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UPSC: चंद्रकांता ने लगातार पांचवें प्रयास में हासिल की सफलता

मेहनत, लगन और संयम के बल पर इंसान मुश्किल चीजों को भी आसान बना सकता है और उसके लिए जीवन में...

नवभारतटाइम्स.कॉम 20 May 2016, 3:07 pm
जयशंकर बैरागी, नई दिल्ली
नवभारतटाइम्स.कॉम this ias achieves her goal in fifth attempt
UPSC: चंद्रकांता ने लगातार पांचवें प्रयास में हासिल की सफलता


मेहनत, लगन और संयम के बल पर इंसान मुश्किल चीजों को भी आसान बना सकता है और उसके लिए जीवन में सफलता की राहें खुल जाती हैं। सिविल सेवा की परीक्षा में 637वीं रैंक लाने वाली चंद्रकांता राठौड़ ने इस बात को सही साबित कर दिखाया है। उन्होंने पांचवे प्रयास में सिविल सेवा की परीक्षा पास की है। आमतौर पर छात्र दो से तीन प्रयास में सफल नहीं होने पर हिम्मत हार जाते हैं लेकिन चंद्रकांता ने अपने हौसले को पस्त नहीं होने दिया।

चंद्रकांता ने 12वीं तक की पढ़ाई राजस्थान के पाली जिले के अपने गांव लुणावा के सरकारी स्कूल से की। उसके बाद कमला नेहरू कॉलेज से बायॉलजी से बीएससी किया। इसके अलावा उन्होंने बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) और आईआईएमसी से पत्रकारिता का कोर्स भी किया है।

देश और समाज की सेवा का जज्बा

साइंस से ग्रैजुएशन के अलावा बीएड और पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद उनके पास करियर के काफी विकल्प थे। लेकिन, उन्होंने आईएएस को ही क्यों चुना, इस पर उनका कहना है कि आईएएस के कामकाज का क्षेत्र काफी व्यापक है। इसके अलावा उनको आईएएस में देश और समाज की सेवा करने का मौका मिलेगा। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और भाई को देती हैं जिन्होंने उनको प्रेरित किया। उनलोगों ने उनको असफलता से नहीं घबराने और कोशिश करते रहने की प्रेरणा दी।

आईएएस अभ्यर्थियों को संदेश

आईएएस की तैयारी करने वाले छात्रों को अपने संदेश में वह कहना चाहती हैं कि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं हो सकता है। वह कहती हैं कि असफलता से घबराना नहीं चाहिए, लगातार प्रयास करते रहने से सफलता जरूर मिलती है। आम छात्र एक बार असफल होने पर निराश हो जाते हैं और प्रयास करना छोड़ देते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए।

परीक्षा की तैयारी के बारे में उनका कहना है कि छात्रों को ज्यादा से ज्यादा लिखकर रिवाइज करने पर जोर देना चाहिए। किताबों का ज्यादा बोझ रखने को वह सही नहीं मानती हैं। चंद्रकांता मे मुख्य विषय में दर्शनशास्त्र को चुना था।

सफलता समर्पण मांगती है

चंद्रकांता बताती हैं कि तैयारी के दौरान उनका जीवन कई तरह की मुश्किलों से गुजरा लेकिन उन्होंने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा। वह बताती हैं, 'करीब 4 सालों तक मैं अपने दोस्तों, संबंधियों से कट सी गई थी, कई बार ऐसा लगता है कि राह और मंजिल दोनों बहुत मुश्किल हैं लेकिन मैंने अपनी तपस्या जारी रखी।'

हिंदी वाले भी कर सकते हैं

पिछले कुछ समय से देश की सबसे प्रतिष्ठित माने जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थियों में अंग्रेजी मीडियम के छात्रों की संख्या ज्यादा रही है। हिंदी मीडियम से पढ़ी चंद्रकांता मानती हैं कि थोड़ी कठिनाई जरूर होती है लेकिन भाषा किसी के लक्ष्य में बाधा नहीं हो सकती।

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