गुवाहाटी
असम विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को कांग्रेस गठबंधन से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सीएए पर विरोध, मजबूत विपक्षी गठबंधन, चाय बागानों में मजदूरों की नाखुशी जैसे मसलों के बीच बीजेपी तीन मुद्दों पर इसकी भरपाई करने की कोशिश कर रही है। जमीन पद इन तीनों मुद्दों पर कुछ हद तक लोगों के बीच स्वीकार्यता भी दिखती है। आइए इस ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए हालात समझने की कोशिश करते हैं। 1. सड़क का जाल
गुवाहाटी से कोई 100 मिलोमीटर दूर रंगिया से सटे एक गांव में विश्व गोपाल अपने गांव के सामने बनी नई सड़क दिखाते है। वे कहते हैं कि जो 70 सालों में नहीं हुआ, पांच सालों में हो गया। वह बताते हैं कि पिछले पांच सालों में सड़कें खूब बनी हैं। पहले उन्हें अपने गांव से गुवाहाटी जाने में पांच घंटे लगते थे लेकिन सड़क बन जाने से अब उन्हें मात्र दो घंटे लगते हैं। गुवाहाटी से लेकर सुदूर इलाकों तक अगर सर्वानंद सोनवाल की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार की एक बात को लेकर जनता के बीच पूरे अंक मिल रहे है तो वह है सड़क और दूसरे इंफ्रास्ट्रकचर पर हुआ काम। यह उनके अलोचक भी मानते हैं। जोरहाट में नूर मोहम्मद इस चुनाव में कांग्रेस को वोट देंगे लेकिन वह भी इस तथ्य को स्वीकारते हैं कि सड़कें बनी हैं। यह काम राजधानी गुवाहाटी में भी दिखता है। यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अंजन गोगोई कहते हैं कि पिछले कुछ सालों शहर में डॉ. भूपेन हजारिका सेतु, बोगीबिल ब्रिज, सरायघाट ब्रिज के निर्माण से गुवाहाटी में लोगों को बहुत सुविधा हो रही है। अहालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौरव गोगोई कहते हैं कि ये सारे प्रोजेक्ट कांग्रेस के समय में शुरू हुए थे।
2. 'अरुणोदय' से वोटों के उदय की आस
राज्य के नरवाड़ी में कुमू दास ढाबा चलाती हैं। पिछले कुछ समय से उनके घर की माली हालत बहुत खराब थी। लेकिन तीन महीने से उनके जीवन में राहत है। उन्हें सरकार की अरुणोदय योजना से मदद मिली। बीते साल दिसंबर से सरकार ने चुनाव से ठीक पहले इसे लॉन्च किया। इसके तहत सरकार राज्य के सभी 126 विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 18 लाख परिवारों को लाभ मिल रहा है। राज्य सरकार परिवारों की एक महिला सदस्य के खाते में हर महीने 830 रुपये ट्रांसफर कर रही है। कुमू बताती है कि कोविड संकट के बाद उनका काम बंद हो गया था। ड्राइवर पति के पास काम नहीं है। लेकिन इस 850 रुपये से उन्हें बहुत मदद मिली। हालांकि, कांग्रेस ने इसे काउंटर करने के लिए हर गृहिणी को 2000 रुपये देने का वादा किया है। वैसे महिलाएं सिलिंडर की बढ़ी कीमतों से चिंतित हैं।
3. आखिरी समय में नौकरी का लेटर
चुनाव में कांग्रेस ने नौकरी को मुद्दा बनाया है। अपने चुनावी घोषणापत्र में 2 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। पिछले कुछ महीने से पार्टी इसी मुद्दे पर आंदोलन कर रही है। इसे काउंटर करने के लिए बीजेपी सरकार ने चुनाव से ठीक पहले लगभग 70 हजार सरकारी नौकरियां बांटीं। इसमें 30 हजार तो सिर्फ शिक्षक हैं। हालांकि, ये सभी नौकरियां संविदा पर हैं लेकिन बीजेपी इसे आम लोगों के बीच सफलता के रूप में बताने में कुछ हद तक सफल हो रही है। नरवाड़ी में पुष्प रंजन को साइंस टीचर की नौकरी मिली है। हालांकि, पीजी करने वाले 45 साल के पुष्प को बतौर शिक्षक महज 10 हजार रुपया प्रति महीने ही मिलेंगे लेकिन वे अभी इससे भी खुश हैं, लेकिन अंतिम समय में बीजेपी को इन दाव का कितना मिलेगा लाभ यह तो वोटिंग का परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।
असम विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को कांग्रेस गठबंधन से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सीएए पर विरोध, मजबूत विपक्षी गठबंधन, चाय बागानों में मजदूरों की नाखुशी जैसे मसलों के बीच बीजेपी तीन मुद्दों पर इसकी भरपाई करने की कोशिश कर रही है। जमीन पद इन तीनों मुद्दों पर कुछ हद तक लोगों के बीच स्वीकार्यता भी दिखती है। आइए इस ग्राउंड रिपोर्ट के जरिए हालात समझने की कोशिश करते हैं।
गुवाहाटी से कोई 100 मिलोमीटर दूर रंगिया से सटे एक गांव में विश्व गोपाल अपने गांव के सामने बनी नई सड़क दिखाते है। वे कहते हैं कि जो 70 सालों में नहीं हुआ, पांच सालों में हो गया। वह बताते हैं कि पिछले पांच सालों में सड़कें खूब बनी हैं। पहले उन्हें अपने गांव से गुवाहाटी जाने में पांच घंटे लगते थे लेकिन सड़क बन जाने से अब उन्हें मात्र दो घंटे लगते हैं। गुवाहाटी से लेकर सुदूर इलाकों तक अगर सर्वानंद सोनवाल की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार की एक बात को लेकर जनता के बीच पूरे अंक मिल रहे है तो वह है सड़क और दूसरे इंफ्रास्ट्रकचर पर हुआ काम। यह उनके अलोचक भी मानते हैं। जोरहाट में नूर मोहम्मद इस चुनाव में कांग्रेस को वोट देंगे लेकिन वह भी इस तथ्य को स्वीकारते हैं कि सड़कें बनी हैं। यह काम राजधानी गुवाहाटी में भी दिखता है। यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले अंजन गोगोई कहते हैं कि पिछले कुछ सालों शहर में डॉ. भूपेन हजारिका सेतु, बोगीबिल ब्रिज, सरायघाट ब्रिज के निर्माण से गुवाहाटी में लोगों को बहुत सुविधा हो रही है। अहालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गौरव गोगोई कहते हैं कि ये सारे प्रोजेक्ट कांग्रेस के समय में शुरू हुए थे।
2. 'अरुणोदय' से वोटों के उदय की आस
राज्य के नरवाड़ी में कुमू दास ढाबा चलाती हैं। पिछले कुछ समय से उनके घर की माली हालत बहुत खराब थी। लेकिन तीन महीने से उनके जीवन में राहत है। उन्हें सरकार की अरुणोदय योजना से मदद मिली। बीते साल दिसंबर से सरकार ने चुनाव से ठीक पहले इसे लॉन्च किया। इसके तहत सरकार राज्य के सभी 126 विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 18 लाख परिवारों को लाभ मिल रहा है। राज्य सरकार परिवारों की एक महिला सदस्य के खाते में हर महीने 830 रुपये ट्रांसफर कर रही है। कुमू बताती है कि कोविड संकट के बाद उनका काम बंद हो गया था। ड्राइवर पति के पास काम नहीं है। लेकिन इस 850 रुपये से उन्हें बहुत मदद मिली। हालांकि, कांग्रेस ने इसे काउंटर करने के लिए हर गृहिणी को 2000 रुपये देने का वादा किया है। वैसे महिलाएं सिलिंडर की बढ़ी कीमतों से चिंतित हैं।
3. आखिरी समय में नौकरी का लेटर
चुनाव में कांग्रेस ने नौकरी को मुद्दा बनाया है। अपने चुनावी घोषणापत्र में 2 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। पिछले कुछ महीने से पार्टी इसी मुद्दे पर आंदोलन कर रही है। इसे काउंटर करने के लिए बीजेपी सरकार ने चुनाव से ठीक पहले लगभग 70 हजार सरकारी नौकरियां बांटीं। इसमें 30 हजार तो सिर्फ शिक्षक हैं। हालांकि, ये सभी नौकरियां संविदा पर हैं लेकिन बीजेपी इसे आम लोगों के बीच सफलता के रूप में बताने में कुछ हद तक सफल हो रही है। नरवाड़ी में पुष्प रंजन को साइंस टीचर की नौकरी मिली है। हालांकि, पीजी करने वाले 45 साल के पुष्प को बतौर शिक्षक महज 10 हजार रुपया प्रति महीने ही मिलेंगे लेकिन वे अभी इससे भी खुश हैं, लेकिन अंतिम समय में बीजेपी को इन दाव का कितना मिलेगा लाभ यह तो वोटिंग का परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।