बरारी (कटिहार)
कटिहार की बरारी विधानसभा उन सीटों में शामिल है जहां चिराग पासवान की एलजेपी नीतीश कुमार की जेडीयू का खेल बिगाड़ सकती है। एलजेपी ने बीजेपी से 2 बार विधायक रह चुके बिभास चंद्र चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। नीतीश को दोबारा सीएम नहीं बनने देने का दम भर रहे चिराग ने जेडीयू के खिलाफ जहां भी मौका मिला है वहां चुन-चुनकर बीजेपी के बागियों को उम्मीदवार बना रहे हैं।
एलजेपी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया
आरजेडी ने मौजूदा विधायक नीरज कुमार को कैंडिडेट बनाया है। वहीं जेडीयू ने नगर निगम के मेयर विजय सिंह पर दांव खेला है। पिछली बार बीजेपी के बिभास चंद्र चौधरी दूसरे नंबर पर रहे थे। उससे पहले वह लगातार 2 बार विधायक भी रहे थे। सीट शेयरिंग में बरारी के जेडीयू के खाते में जाने के बाद चौधरी ने बीजेपी से बगावत कर दी। उन्हें लपकने में एलजेपी ने देरी नहीं की और अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। चौधरी के मैदान में आने से अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और कहीं न कहीं जेडीयू की राह मुश्किल हो गई है।
पिछले चुनाव में क्या हुआ था
2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के नीरज कुमार ने बीजेपी के बिभास चंद्र चौधरी करीब 14 हजार वोटों के अंतर से हराया था। नीरज कुमार पहली बार विधायक बने। उससे पहले अक्टूबर 2005 और 2010 में बिभास चंद्र चौधरी ने एनसीपी के मुहम्मद शकुर को हराकर विधायक बने थे। फरवरी 2005 के चुनाव में मुहम्मद शकुर ने चौधरी को हराया था। बरारी ऐसी सीट रही है जहां शुरू से ही किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। 1967 में कांग्रेस के बीपी सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। उसके बाद यह सीट सीपीए के खाते में गई।
1980 के बाद यहां से कभी भी कांग्रेस का विधायक नहीं
कांग्रेस 1980 के बाद से इस सीट पर कभी जीत हासिल नहीं कर पाई है। बीजेपी यहां से पहली बार 1995 में जीती थी। खास बात यह है कि जेडीयू इस सीट पर कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। इसकी वजह गठबंधन के तहत ये सीट बीजेपी के खाते में रहना है। पिछली बार जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन तब यह सीट महागठबंधन के सहयोगी आरजेडी के खाते में गई थी।
कुल वोटर- 2,47,205
पुरुष वोटर - 1,26,119
महिला वोटर- 1,10,363
वोटिंग- 7 नवंबर को
रिजल्ट- 10 नवंबर को
कटिहार की बरारी विधानसभा उन सीटों में शामिल है जहां चिराग पासवान की एलजेपी नीतीश कुमार की जेडीयू का खेल बिगाड़ सकती है। एलजेपी ने बीजेपी से 2 बार विधायक रह चुके बिभास चंद्र चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। नीतीश को दोबारा सीएम नहीं बनने देने का दम भर रहे चिराग ने जेडीयू के खिलाफ जहां भी मौका मिला है वहां चुन-चुनकर बीजेपी के बागियों को उम्मीदवार बना रहे हैं।
एलजेपी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया
आरजेडी ने मौजूदा विधायक नीरज कुमार को कैंडिडेट बनाया है। वहीं जेडीयू ने नगर निगम के मेयर विजय सिंह पर दांव खेला है। पिछली बार बीजेपी के बिभास चंद्र चौधरी दूसरे नंबर पर रहे थे। उससे पहले वह लगातार 2 बार विधायक भी रहे थे। सीट शेयरिंग में बरारी के जेडीयू के खाते में जाने के बाद चौधरी ने बीजेपी से बगावत कर दी। उन्हें लपकने में एलजेपी ने देरी नहीं की और अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। चौधरी के मैदान में आने से अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और कहीं न कहीं जेडीयू की राह मुश्किल हो गई है।
पिछले चुनाव में क्या हुआ था
2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के नीरज कुमार ने बीजेपी के बिभास चंद्र चौधरी करीब 14 हजार वोटों के अंतर से हराया था। नीरज कुमार पहली बार विधायक बने। उससे पहले अक्टूबर 2005 और 2010 में बिभास चंद्र चौधरी ने एनसीपी के मुहम्मद शकुर को हराकर विधायक बने थे। फरवरी 2005 के चुनाव में मुहम्मद शकुर ने चौधरी को हराया था। बरारी ऐसी सीट रही है जहां शुरू से ही किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। 1967 में कांग्रेस के बीपी सिंह ने यहां से जीत हासिल की थी। उसके बाद यह सीट सीपीए के खाते में गई।
1980 के बाद यहां से कभी भी कांग्रेस का विधायक नहीं
कांग्रेस 1980 के बाद से इस सीट पर कभी जीत हासिल नहीं कर पाई है। बीजेपी यहां से पहली बार 1995 में जीती थी। खास बात यह है कि जेडीयू इस सीट पर कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। इसकी वजह गठबंधन के तहत ये सीट बीजेपी के खाते में रहना है। पिछली बार जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन तब यह सीट महागठबंधन के सहयोगी आरजेडी के खाते में गई थी।
कुल वोटर- 2,47,205
पुरुष वोटर - 1,26,119
महिला वोटर- 1,10,363
वोटिंग- 7 नवंबर को
रिजल्ट- 10 नवंबर को