देहरादून: 'द्वन्द्व कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए, तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए।' वाहिद अली वाहिद की इस कविता को याद करते हुए उत्तराखंड के रामनगर के रण (Ramnagar Assembly Constituency) में अपनी सेना उतार चुके कांग्रेस (Uttarakhand Congress) के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत (Ranjit Rawat) चुनावी मैदान में पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) के पक्ष में मैदान छोड़ने को राजी नहीं हैं। रणजीत रावत का कहना है कि पार्टी अगर उनको यहां से लड़ाने की जिद करेगी तो वह खुद निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वह अभी पार्टी हाइकमान के अंतिम निर्णय के इंतजार में हैं। यह पूछे जाने पर की क्या सल्ट सीट से चुनाव लड़ने के पार्टी के प्रस्ताव पर वह विचार करने को भी तैयार नहीं हैं, उन्होंने कहा कि लंबे समय से पार्टी के ही इशारे पर रामनगर को अपना चुनाव क्षेत्र मान यहीं अपना फोकस किया था। यहां वह हरीश रावत के ही कहने से आए थे। रणजीत रावत के मूड से साफ लग रहा कि वह गुरु से दो-दो हाथ करने की पूरी तैयारी में है। अगर रणजीत बागी हुए तो चुनाव की निर्णायक बाजी कांग्रेस के हाथ से फिसल भी सकती है।
सुर्खियों में रहती थी गुरु-चेले की जोड़ी
रणजीत का कहना है कि ऐन मौके पर हरीश रावत रामनगर से लड़ने आ रहे हैं। उनके मन में ऐसा कुछ था तो पहले ही उनको बता देते। ऐसे में वे सल्ट विधानसभा से ही तैयारी कर लेते। 2017 की मोदी लहर में रणजीत रावत रामनगर से चुनाव हारने के बाद नए सिरे से तैयारी में जुटे थे। रणजीत रावत, हरीश रावत के लंबे समय तक लेफ्टिनेंट माने जाते थे। उत्तराखंड में गुरु-चेले की यह जोड़ी खूब सुर्खी बटोरती थी। हरीश रावत के मुख्यमंत्री काल में रणजीत काफी शक्तिशाली माने जाते थे। 2017 के चुनाव के बाद हरीश और रंजीत के बीच मनमुटाव शुरू हुआ था।
निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी घोषणा
रणजीत कह रहे हैं कि अगर रामनगर से हरीश को शिफ्ट न किया गया तो वह निर्दलीय लड़ेंगे और सल्ट से भी अपने ब्लॉक प्रमुख बेटे विक्रम को चुनावी मैदान में उतारेंगे। जब हरीश से पूछा गया कि अब वह रणजीत रावत को किस तरह से मनाएंगे तो उन्होंने कहा वह मेरे छोटे भाई हैं और बहुत ही होनहार व्यक्ति हैं। मैं तो उन्हें शुभकामना के अलावा और क्या दे सकता हूं। यह पूछने पर की रामनगर ही क्यों? उन्होंने कहा कि मैंने रामनगर से बहुत कुछ सीखा है और इस वक्त जब मैं जीवन के अंतिम दौर में हूं तो मैंने रामनगर को चुनना ही सही समझा।
सुर्खियों में रहती थी गुरु-चेले की जोड़ी
रणजीत का कहना है कि ऐन मौके पर हरीश रावत रामनगर से लड़ने आ रहे हैं। उनके मन में ऐसा कुछ था तो पहले ही उनको बता देते। ऐसे में वे सल्ट विधानसभा से ही तैयारी कर लेते। 2017 की मोदी लहर में रणजीत रावत रामनगर से चुनाव हारने के बाद नए सिरे से तैयारी में जुटे थे। रणजीत रावत, हरीश रावत के लंबे समय तक लेफ्टिनेंट माने जाते थे। उत्तराखंड में गुरु-चेले की यह जोड़ी खूब सुर्खी बटोरती थी। हरीश रावत के मुख्यमंत्री काल में रणजीत काफी शक्तिशाली माने जाते थे। 2017 के चुनाव के बाद हरीश और रंजीत के बीच मनमुटाव शुरू हुआ था।
निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी घोषणा
रणजीत कह रहे हैं कि अगर रामनगर से हरीश को शिफ्ट न किया गया तो वह निर्दलीय लड़ेंगे और सल्ट से भी अपने ब्लॉक प्रमुख बेटे विक्रम को चुनावी मैदान में उतारेंगे। जब हरीश से पूछा गया कि अब वह रणजीत रावत को किस तरह से मनाएंगे तो उन्होंने कहा वह मेरे छोटे भाई हैं और बहुत ही होनहार व्यक्ति हैं। मैं तो उन्हें शुभकामना के अलावा और क्या दे सकता हूं। यह पूछने पर की रामनगर ही क्यों? उन्होंने कहा कि मैंने रामनगर से बहुत कुछ सीखा है और इस वक्त जब मैं जीवन के अंतिम दौर में हूं तो मैंने रामनगर को चुनना ही सही समझा।