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UP Chunav 2022: गोरखपुर से लड़ते हुए 41 सीटों पर सीधी नजर रखेंगे योगी, यूं ही बीजेपी ने नहीं लिया फैसला

गोरखपुर सदर सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है। बीते 33 साल से यहां भगवा पार्टी के प्रत्‍याशी ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। जानकार मानते हैं कि गोरखपुर से योगी के लड़ने से गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर सीधा असर पड़ेगा।

Edited byवैभव पांडे | नवभारत टाइम्स 16 Jan 2022, 8:07 am

हाइलाइट्स

  • गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ने जा रहे योगी आदित्‍यनाथ
  • 33 सालों से भगवा पार्टी के कब्‍जे में है गोरखपुर की सदर सीट
  • गोरखपुर बस्‍ती मंडल की 41 सीटों पर संदेश देंगे योगी आदित्‍यनाथ
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शफी आजमी, गोरखपुर
सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath in Gorakhpur) को गोरखपुर सदर से लड़ाने का भाजपा का फैसला यूं ही नहीं है। यूपी की सबसे हॉट सीट बन चुकी गोरखपुर सदर सीट पर योगी के लड़ने के कई मायने हैं। जाहिर है, राजनीतिक निहितार्थ यही है कि गोरखपुर से लड़ते हुए योगी गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर सीधी नजर रखेंगे। अभी तक इन 41 सीटों पर ज्यादातर पर भगवा का ही कब्जा है और भाजपा 2022 में भी ये सभी सीटें बचाए रखना चाहती है। योगी की उम्मीदवारी इसी कवायद की एक कड़ी है।
गोरखपुर सदर सीट पर बीते 33 साल से भगवा का कब्जा है। खुद योगी आदित्यनाथ 1998 से 2017 तक गोरखपुर संसदीय सीट से अपराजेय रहे हैं। इस सीट की एक-एक विधानसभा पर योगी की खासी पकड़ है और वे गली-मोहल्ले तक के कार्यकर्ताओं, प्रभाव वाले लोगों से व्यक्तिगत तौर पर जुड़े हुए हैं। यहां से योगी की उम्मीदवार तय होने पर किसी को अचरज भी नहीं है क्योंकि जानकार मानते हैं कि गोरखपुर से योगी के लड़ने से गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर सीधा असर पड़ेगा। योगी की चुनावी रणनीति से वाकिफ लोग जानते हैं कि वे चुनावी बिसात बिछाने, उसे अमली जामा पहनाने के महारथी हैं।

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योगी के सामने टूट जाता है जाति समीकरण
योगी आदित्यनाथ एक ऐसा नाम है कि जब वह चुनाव मैदान में अपने लिए या किसी समर्थक के लिए उतरते हैं तो जाति समीकरण ध्वस्त हो जाते हैं। गोरखपुर सदर सीट पर वर्तमान में 4,53,662 मतदाता हैं, जिनमें 2,43,013 पुरुष और 2,10,574 महिला हैं। इस सीट पर 45 हजार से अधिक कायस्थ मतदाता हैं जबकि 60 हजार ब्राह्मण हैं। 15 हजार क्षत्रिय और 30 हजार के लगभग मुस्लिम मतदाता है। वैश्य मततदाता की संख्या भी 50 हजार से ज्यादा है। निषाद 35 हजार, दलित 20 हजार तो यादव 15 हजार बताए जाते हैं।

गोरखपुर सदर सीट का इतिहास
यूपी की 403 विधानसभा में एक गोरखपुर सदर विधानसभा 322 नंबर से जानी जाती है। 1951 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ था। तब कांग्रेस के इस्तिफा हुसैन पहली बार विधायक बने थे। 1962 में कांग्रेस के नेमतुल्लाह अंसारी विधायक चुने गए। 1967 में यह सीट भारतीय जनसंघ के पास चली गई और उदय प्रताप दुबे विधायक बने। 1969 में जनसंघ के ही राम लाल भाई जबकि 1974 से 1977 तक वरिष्ठ अधिवक्ता अवधेश कुमार श्रीवास्तव जनसंघ से विधायक चुने गए। तीन बार जनसंघ का विधायक होने के बाद 1985 में यह सीट कांग्रेस के सुनील शास्त्री ने जनसंघ से छीन ली पर 1989 में यह सीट फिर भाजपा ने शिव प्रताप शुक्ला ने कांग्रेस से छीन ली। तब से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।

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2002 में योगी भाजपा से रुष्ट हो गए थे। वह चार बार के विधायक शिव प्रताप शुक्ला को टिकट देने का विरोध कर रहे थे लेकिन भाजपा ने उन्हें नजरदांज कर दिया। तब योगी ने अपने चुनाव संचालक डॉ़ राधा मोहन दास अग्रवाल को निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा दिया। भाजपा की शिकस्त हो गई और राधा मोहन विधायक बन गए। यह दीगर बात है कि बाद में भाजपा योगी के सामने झुकी तो राधामोहन भाजपा में शामिल हो गए। वह लगातार चौथी बार जीते।

गोरखपुर सदर सीट पर 50% वोट भाजपा के
पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि गोरखपुर सदर सीट पर कुल पड़े वोट का 50 प्रतिशत वोट भाजपा को मिले हैं। 2017 के चुनाव में भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल को 1,22,221 वोट यानी 55.85% प्रतिशत वोट मिले। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे सपा कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी राणा राहुल सिंह को 61, 491 यानी 28.10 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा। 2012 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के राधामोहन दास अग्रवाल को 49.19 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।

गोरखपुर सदर सीट एक नजर में

पुरुष मतदाता 2,43,013
महिला मतदाता 2,10,574
अन्य मतदाता 75
कुल मतदाता 4,53,662
लेखक के बारे में
वैभव पांडे
नवभारत टाइम्‍स डिजिटल में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर। ग्रेजुएशन तक साइंस स्‍टूडेंट। इसके बाद मीडिया में पोस्‍ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई। लखनऊ से पत्रकारिता का सफर शुरू हुआ जो वाया आगरा, दिल्‍ली-NCR फिर नवाबों के शहर आ पहुंचा है। लंबे समय तक दैनिक जागरण प्रिंट में काम किया। अब 'न्‍यू मीडिया' की बारीकियों को समझने का सिलसिला जारी है।... और पढ़ें

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