वाराणसी: समाजवादी पार्टी और अपना दल (के) के बीच दरार की खबरों पर अब मुहर लग गई है। रोहनिया सीट से गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर अपना दल कमेरावादी के प्रत्याशी अभय पटेल ने नामांकन किया तो वहीं कुछ देर के बाद ही सपा के सिंबल के साथ धर्मेंद्र सिंह दीनू भी नामांकन करने पहुंच गए।
पूर्व में भी सिराथू सीट पर पल्लवी पटेल के सपा सिंबल पर नाम घोषित करने के बाद अपना दल (के) ने प्रेसवार्ता कर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। प्रेसवार्ता में एकतरफा फैसले का आरोप अपना दल (के ) ने सपा पर आरोप लगाए थे। साथ ही सीट शेयरिंग पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
सपा की किसी नेता को नहीं थी जानकारी
गुरुवार दोपहर में करीब एक बजे अपना दल (के) के अभय पटेल नामांकन करने निर्वाचन कार्यालय पहुंचे। अभय पटेल के साथ सपा के जिला अध्यक्ष सुजीत यादव लक्कड़, पूर्व राज्य मंत्री मनोज राय धूपचंडी समेत सभी पार्टी के पदाधिकारी थे। नामांकन करके अभय पटेल दो बजे के बाद वापस चले गए। नामांकन के आखिरी दिन करीब ढाई बजे अचानक अपने समर्थकों के साथ धर्मेंद्र सिंह दीनू जिला निर्वाचन के कार्यालय पहुंचे और अपना नामांकन सपा के सिंबल पर किया। जैसे ही ये खबर सामने आई बनारस से लखनऊ तक सपा नेताओं के फोन बजने शुरू हो गए, लेकिन किसी भी नेता को इस बात की भनक नहीं थी कि सपा ने अपना सिंबल किसी नेता को रोहनिया सीट पर दिया है।
'मेरी पीठ पर छुरा घोंपा गया, शीर्ष नेतृत्व का मानूंगा आदेश'
नामांकन करने के बाद अपना दल (के ) के अभय पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रोहनिया सीट पर इस बार मां (कृष्णा पटेल ) और बेटी (अनुप्रिया पटेल ) के बीच लड़ाई है, लेकिन जब अचानक सपा के प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह के नामांकन की सूचना मिली तो अब रोहनिया सीट पर लड़ाई दिलचस्प हो गई है। एनबीटी ऑनलाइन ने जब अभय पटेल से पूछा कि क्या वो अपना नामांकन वापस लेंगे तो इस बात से इन्कार करते हुए इशारे में कहा कि उनकी पीठ पर छुरा घोंपा गया है और शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं, जो आदेश होगा वो पालन करेंगे।
क्यों है रोहनिया सीट सोनेलाल पटेल के परिवार के लिए प्रतिष्ठा का विषय, क्या है इतिहास?
2012 के परिसीमन में रोहनिया एक नए विधानसभा क्षेत्र के रूप में सामने आई। करीब 3 लाख 91 हज़ार मतदाताओं वाली ये विधानसभा गंगापुर की 65 और कैंट विधानसभा की 47 ग्राम पंचायतों को इसमें शामिल किया गया। इस विधानसभा क्षेत्र से एनएच-2 गुज़रती है और इसी हाईवे के किनारे इस विधानसभा का अधिकांश क्षेत्र पड़ता है।
पटेल बाहुल्य इस क्षेत्र में 2012 में सोनेलाल पटेल की अपना दल से अनुप्रिया पटेल ने चुनावी जीत दर्ज की, फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल के भाजपा से गठबंधन होने पर अनुप्रिया पटेल ने मिर्ज़ापुर से सांसद का चुनाव जीता। 2014 में हुए उपचुनाव में सपा नेता सुरेंद्र पटेल के भाई महेंद्र पटेल ने इस सीट से जीत दर्ज की। इस उपचुनाव में अनुप्रिया पटेल की मां अपना दल की कृष्णा पटेल को हार मिली। इसी उपचुनाव में हार के बाद अनुप्रिया पटेल और कृष्णा पटेल के बीच मनमुटाव शुरू हुआ और अपना दल में दो फाड़ हो गया। 2017 के चुनाव में ये सीट भाजपा के सुरेंद्र सिंह ओढ़े ने जीती। सपा और कांग्रेस के मिलकर चुनाव लड़ने के बाद भी महेंद्र पटेल इस सीट को बचा नहीं सके।
पूर्व में भी सिराथू सीट पर पल्लवी पटेल के सपा सिंबल पर नाम घोषित करने के बाद अपना दल (के) ने प्रेसवार्ता कर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। प्रेसवार्ता में एकतरफा फैसले का आरोप अपना दल (के ) ने सपा पर आरोप लगाए थे। साथ ही सीट शेयरिंग पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
सपा की किसी नेता को नहीं थी जानकारी
गुरुवार दोपहर में करीब एक बजे अपना दल (के) के अभय पटेल नामांकन करने निर्वाचन कार्यालय पहुंचे। अभय पटेल के साथ सपा के जिला अध्यक्ष सुजीत यादव लक्कड़, पूर्व राज्य मंत्री मनोज राय धूपचंडी समेत सभी पार्टी के पदाधिकारी थे। नामांकन करके अभय पटेल दो बजे के बाद वापस चले गए। नामांकन के आखिरी दिन करीब ढाई बजे अचानक अपने समर्थकों के साथ धर्मेंद्र सिंह दीनू जिला निर्वाचन के कार्यालय पहुंचे और अपना नामांकन सपा के सिंबल पर किया। जैसे ही ये खबर सामने आई बनारस से लखनऊ तक सपा नेताओं के फोन बजने शुरू हो गए, लेकिन किसी भी नेता को इस बात की भनक नहीं थी कि सपा ने अपना सिंबल किसी नेता को रोहनिया सीट पर दिया है।
'मेरी पीठ पर छुरा घोंपा गया, शीर्ष नेतृत्व का मानूंगा आदेश'
नामांकन करने के बाद अपना दल (के ) के अभय पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रोहनिया सीट पर इस बार मां (कृष्णा पटेल ) और बेटी (अनुप्रिया पटेल ) के बीच लड़ाई है, लेकिन जब अचानक सपा के प्रत्याशी धर्मेंद्र सिंह के नामांकन की सूचना मिली तो अब रोहनिया सीट पर लड़ाई दिलचस्प हो गई है। एनबीटी ऑनलाइन ने जब अभय पटेल से पूछा कि क्या वो अपना नामांकन वापस लेंगे तो इस बात से इन्कार करते हुए इशारे में कहा कि उनकी पीठ पर छुरा घोंपा गया है और शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं, जो आदेश होगा वो पालन करेंगे।
क्यों है रोहनिया सीट सोनेलाल पटेल के परिवार के लिए प्रतिष्ठा का विषय, क्या है इतिहास?
2012 के परिसीमन में रोहनिया एक नए विधानसभा क्षेत्र के रूप में सामने आई। करीब 3 लाख 91 हज़ार मतदाताओं वाली ये विधानसभा गंगापुर की 65 और कैंट विधानसभा की 47 ग्राम पंचायतों को इसमें शामिल किया गया। इस विधानसभा क्षेत्र से एनएच-2 गुज़रती है और इसी हाईवे के किनारे इस विधानसभा का अधिकांश क्षेत्र पड़ता है।
पटेल बाहुल्य इस क्षेत्र में 2012 में सोनेलाल पटेल की अपना दल से अनुप्रिया पटेल ने चुनावी जीत दर्ज की, फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल के भाजपा से गठबंधन होने पर अनुप्रिया पटेल ने मिर्ज़ापुर से सांसद का चुनाव जीता। 2014 में हुए उपचुनाव में सपा नेता सुरेंद्र पटेल के भाई महेंद्र पटेल ने इस सीट से जीत दर्ज की। इस उपचुनाव में अनुप्रिया पटेल की मां अपना दल की कृष्णा पटेल को हार मिली। इसी उपचुनाव में हार के बाद अनुप्रिया पटेल और कृष्णा पटेल के बीच मनमुटाव शुरू हुआ और अपना दल में दो फाड़ हो गया। 2017 के चुनाव में ये सीट भाजपा के सुरेंद्र सिंह ओढ़े ने जीती। सपा और कांग्रेस के मिलकर चुनाव लड़ने के बाद भी महेंद्र पटेल इस सीट को बचा नहीं सके।