCC ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद इसे स्थगित कर दिया था।
नवभारतटाइम्स.कॉम NEET PG: OBC, EWS कोटे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।


कई उम्मीदवार पूरी प्रवेश प्रक्रिया में देरी को लेकर भी चिंतित हैं और उनका कहना है कि अगर NEET PG 2021 की काउंसलिंग जल्द शुरू नहीं हुई तो यह एक शैक्षणिक वर्ष की बर्बादी हो सकती है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्न की बेंच ने आश्वासन दर्ज किया और कहा कि अगर कोर्ट के फैसले से पहले काउंसलिंग होती है, तो "छात्रों को एक गंभीर समस्या होगी।" न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "हम तब तक आपकी बात मानेंगे, जब तक कि छात्रों की काउंसलिंग नहीं की जाती है। हम आपकी बात मानेंगे कि जब तक हम कोई रास्ता तय नहीं करते हैं, तब तक काउंसलिंग शुरू नहीं हो रही है, अन्यथा छात्रों को एक गंभीर समस्या होगी।"

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21 अक्टूबर को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्या वह ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए तय की गई लाख वार्षिक आय की सीमा में कोई संशोधन करना चाहती है। कोर्ट ने सरकार को नीट पीजी काउंसलिंग में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों से जुड़ी पात्रता को भी स्पषट करने को कहा था।

इसके बाद 26 अक्टूबर को, केंद्र सरकार ने कोर्ट में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए 8 लाख की वार्षिक आय को स्पष्ट किया था। इसके लिए समाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामा भी दायर किया गया है, इसमें कहा कि राशि तय करने का सिद्धांत तर्कसंगत है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के अनुरूप है।

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