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बिहार चुनाव में नौकरियों के वादे वाले मेनिफेस्टो, लेकिन सूबे की क्या है जमीनी हकीकत?

Bihar Chunav Latest News: बिहार में 15 से 29 साल के युवाओं बेरोजगारी दर केरल के बाद दूसरे उच्चतम स्तर पर है। बेरोजगारी दर की बात करें तो केरल में 35.2 फीसदी, बिहार में करीब 31 फीसदी है। इन दोनों राज्यों के लगभग एक तिहाई युवाओं को सक्रिय रूप से रोजगार मांगने के बावजूद नौकरी नहीं मिली।

Authored byAtul Thakur | टाइम्स न्यूज नेटवर्क 26 Oct 2020, 5:11 pm
पटना
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बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार रोजगार का मुद्दा गरमाया हुआ है। महागठबंधन की ओर से सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को उठाते हुए नीतीश कुमार सरकार पर जमकर निशाना साधा। यही नहीं आरजेडी नेता ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया कि उनकी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में 10 लाख नौकरियों के फैसले पर मुहर लगाएंगे। इस बीच बीजेपी की ओर से भी जारी किए गए चुनावी घोषणा पत्र में 19 लाख नौकरियों का वादा किया गया है। भले ही बिहार चुनाव में नौकरियों को लेकर लगातार ऐलान किए जाए रहे हों लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।

बिहार में युवा बेरोजगारी दूसरे उच्चतम स्तर पर
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), जो कि देश में नौकरियों की स्थिति का आंकलन करने का प्राथमिक सोर्स है, उनकी ओर से हाल ही में एक सर्वे कराया गया। इसमें पता चला कि जुलाई 2018 और जून 2019 के बीच, बिहार में देशभर से सर्वाधिक युवा बेरोजगारी दर देखने को मिली है। बिहार में 15 से 29 साल के युवाओं बेरोजगारी दर केरल के बाद दूसरे उच्चतम स्तर पर है। बेरोजगारी दर की बात करें तो केरल में 35.2 फीसदी, बिहार में करीब 31 फीसदी है। इन दोनों राज्यों के लगभग एक तिहाई युवाओं को सक्रिय रूप से रोजगार मांगने के बावजूद नौकरी नहीं मिली। तेलंगाना में 27.4 फीसदी, तमिलनाडु में 24 फीसदी है। वहीं गुजरात में 8.4 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 9 फीसदी, मध्य प्रदेश में 10 फीसदी है। भारत में 15 से 29 साल के बीच बेरोजगारी दर की बात करें तो 17.3 फीसदी है।

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रोजगार के मुद्दे पर क्या कहते हैं बिहार के युवा
बाढ़ विधानसभा क्षेत्र के पुराईबाग गांव के रहने वाले 21 वर्षीय युवा अखिलेश कुमार कहते हैं कि राज्य में नौकरी की संभावनाएं धूमिल हैं। अखिलेश कुमार पटना में रह कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है, और दृढ़ता के साथ वह जल्द ही एक सरकारी नौकरी हासिल करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि 'इसमें नीतीश क्या करेंगे?' अभिषेक कुमार की बातों पर एक और युवा पवन भी सहमति दर्शाते हैं। पवन भी छात्र हैं पटना में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं। वो अभिषेक से छोटे हैं और उनके रिश्तेदार हैं। दोनों ही युवा नीतीश कुमार से संतुष्ट नजर आए और कहा कि उनका परिवार इस बार भी उन्हें वोट देंगे।


बिहार चुनाव में क्या हो सकता है अहम फैक्टर
25 वर्षीय एक और युवा ज्ञान रंजन कुमार ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता यही है कि हम 'जंगल राज' को वापस आने से रोकें। उन्हें यकीन है कि बाढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार आसानी से जीत दर्ज करेंगे। राजगीर यादव, जो कि करीब 40 साल के हैं, गुजरात में काम करते हैं और पिछले कुछ महीनों से अपने गांव में रुके हुए हैं। वो भी इस बात से सहमत हैं कि इस सीट पर बीजेपी को बढ़त है क्योंकि जातीय गणित उनके पक्ष में काम कर रही है।


संविदा कर्मियों ने बयां किया अपना दर्द
बाढ़ से मोकामा के रास्ते में, टीओआई रिपोर्टर ने तीन और युवाओं से बात की। ये तीनों ही एनटीपीसी बाढ़ में संविदा कर्मचारी हैं और अपने घर जा रहे थे। नाम नहीं बताने की शर्त पर उन्होंने संविदा पर नौकरी को बेहद शोषणकारी करार दिया और सार्वजनिक परिवहन की कमी को लेकर भी शिकायत की।

सरकारी नौकरी की क्यों है डिमांड, 25 वर्षीय छात्र ने बताई ये वजहमोकामा घाट के पास रहने वाले 25 वर्षीय अमित कुमार कहते हैं, 'कुछ दिनों पहले, 21 वर्षीय युवक इस घाट पर डूब गया था।' बी.कॉम ग्रेजुएट अमित कुमार ने बताया कि वो आमतौर पर अपनी परीक्षा की तैयारी के लिए बनारस में रहते हैं लेकिन लॉकडाउन के बाद से मोकामा में ही हैं। 'हर साल, कम से कम 20 लोग यहां डूबते हैं और किसी को कोई चिंता नहीं होती है।' यह पूछने पर कि युवा केवल सरकारी नौकरी की मांग क्यों करते हैं, इस पर अमित ने राज्य में निजी नौकरियों की कमी की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि आज हमें दूसरे शहरों की ओर पलायन करना पड़ रहा है, लेकिन एक समय मोकामा भी एक औद्योगिक शहर था जो कि दूसरे इलाकों से प्रवासी श्रमिकों को आकर्षित करता था।
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Atul Thakur

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