ऐपशहर

मातृभाषा दिवस: यहां भाषाई नाम नहीं, सीटियों से एक-दूसरे को बुलाते हैं लोग

मेघालय के एक इलाके में लोग एक-दूसरे को मौखिक नाम से बुलाने की जगह एक धुन से बुलाते हैं। हर किसी के दो नाम होते हैं, बाहरी लोग उन्हें मौखिक नामों से पहचानते हैं और गांव के लोग उन्हें धुन से ही बुलाते हैं।

नवभारतटाइम्स.कॉम 21 Feb 2019, 1:13 pm
जरा सोचिए, अगर आपको अपने दोस्तों को उनके नाम की जगह उन्हें सीटी बजाकर बुलाने को कहा जाए तो कैसा लगेगा। एक बार सीटी बजाने पर आपके सारे दोस्त न मुड़ जाएं, इसलिए आपको हर दोस्त के लिए एक खास तरह की सीटी बजानी होगी। जी हां, यहां कोई हवा-हवाई बातें नहीं हो रही हैं, बल्कि मेघालय के एक गांव की सीटी बजाने की प्रथा की बात हो रही है। यहां हर किसी की पहचान एक खास तरह की सीटी से होती है।
नवभारतटाइम्स.कॉम सांकेतिक तस्वीर


दुनिया में कुछ ही भाषाएं ऐसी हैं जिनका विस्तार इतना बड़ा है कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लोग उसे बोलते हैं। इसके उलट कई भाषाएं हैं जो किसी खास क्षेत्र में बोली जाती हैं। नई भाषाओं के आगे ऐसी ही कई भाषाएं दम तोड़ चुकी हैं। इन भाषाओं के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर आपको बताते हैं मेघालय में खासी भाषा बोलने वाले एक समुदाय की दिलचस्प प्रथा के बारे में।

मेघालय के कोंगथोंग इलाके में लोग एक-दूसरे को मौखिक नाम से बुलाने की जगह एक धुन से बुलाते हैं। यहां हर किसी के दो नाम होते हैं, बाहरी लोग उन्हें मौखिक नामों से पहचानते हैं जबकि गांव के लोग उन्हें उस धुन से ही बुलाते हैं। यह इतना आम है कि ये धुन लोग आम बोलचाल की भाषा में भी इस्तेमाल करते हैं। जब बच्चे का जन्म होता है तो मां उसके लिए एक धुन तय करती है। उसे सारी जिंदगी उसी धुन से बुलाया जाता है। व्यक्ति की मौत के साथ ही यह धुन भी खत्म हो जाती है।

खास बात यह है कि यहां किसी का भी ध्वनि नाम किसी और के नाम से नहीं मिलता है। ऐसे में इतने सारे धुन बनाना इनकी रचनात्मकता का ही कमाल है। ये धुनें प्रकृति, खासकर पक्षियों की आवाज से प्रेरित होती हैं। मेघालय के कोंगथोंग की तरह ही दुनिया में और भी कुछ भाषाएं हैं जिसमें सिर्फ धुनों का इस्तेमाल होता है।

तुर्की के ब्लैक सी के आसपास के इलाके में एक समुदाय के करीब 10 हजार लोग बर्ड लैंग्वेज का इस्त्माल करते हैं। ये गोल सीटी बजाकर एक-दूसरे से बात करते हैं। इसी तरह स्पेन के कनेरी आइलैंड में सिल्बो भाषा इस्तेमाल की जाती थी। इस भाषा में भी लोग सीटी बजाकर ही बात करते थे। अब यह भाषा लगभग खत्म हो चुकी है।

अगला लेख

Educationकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग