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बिहार में नए सियासी समीकरण की आहट, नीतीश से फिर मिलेंगे जीतन मांझी

बिहार विधानसभा (Bihar assembly elections 2020) के मद्देनजर बिहार में राजनीतिक दलों की सक्रियता काफी तेज हो गई है। कुछ राजनीतिक पार्टियां सत्ता के लोभ में पुरानी दुश्मनी को भुलाकर एक होने की तैयारी में भी हैं। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार जीतन मांझी के साथ पुरानी सियासी दुश्मनी को भुलाकर नयी शुरूआत करने को तैयार हैं।

Authored byनरेंद्र नाथ | नवभारतटाइम्स.कॉम 5 Jun 2020, 9:02 pm
पटना
नवभारतटाइम्स.कॉम nitish-manjhi

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले नए राजनीतिक समीकरण बनने के संकेत हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के संस्थापक जीतन राम मांझी की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बढ़ती नजदीकी से नयी सियासी चर्चा उठी है। सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार जीतन मांझी के साथ पुरानी सियासी दुश्मनी को भुलाकर नयी शुरूआत करने को तैयार हैं।

2014 में आम चुनाव में जेडीयू की बड़ी हार के बाद नीतीश कुमार ने जीतन मांझी को अपनी जगह सीएम बना दिया था। लेकिन बाद में जीतन मांझी बागी हो गये और नीतीश से अलग होकर नयी पार्टी बना ली। 2015 में जब नीतीश कुमार लालू प्रसाद से मिलकर चुनाव लड़े तो मांझी एनडीए के साथ थे। और जब 2019 में नीतीश कुमार दोबारा एनडीए का हिस्सा बने तो मांझी यूपीए का हिस्सा बन गये थे। लेकिन अब दोनों एक मंच पर आ सकते हैं।

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सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार अपना महादलित वोट बैंक मजबूत बनाए रखने के लिए जीतन मांझी को साथ रखना चाहते हैं। मांझी की घर वापसी को लेकर नीतीश से बात भी हुई है और वह अपनी पार्टी जेडीयू में विलय भी करवा सकते हैं। इसके बदले वह अपने करीबियों के लिए विधानसभा चुनाव में टिकट चाहते हैं जिसे नीतीश ने मानने का संकेत दिया है। हालांकि, जेडीयू और हम पार्टी दोनों ने इस चर्चा पर अभी खामोशी बना रखी है।

तेजस्वी पर हमलावर मांझी की पार्टी
दरअसल, पिछले कुछ समय से जीतन मांझी की पार्टी यूपीए का हिस्सा रहते हुए भी तेजस्वी यादव पर हमलावर है। शुक्रवार को जीतन मांझी की पार्टी हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार मुन्ना ने ट्वीट कर कहा कि -पब्लिसिटी के लिए फर्जी खबर चलवा कर, विडियो कॉन्फ्रेंसिंग का विडियो डालकर आप प्रदेश के गरीबों का उपहास कर रहे हैं। जिन्हें वाकई असहाय लोगों की फिक्र होती है, वो ज़मीनी स्तर पर उनकी सहायता करते हैं, घर बैठ Apple से वीडियो बनाकर ज़रूरतमंदों के लिए हमदर्द होने का नाटक नहीं करते।

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हम पार्टी ने यह हमला तब किया जब तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा था कि मीडिया से ख़बर मिली कि 60 के दशक में बिहार के CM रहे स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी का परिवार लॉकडाउन के दौरान खाने के दाने-दाने को मोहताज है। परिवार के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। तुरंत परिवार से बात कर 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और पर्याप्त राशन पहुँचाया।

इससे पहले गोपालगंज में ट्रिपल मर्डर कांड पर भी दोनों पार्टी में विरोध हो गया था। तब मांझी की पार्टी ने कहा कि बिहार सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिये कई बड़े-बड़े मुद्दे हैं। तेजस्वी यादव को मार्च ही करना है तो प्रवासी बिहारियों की भूख से हो रही मौत पर करें, जीतन राम मांझी हमेशा उनके साथ हैं।
लेखक के बारे में
नरेंद्र नाथ
नरेन्द्र नाथ नवभारत टाइम्स में असिस्टेंट एडिटर हैं। वह राजनीति से जुड़ी खबरों को नजदीक से फॉलो करते हैं इस बारे में आपको हर घटनाक्रम से वाकिफ कराते रहेंगे। पीएमओ को भी कवर करते हैं और इससे भी जड़ी हर खबर पहुंचाने की कोशिश रहेगी। ... और पढ़ें

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