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भूपेश बघेल के पटना आने के पीछे क्या है प्लानिंग, क्या बीजेपी से MP-गोवा का हिसाब चुकता करने की तैयारी में कांग्रेस?

बिहार विधानसभा चुनाव के रिजल्ट (Bihar chunav result) आने के बाद कांग्रेस चर्चा में है। महागठबंधन खेमे के घटकदल सीपीआई- एमएल के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। इन्हीं खबरों के बीच एक खबर आई कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पटना आए हैं। भूपेश बघेल (Bhepesh Baghel) के पटना दौरे की खबर के साथ कई तरह की अटकलों पर भी राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है।

नवभारतटाइम्स.कॉम 13 Nov 2020, 6:14 pm
पटना
नवभारतटाइम्स.कॉम Bhepesh-Baghel
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

बिहार विधानसभा चुनाव के रिजल्ट (Bihar chunav result) आने के बाद कांग्रेस चर्चा में है। महागठबंधन खेमे के घटकदल सीपीआई- एमएल के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं शुक्रवार को कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की की घटना के बाद ये भी चर्चा शुरू हो गई है कि क्या पार्टी एक बार फिर से टूटने वाली है। वहीं दूसरी तरफ एनडीए के नेता जीतन राम मांझी कांग्रेस के विधायकों से अपील कर रहे हैं कि वह नीतीश सरकार को मजबूत करें। इन्हीं खबरों के बीच एक खबर आई कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पटना आए हैं। भूपेश बघेल (Bhepesh Baghel) के पटना दौरे की खबर के साथ कई तरह की अटकलों पर भी राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है। इन्हीं में से एक चर्चा ये भी है कि क्या कांग्रेस इस बार बीजेपी से मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गोवा का हिसाब चुकता करने की कोशिश में है।

भूपेश बघेल की क्या है प्लानिंग?
सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि भूपेश बघेल को पार्टी अलाकमान से विशेष निर्देश हैं कि वह बिहार चुनाव में कांग्रेस के सभी 19 विधायकों से एक-एक कर मिलें। साथ ही उन विधायकों को पार्टी के साथ एकजुट बनाए रखने की कोशिश करें। माना जा रहा है कि भूपेश बघेल इस वक्त कांग्रेस के एक मजबूत नेता हैं और भरोसे और विश्वास के साथ छत्तीसगढ़ में सरकार चला रहे हैं। ऐसे में उनकी ओर से दिए जाने वाले भरोसे का असर कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों पर खास रहेगा।

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सूत्रों का कहना है कि भूपेश बघेल को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के विकल्प तैयार करें। कांग्रेस आलाकमान का निर्देश है कि अगर बघेल दी गई इस खास जिम्मेदारी को पूरा करने में सफल होते हैं तो पार्टी इसे गोवा और मध्य प्रदेश में बीजेपी की ओर से दिए झटके की भरपाई मानेगा।

यहां बता दें कि कांग्रेस के विधायकों में तोड़फोड़ कर बीजेपी सरकार बनाकर चला रही है। इसके अलावा साल 2017 में बिहार में भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को महागठबंधन से अलग कर सरकार का गठन कर लिया था। इन तीन-चार मौकों पर कांग्रेस को बीजेपी झटके दे चुके है। इस वजह से कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसी ही कोशिश राजस्थान में भी हो चुकी है, लेकिन जैसे तैसे सचिन पायलट के मान जाने पर सरकार बची हुई है।

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इस वजह से कांग्रेस की प्लानिंग चर्चा हुई शुरू
पटना पहुंचते ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि बिहार में पिछली बार नीतीश कुमार, आरजेडी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े थे और डेढ़ साल बाद सरकार बदल गई। अभी जो नतीजे आए हैं उसमें न किसी को हराया है, न किसी को जिताया है। इसलिए किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने आश्चर्य जताया कि इस चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के बीच कुल मतों का अंतर केवल 12,270 है पर इतने वोटों में एनडीए ने कैसे 15 सीट जीतीं।

इससे पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में डाक मतपत्रों की गिनती अंत में की गई जबकि इसकी गिनती मतगणना की शुरुआत में ही की जाती है। इसके अलावा, ऐसी सीटें भी थीं, जहां 900 से अधिक डाक मतपत्र रद्द किए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि जहां कम मतों का अंतर था और हमारे उम्मीदवार जीत रहे थे, वहां डाक मत पत्र भारी संख्या में रद्द किए गए। तेजस्वी यादव से जब महागठबंधन की सरकार बनाने की संभावनाओं पर पूछा गया तो उन्होंने भी कहा था कि अगर गैर सांप्रदायिक पार्टियां साथ आएं तो उन्हें इसमें कोई एतराज नहीं होगा।

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यहां बता दें कि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के 4-4 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पांच विधायकों का समर्थन महागठबंधन को मिलता है तो तेजस्वी यादव बहुमत के नंबर को पार कर सरकार बना सकते हैं। हालांकि अभी तो हम अध्यक्ष मांझी ही कांग्रेस के विधायकों को एनडीए में आने का ऑफर दे रहे हैं।

वैसे भी राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है, लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि शह मात के खेल में बीजेपी बिहार में कांग्रेस नवनर्वाचित विधायकों को अपने साथ ले जाती है या कांग्रेस बिहार में बीजेपी से हिसाब चुकता कर पाती है।

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