कौन हैं संजय यादव
तेजस्वी इस बार बड़े-बड़े दिग्गजों को किनारे लगा कर अपनी टीम के साथ चुनावी मैदान में हैं। हमेशा साए की तरह तेजस्वी यादव के साथ रहने वाले संजय यादव इस बार उनकी रैलियों में नजर नहीं आ रहे थे। संजय इस बार राबड़ी आवास पर कैंप कर चुनाव की प्लानिंग कर रहे थे। साथ ही वह तेजस्वी यादव के लिए रणनीति बनाने में जुटे थे। संजय यादव तेजस्वी के साथ 2015 के विधानसभा चुनाव से ही जुड़े हुए हैं।
हरियाणा के रहने वाले हैं संजय
संजय यादव मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। वह तेजस्वी यादव को आईपीएल के दिनों से जानते हैं। संजय एक आईटी कंपनी में नौकरी करते थे। तेजस्वी आईपीएल और संजय नौकरी छोड़ कर बिहार आए थे। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले संजय और उनकी टीम ने लालू परिवार के सभी सोशल हैंडल्स को संभाल लिए थे। साथ ही लालू यादव की बातों को वह दमदार तरीके से रखते थे।
भागवत के बयान से पलट दिया था गेम
तेजस्वी यादव के लिए अभी सबसे भरोसेमंद संजय यादव ही हैं। वहीं, उनका सारा काम देखते हैं। संजय ने 2015 विधानसभा चुनाव में भी कमाल किया था। बताया जाता है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जब आरक्षण समीक्षा की बात कहीं, तो संजय ने तुरंत इसकी जानकारी लालू यादव को दी थी। लालू यादव ने आरक्षण के मुद्दे को चुनावी मैदान में खूब कैश करवाया था। बीजेपी के नेता इस जाल में फंस कर उल्टे-सीधे बयान भी देते रहे थे।
रोजगार के नाम पर NDA को फंसाया
संजय यादव की टीम 2015 की तुलना में 2020 में ज्यादा मजबूत है। इस बार उनकी टीम के पास संसाधन भी है। सोशल प्लेटफॉर्मों पर आरजेडी की धमाकेदार उपस्थिति है। संजय यादव ने इस बार के चुनाव के लिए रोजगार को मुद्दा बनाया है। तेजस्वी अपनी टीम की रणनीति के अनुसार ही चुनावी रैलियों में भाषण देते रहे हैं। एनडीए के नेता इस बार नौकरी के मुद्दे सिर्फ काटते रहे लेकिन वोटरों को लुभाने के लिए कोई काट नहीं ढूंढ पाए।
तेजस्वी के ओएसडी भी रहे हैं संजय
2015 में बिहार में जब महागठबंधन की सरकार बनी थी, तब तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री थे। साथ ही उनके पास पथ निर्माण विभाग की जिम्मेदारी थी। उस वक्त संजय यादव उनके ओएसडी थे। संजय तेजस्वी यादव के साथ साए की तरह नजर आते हैं। लेकिन इस चुनाव में वह सिर्फ चाचा नीतीश को पानी पिलाने के लिए राबड़ी आवास से रणनीति बनाने में जुटे थे।