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पंजाब चुनाव: मतदान के सभी पिछले रेकॉर्ड टूटे, बादल सरकार के खिलाफ जाएगी लहर?

पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतदान हुआ। इस बार वोटिंग के आंकड़े ने पिछले सभी रेकॉर्ड तोड़ दिए। कुल 78.62 फीसद लोगों ने मतदान किया। मालवा प्रांत में सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया। शहरी इलाकों में वोटिंग काफी कम रही। इस बार BJP-SAD गठबंधन, कांग्रेस और AAP के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है।

टाइम्स न्यूज नेटवर्क 5 Feb 2017, 1:42 pm
रोहन दुआ, अमृतसर
नवभारतटाइम्स.कॉम punjab election voting breaks all previous records strong anti incumbency likely to go against badal regime
पंजाब चुनाव: मतदान के सभी पिछले रेकॉर्ड टूटे, बादल सरकार के खिलाफ जाएगी लहर?

पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतदान हुआ। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP)-शिरोमणि अकाली दल गठबंधन, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। यह पहला मौका है जब पंजाब में त्रिकोणीय मुकाबला ठना है। साथ ही, बादल सरकार के विरोध में माहौल बना हुआ है।

माना जा रहा था कि इस बार जमकर मतदान होगा, लेकिन 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार वोटिंग प्रतिशत में थोड़ा ही सुधार हुआ। 2012 में जहां 78.20 फीसद लोगों ने मतदान किया था, वहीं इस बार यह आंकड़ा 78.62 प्रतिशत रहा। 1966 में अलग राज्य बनने के बाद से देखें, तो इस बार हुई वोटिंग ने सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए। चुनाव आयोग ने हालांकि 85 फीसद मतदान का लक्ष्य रखा था, लेकिन वोटिंग वहां तक नहीं पहुंच सकी।



पिछले विधानसभा चुनाव में विश्लेषक कांग्रेस के जीतने का अनुमान जता रहे थे। इसका कारण यह था कि BJP-अकाली दल गठबंधन अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी थी। पंजाब का ट्रैक रेकॉर्ड देखें, तो कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आती, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे अलग साबित हुए। पंजाब में पहली बार कोई सरकार 5 साल के कार्यकाल के बाद दोबारा चुनकर आई। उस चुनाव में BJP-अकाली दल गठबंधन को 117 सीटों में से 68 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

इस बार अधिक मतदान होने के पीछे सबसे बड़ा योगदान मालवा क्षेत्र का है। यहां कुल 69 सीटें हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, मालवा के 11 में से 9 जिलों में मतदाताओं की संख्या रेकॉर्ड 80 फीसद को पार कर गई। इनमें सत्तारूढ़ बादल परिवार के निर्वाचन क्षेत्र- मुक्तसर, भटिंडा और फजिलका भी शामिल हैं।

फरीदकोट में, जहां कुछ महीनों पहले गुरुग्रंथ साहिब के अपमान की घटनाओं से माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था, वहां भी मतदान 80 फीसद के पार चला गया। यहां भी अकाली दल के खिलाफ मजबूत लहर थी। धर्मग्रंथ के अपमान की घटनाओं और उसके बाद पैदा हुए हालातों के कारण लोग सरकार से नाराज बताए जा रहे थे।



चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक, AAP इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। मालवा इलाके में भी गुरुग्रंथ साहिब के अपमान की कई घटनाएं सामने आई थीं। असके अलावा 2015 में यहां कपास की फसल भी खराब हो गई थी, जिसके बाद कई किसान सरकार से नाराज चल रहे थे। यह सरकार-विरोधी भावना AAP के पक्ष में जा सकती है।

इन इलाकों से अलग पंजाब के सबसे ज्यादा आबादी वाले जिले- लुधियाना, अमृतसर और जालंधर में 67 से 73 फीसद के बीच मतदान हुआ, जो कि औसत से थोड़ा कम है। अमृतसर में 67.7 फीसद मतदान हुआ, जो कि पूरे पंजाब के मुकाबले सबसे कम है।



मौजूदा पंजाब विधानसभा चुनाव के सबसे बड़े 2 चेहरे- नवजोत सिंह सिद्धु और बिक्रम मजीठिया यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा अमृतसर लोकसभा उपचुनाव के लिए भी साथ-साथ मतदान कराया गया। पंजाब कांग्रेस के प्रमुख अमरिंदर सिंह ने चुनाव से पहले सांसद की अपनी सीट छोड़ दी थी।



पंजाब के शहरी इलाकों में कांग्रेस बाकी सभी दलों की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। यहां 70 से 72 फीसद मतदान दर्ज किया गया। पंजाब में AAP के प्रमुख संजय सिंह ने कहा, 'कुल मतदान भले ही कम रहा हो, लेकिन मालवा प्रांत में काफी वोटिंग दर्ज की गई। मालवा में हम मजबूत स्थिति में हैं। मुझे भरोसा है कि नतीजे आने के बाद AAP ही सरकार बनाएगी।' उधर पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने कहा, 'हमारे विकास के अजेंडे का समर्थन करते हुए लोग बड़ी संख्या में मतदान करने के लिए आए।' कांग्रेस की कमान संभाल रहे अमरिंदर सिंह ने कहा, 'मतदाताओं ने हर तरह के डर और दबाव को किनारे रखा और बड़ी संख्या में मतदान किया। यह पंजाब के अच्छे भविष्य की ओर इशारा करता है।'

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