The Best Study Abroad Tips: भारत के अंदर विदेश में अध्ययन करने का रूझान बढ़ रहा है, आज के समय में दूसरे देशों में रह रहे करीब 18 मिलियन भारतीयों में इन छात्रों की संख्या काफी अधिक है। इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक 7.70 लाख छात्र वर्ष 2019 में विदेश अपनी एजुकेशन पूरा करने गए थ। वहीं अनुमान लगाया जा रहा है कि यह संख्या वर्ष 2024 में 1.8 मिलियन छात्रों तक पहुंच जाएगा। विदेश में एजुकेशन प्राप्त करना जहां भारतीय छात्रों को कई अवसर प्रदान करता है तो इस रास्ते में इन छात्रों के सामने चुनौतियां भी आती हैं। इन चुनौतियों में होमसिकनेस, कल्चर शॉक और जटिल आवेदन प्रक्रिया मुख्य है।
1. कोर्स चयन और जटिल आवेदन प्रक्रिया कैसे करें
विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों को सबसे पहले इस चुनौती का सामना करना पड़ता है। छात्रों की समस्या सही विश्वविद्यालय में सही पाठ्यक्रम का चयन करना होता है। भारत के अधिकांश छात्रों में सामान्यता झुंड में चलने की आदत होती है। छात्र किसी खास और लेटेस्ट कोर्स का चयन करने की जगह एकदूसरे को देखकर पारंपरिक पाठ्यक्रमों का चयन करते हैं। छात्रों को अब यह आदत छोड़नी होगी। उन्हें एआई टेक्नोलॉजी वाले कोर्स का चयन करना चाहिए, क्योंकि अभी और आने वाले कई वर्षों में इससे संबंधित छात्रों की सबसे ज्यादा डिमांड रहेगी।
एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र जहां छात्रों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वह है विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए पूरी परीक्षा की तैयारी और आवेदन प्रक्रिया। इस समस्या को हल करने का सबसे बेहतर और सरल तरीका अनुभवी काउंसलर से संपर्क करना है। काउंसलर एक दोस्त की तरह आपको कोर्स चयन, आवेदन प्रक्रिया, परीक्षा की तैयारी, साक्षात्कार प्रक्रिया में पूरी मदद करेंगे।
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2. वित्तीय चिंताएं (Financial Concerns)
भारतीय छात्रों के बीच एक समस्या पैसों को लेकर भी होती है। साथ ही इसकी प्रक्रिया भी बहुत थकाने वाली होती है। इसमें आपको बैंक खाता खोलने से लेकर, बड़े पैमाने पर डाक्यूमेटेंस कार्य करना, ऋण हासिल करना पड़ता है। इसलिए छात्र की वित्तीय चिंताओं को हल करने के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म की तत्काल आवश्यकता होती है। इन समस्याओं को हल करने के लिए छात्रों को मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। इसके लिए भी आप किसी अनुभवी काउंसलर की मदद ले सकते है। वे आपकी परेशानियों को हल करने के साथ उन स्कॉलरशिप के बारे में भी जानकारी देंगे, जो आपकी पढ़ाई में मदद कर सकते हैं। आज के समय में कई ऐसे स्कॉलरशिप हैं, जो आपकी पूरी पढ़ाई का खर्च वहन करते हैं।
3. क्रॉस-सांस्कृतिक बाधाएं (Cross-Cultural Barriers)
बहु-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और अन्य देशों के छात्रों के बीच एक अलग देश में अध्ययन करने का मतलब कई क्रॉस-सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना भी है। यहां आपको भोजन की आदतें, कपड़े, भाषा, मनोरंजन और जीवन शैली जैसे कई क्षेत्र मिलेंगे, जिसमें समायोजित करने की आवश्यकता होगी। इसलिए पढ़ाई के लिए जाने से पहले छात्रों को उस देश की संस्कृति के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेना चाहिए। इसके लिए आप इंटरनेट का सहारा ले सकते हैं। इससे आप वहां के विभिन्न रीति-रिवाजों और संस्कृतियों से अवगत होंगे और वहां के नए वातावरण में जल्दी से ढालने में मदद मिलेगी।
इस समस्या के हल के लिए आप उस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से भी संपर्क कर सकते हैं, वे आपकी सभी चिंताओं और समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। कई विश्वविद्यालयों में एक विशेष छात्र परिषद होती है जो आपको प्रवेश में सहायता करेगी।
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4. होमसिकनेस से संबंधित मुद्दे (Homesickness Related Issues)
ज्यादातर भारतीय छात्र ऐसे परिवार से आते हैं, जहां पर उनका परिवार के साथ गहरा जुड़ाव होता है। जिसके कारण जब वे विदेश में पढ़ाई करने के लिए पहुंचते हैं तो होमसिकनेस से निकलकर कंर्फट जोन में नहीं पहुंच पाते। इसलिए ध्यान रखें कि विदेश में पढ़ाई के लिए आने से पहले काउंसलर से जरूर मिले। वहां आप उन्हें अपने मानसिक और भावनात्मक रुझान के बारे में जानकारी देकर मदद मांग सकते हैं।
साथ ही इस तरह की समस्याओं के लिए आपको आपके संबंधित विश्वविद्यालय से भी मदद मिल सकती है। ध्यान रखें कि आगे बढ़ने के लिए आपको इन बैरियर को तोड़ना बहुत जरूरी है। हालांकि, इसके बाद भी छात्रों के सामने कई चुनौतियां आती रहती हैं, जिनका सही तरीके से हैंडल कर आप आगे बढ़ सकते हैं।
1. कोर्स चयन और जटिल आवेदन प्रक्रिया कैसे करें
विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों को सबसे पहले इस चुनौती का सामना करना पड़ता है। छात्रों की समस्या सही विश्वविद्यालय में सही पाठ्यक्रम का चयन करना होता है। भारत के अधिकांश छात्रों में सामान्यता झुंड में चलने की आदत होती है। छात्र किसी खास और लेटेस्ट कोर्स का चयन करने की जगह एकदूसरे को देखकर पारंपरिक पाठ्यक्रमों का चयन करते हैं। छात्रों को अब यह आदत छोड़नी होगी। उन्हें एआई टेक्नोलॉजी वाले कोर्स का चयन करना चाहिए, क्योंकि अभी और आने वाले कई वर्षों में इससे संबंधित छात्रों की सबसे ज्यादा डिमांड रहेगी।
एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र जहां छात्रों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, वह है विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए पूरी परीक्षा की तैयारी और आवेदन प्रक्रिया। इस समस्या को हल करने का सबसे बेहतर और सरल तरीका अनुभवी काउंसलर से संपर्क करना है। काउंसलर एक दोस्त की तरह आपको कोर्स चयन, आवेदन प्रक्रिया, परीक्षा की तैयारी, साक्षात्कार प्रक्रिया में पूरी मदद करेंगे।
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2. वित्तीय चिंताएं (Financial Concerns)
भारतीय छात्रों के बीच एक समस्या पैसों को लेकर भी होती है। साथ ही इसकी प्रक्रिया भी बहुत थकाने वाली होती है। इसमें आपको बैंक खाता खोलने से लेकर, बड़े पैमाने पर डाक्यूमेटेंस कार्य करना, ऋण हासिल करना पड़ता है। इसलिए छात्र की वित्तीय चिंताओं को हल करने के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म की तत्काल आवश्यकता होती है। इन समस्याओं को हल करने के लिए छात्रों को मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। इसके लिए भी आप किसी अनुभवी काउंसलर की मदद ले सकते है। वे आपकी परेशानियों को हल करने के साथ उन स्कॉलरशिप के बारे में भी जानकारी देंगे, जो आपकी पढ़ाई में मदद कर सकते हैं। आज के समय में कई ऐसे स्कॉलरशिप हैं, जो आपकी पूरी पढ़ाई का खर्च वहन करते हैं।
3. क्रॉस-सांस्कृतिक बाधाएं (Cross-Cultural Barriers)
बहु-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और अन्य देशों के छात्रों के बीच एक अलग देश में अध्ययन करने का मतलब कई क्रॉस-सांस्कृतिक बाधाओं का सामना करना भी है। यहां आपको भोजन की आदतें, कपड़े, भाषा, मनोरंजन और जीवन शैली जैसे कई क्षेत्र मिलेंगे, जिसमें समायोजित करने की आवश्यकता होगी। इसलिए पढ़ाई के लिए जाने से पहले छात्रों को उस देश की संस्कृति के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेना चाहिए। इसके लिए आप इंटरनेट का सहारा ले सकते हैं। इससे आप वहां के विभिन्न रीति-रिवाजों और संस्कृतियों से अवगत होंगे और वहां के नए वातावरण में जल्दी से ढालने में मदद मिलेगी।
इस समस्या के हल के लिए आप उस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों से भी संपर्क कर सकते हैं, वे आपकी सभी चिंताओं और समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। कई विश्वविद्यालयों में एक विशेष छात्र परिषद होती है जो आपको प्रवेश में सहायता करेगी।
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4. होमसिकनेस से संबंधित मुद्दे (Homesickness Related Issues)
ज्यादातर भारतीय छात्र ऐसे परिवार से आते हैं, जहां पर उनका परिवार के साथ गहरा जुड़ाव होता है। जिसके कारण जब वे विदेश में पढ़ाई करने के लिए पहुंचते हैं तो होमसिकनेस से निकलकर कंर्फट जोन में नहीं पहुंच पाते। इसलिए ध्यान रखें कि विदेश में पढ़ाई के लिए आने से पहले काउंसलर से जरूर मिले। वहां आप उन्हें अपने मानसिक और भावनात्मक रुझान के बारे में जानकारी देकर मदद मांग सकते हैं।
साथ ही इस तरह की समस्याओं के लिए आपको आपके संबंधित विश्वविद्यालय से भी मदद मिल सकती है। ध्यान रखें कि आगे बढ़ने के लिए आपको इन बैरियर को तोड़ना बहुत जरूरी है। हालांकि, इसके बाद भी छात्रों के सामने कई चुनौतियां आती रहती हैं, जिनका सही तरीके से हैंडल कर आप आगे बढ़ सकते हैं।