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Sidhu road rage case: पंजाब चुनाव से पहले सिद्धू को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने रोड रेज केस 25 फरवरी तक किया स्थगित

पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने रोड रेज केस को 25 फरवरी तक के लिए स्‍थगित कर दिया है।

Curated byमिथिलेश धर दुबे | नवभारतटाइम्स.कॉम 3 Feb 2022, 4:18 pm

हाइलाइट्स

  • 27 दिसंबर, 1988 की है घटना, पटियाला में विवाद में शख्‍स की हुई थी मौत
  • निचली अदालत ने सितंबर 1999 में सिद्धू को कर दिया था बरी
  • सुको ने 25 फरवरी तक के लिए इस मामले को स्थगित कर दिया है
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चंडीगढ़: पंजाब चुनाव से पहले सिद्धू को रोड रेज केस (1988 road rage case) में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उच्चतम न्यायालय ने 25 फरवरी तक के लिए इस मामले को स्थगित कर दिया है। शीर्ष अदालत ने 15 मई, 2018 को इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को दरकिनार कर दिया था जिसमें उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देकर तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सिद्धू को एक वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी माना था।
क्‍या है मामला
अभियोजन के अइस झगड़े में गुरनाम की मौत हो गई थी। सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया।नुसार, सिद्धू और संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला के शेरनवाला गेट चौराहे के समीप सड़क के बीच खड़ी जिप्सी में बैठे थे तथा संबंधित बुजुर्ग एवं दो अन्य पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे। जब वे लोग चौराहे पर पहुंचे तब मारूति कार चला रहे गुरनाम नामक एक व्यक्ति ने सिद्धू एवं संधू से जिप्सी को बीच सड़क से हटाने को कहा। इस पर दोनों पक्षों में गर्मागर्म बहस हो गयी। इस झगड़े में गुरनाम की मौत हो गई थी। सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया।

निचली अदालत ने सितंबर 1999 में सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था। शीर्ष अदालत ने सिद्धू और संधू की अपील पर कहा था कि गुरनाम सिंह की मौत की वजह के संबंध में मेडिकल साक्ष्य 'बिल्कुल अस्पष्ट' हैं। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में 2007 में सिद्धू और संधू को दोषी ठहराए जाने पर रोक लगा दी थी।


एक साल तक की हो सकती है सजाआईपीसी की धारा 323 (जान बूझकर चोट पहुंचाने के लिए दंड) के तहत अधिकतम एक साल की कैद या 1000 रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। शीर्ष अदालत ने सिद्धू के सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू को यह कहते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया था कि दिसंबर, 1988 के इस अपराध के समय सिद्धू के साथ उनकी मौजूदगी का कोई भरोसेमंद गवाह नहीं है।
लेखक के बारे में
मिथिलेश धर दुबे
पत्रकारिता में लगभग 10 साल का अनुभव। एनबीटी से पहले गांव कनेक्शन, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका और प्रभात खबर जैसे अखबारों में रिपोर्टिंग और डेस्क पर काम करने का अनुभव। ग्राउंड रिपोर्ट, फुटवर्क, नये जमाने की पत्रकारिता के साथ-साथ ओल्ड ऐज जर्नलिस्म में विश्वास। खेती किसानी, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर रिपोर्टिंग।... और पढ़ें

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