ऐपशहर

Jay Narayan Vyas: कभी मोदी ने फोन कर लड़ाया था चुनाव, जय नारायण व्यास ने कांग्रेस के हाथ का पकड़ा साथ

Gujarat Election 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को झटका लगा है। चार बार विधायक रहे जय नारायण व्यास ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। पीएम नरेंद्र मोदी जब गुजरात के सीएम थे, तो व्यास को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।

Curated byसुधाकर सिंह | नवभारतटाइम्स.कॉम 28 Nov 2022, 3:30 pm

हाइलाइट्स

  • जय नारायण व्यास ने बेटे समेत ली कांग्रेस की सदस्यता
  • कुछ समय पहले ही व्यास ने बीजेपी से इस्तीफा दिया था
  • चार बार एमएलए और गुजरात के मंत्री रह चुके हैं व्यास
  • 2017 के चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद से थे नाराज
सारी खबरें हाइलाइट्स में पढ़ने के लिए ऐप डाउनलोड करें
अहमदाबाद: गुजरात चुनाव से पहले बीजेपी को अलविदा कहने वाले जय नारायण व्यास ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है। जय नारायण व्यास अपने बेटे समीर व्यास के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। केशुभाई पटेल और नरेंद्र मोदी जब गुजरात के सीएम थे तो व्यास उनके मंत्रिमंडल में भी रहे थे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और गुजरात प्रभारी अशोक गहलोत की मौजूदगी में व्यास और उनके बेटे समीर व्यास को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। वह गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके थे।

कौन हैं जय नारायण व्यास

जय नारायण व्यास चार बार सिद्धपुर सीट से विधायक रह चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। तभी से उनकी नाराजगी चल रही है। ऐसा कहा जाता है कि विजय रुपाणी के सीएम बनने के बाद व्यास को गुजरात की सियासत में किनारे कर दिया गया था। 1990 के चुनाव में बीजेपी को 67 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 33 और जनता दल को 70 सीटों पर कामयाबी मिली थी। चिमनभाई पटेल सीएम बने।,हालांकि इन चुनावों में जय नारायण व्यास सिद्धपुर से पहली बार चुने गए। वे विपक्ष के विधायक और पार्टी नेता के तौर पर काम करते रहे। इसके बाद 1995 और 1998 के चुनावों में व्यास जीते और विधानसभा पहुंचे, लेकिन वे 2002 के चुनाव में हार गए। इसके बाद भी वे पार्टी के लिए काम करते रहे। जब गुजरात की सियासत में नरेंद्र मोदी की वापसी हुई और वे मुख्यमंत्री बने तो जयनारायण व्यास का फिर से संपर्क बढ़ा। अतीत में व्यास एक ब्यूरोक्रेट रह चुके थे। गुजरात के मुद्दों की उन्हें अच्छी समझ थी। व्यास 2007 में फिर सिद्धपुर से लड़े और जीत कर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन गए।

जब मोदी ने फोन कर लड़ाया था चुनाव
1990 में नरेंद्र मोदी बीजेपी के संगठन मंत्री थे। उस चुनाव में पार्टी कांग्रेस को मजबूत चुनौती देने के लिए प्रबुद्ध वर्ग के लोगों को भी टिकट दे रही थी। व्यास एक दिन एक लेक्चर देने जा रहे थे, तभी उन्हें खानपुर ऑफिस (उस वक्त बीजेपी का दफ्तर) से फोन आया। दूसरी तरफ आवाज नरेंद्र मोदी की थी। मोदी ने कहा कि आने वाले चुनाव में आपको सिद्धपुर से लड़ना है। इस पर व्यास को कुछ जवाब देते नहीं बना, क्योंकि उस वक्त के मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी और उद्योग मंत्री से उनके अच्छे रिश्ते थे। व्यास ने मोदी से कहा कि मुझे समय दीजिए, अगर नाम घोषित हो गया तो सरकार रिटायरमेंट नहीं देगी। व्यास ने इसके बाद अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया और फिर चुनाव लड़े। चुनाव जीतकर वह विधायक बन गए।


1975 से 90 तक ब्यूरोक्रेट-प्रशासक की पहचान
1975 से लेकर 1990 तक व्यास की पहचान एक ब्यूरोक्रेट, नीति निर्माता और प्रशासक की थी। इस दौरान उन्होंने गुजरात के औद्योगिक विकास में अपना योगदान दिया। वे भारत के सबसे बड़े बहुउद्देशीय सिंचाई प्रोजेक्ट सरदार सरोवर के चेयरमैन भी रहे। 2007 से लेकर 2012 तक वे मंत्री रहे और साथ ही साथ सरकार के प्रवक्ता की भूमिका भी निभाते रहे। एक समय उनकी अहमियत इतनी ज्यादा थी कि अगर कोई विदेशी डेलीगेशन आता तो जयनारायण व्यास से जरूर मिलता था।
लेखक के बारे में
सुधाकर सिंह
साहिल के सुकूं से किसे इनकार है लेकिन तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है...लिखने-पढ़ने का शौक पत्रकारिता की दुनिया में खींच लाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले से ताल्लुक़। पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से और पत्रकारिता में ईटीवी से शुरुआत। सियासत को इतिहास और वर्तमान को अतीत के आईने में देखने की दिलोदिमाग़ में हसरत उठती रहती है। राजनैतिक-ऐतिहासिक शख़्सियतों और घटनाओं पर लिखने की ख़ास चाहत। डिजिटल दुनिया में राजस्थान पत्रिका से सफ़र का आग़ाज़ करने के बाद नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में मंज़िल का नया पड़ाव।... और पढ़ें

अगला लेख

Electionsकी ताजा खबरें, ब्रेकिंग न्यूज, अनकही और सच्ची कहानियां, सिर्फ खबरें नहीं उसका विश्लेषण भी। इन सब की जानकारी, सबसे पहले और सबसे सटीक हिंदी में देश के सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद Hindi Newsडिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नवभारत टाइम्स पर
ट्रेंडिंग