देहरादून
एक तरफ उत्तराखंड में कांग्रेस व बीजेपी के बीच सत्ता को लेकर कांटे का मुकाबला है। वहां पार्टी सत्ता में आने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है, लेकिन एक बड़ी सच्चाई यह भी है कि प्रदेश के टॉप लीडरशिप में जमकर खींचातानी और गुटबाजी चल रही है। एक तरफ प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह हैं। वहीं राज्य के प्रभारी देवेंद्र यादव भी उन्हीं के साथ हैं। बताया जाता है कि प्रीतम सिंह और यादव मिलकर वहां सभी अहम फैसले ले रहे हैं, जिनसे या तो रावत को भरोसे में नहीं लिया जाता या फिर उनकी सुनवाई नहीं हो रही। फिर चाहें टिकट बंटवारे और उम्मीवारों का चयन का मामला हो, या फिर बीजेपी से निष्काषित नेता हरक सिंह की कांग्रेस में वापसी का मामला, हर जगह रावत को अलग-थलग किसी जा रहा है। जिससे रावत काफी आहत हैं।
प्रदेश अध्यक्ष भी बढ़ा रहे दूरी
यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी धीरे-धीरे उन रावत से दूर हो रहे हैं, जिनके अध्यक्ष बनने में रावत की अहम भूमिका रही है। गोदियाल भी अब यादव व प्रीतम सिंह खेमे में शामिल हो चुके बताए जा रहे हैं। बताया जाता है कि पिछले दिनों दिल्ली में एक बड़े नेता ने उन्हें दिल्ली बुलाकर रावत के साथ न खड़े होने की समझाइश दी। गोदियाल को समझाया गया कि रावत के प्रभाव से निकल अपना अलग वलय तैयार कीजिए।
रावत खेमे को कमजोर करने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक, रावत का विरोधी खेमा चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दी जाएं, जो रावत के साथ न खड़े हों। अगर कांग्रेस जीतती है और उसके ज्यादातर विधायक रावत खेमे के नहीं होंगे तो उन्हें रोकने में आसानी होगी। हालांकि कांग्रेस जानती है कि भले ही रावत को सीएम फेस न बनाया गया हो, लेकिन राज्य में आज भी पार्टी के लिए सबसे बड़ा चेहरा वहीं हैं। यह पूरी कवायद रावत खेमे को कमजोर करने की कोशिश है।
टिकट बंटवारे पर नहीं बन रही सहमति
कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान का असर उत्तराखंड में टिकट बंटवारे पर भी हो रहा है। इसे लेकर होने मीटिंगों में भी आम सहमति न होने के चलते चीजें काफी लटकती रहीं। वहीं दोनों पक्षों के बीच एक बड़ा मुद्दा हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी भी है। हरीश रावत हरक सिंह की वापसी के पक्ष में बिलकुल नहीं हैं। रावत की दलील है, जिनके चलते उनकी सरकार गई, उन्हें वापस नहीं आना चाहिए। उनके आने से पार्टी को नुकसान हो सकता है।
हरक से माफी पर अड़े रावत
हरीश रावत का कहना था कि हरक सिंह को अपने किए की माफी मांगनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, हरक सिंह को लेकर उन्होंने अपनी आपत्ति दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व को भी बता दी है। जबकि यादव व देंवेंद्र सिंह न सिर्फ हरक सिंह से संपर्क में हैं, बल्कि उनकी वापसी के लिए सबसे अहम भूमिका यही निभा रहे हैं। प्रदेश के एक नेता का कहना था कि जो व्यक्ति (हरक सिंह) पंद्रह दिन पहले एक टीवी चैनल की बहस में हमारे नेता राहुल गांधी को गाली दे रहा हो, बहस में सामने प्रीतम सिंह बैठकर सब सुनते हैं, फिर भी उसकी वापसी की बात हो रही है।
एक तरफ उत्तराखंड में कांग्रेस व बीजेपी के बीच सत्ता को लेकर कांटे का मुकाबला है। वहां पार्टी सत्ता में आने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है, लेकिन एक बड़ी सच्चाई यह भी है कि प्रदेश के टॉप लीडरशिप में जमकर खींचातानी और गुटबाजी चल रही है। एक तरफ प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रीतम सिंह हैं। वहीं राज्य के प्रभारी देवेंद्र यादव भी उन्हीं के साथ हैं।
प्रदेश अध्यक्ष भी बढ़ा रहे दूरी
यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी धीरे-धीरे उन रावत से दूर हो रहे हैं, जिनके अध्यक्ष बनने में रावत की अहम भूमिका रही है। गोदियाल भी अब यादव व प्रीतम सिंह खेमे में शामिल हो चुके बताए जा रहे हैं। बताया जाता है कि पिछले दिनों दिल्ली में एक बड़े नेता ने उन्हें दिल्ली बुलाकर रावत के साथ न खड़े होने की समझाइश दी। गोदियाल को समझाया गया कि रावत के प्रभाव से निकल अपना अलग वलय तैयार कीजिए।
रावत खेमे को कमजोर करने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक, रावत का विरोधी खेमा चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दी जाएं, जो रावत के साथ न खड़े हों। अगर कांग्रेस जीतती है और उसके ज्यादातर विधायक रावत खेमे के नहीं होंगे तो उन्हें रोकने में आसानी होगी। हालांकि कांग्रेस जानती है कि भले ही रावत को सीएम फेस न बनाया गया हो, लेकिन राज्य में आज भी पार्टी के लिए सबसे बड़ा चेहरा वहीं हैं। यह पूरी कवायद रावत खेमे को कमजोर करने की कोशिश है।
टिकट बंटवारे पर नहीं बन रही सहमति
कांग्रेस के भीतर चल रही खींचतान का असर उत्तराखंड में टिकट बंटवारे पर भी हो रहा है। इसे लेकर होने मीटिंगों में भी आम सहमति न होने के चलते चीजें काफी लटकती रहीं। वहीं दोनों पक्षों के बीच एक बड़ा मुद्दा हरक सिंह रावत की कांग्रेस में वापसी भी है। हरीश रावत हरक सिंह की वापसी के पक्ष में बिलकुल नहीं हैं। रावत की दलील है, जिनके चलते उनकी सरकार गई, उन्हें वापस नहीं आना चाहिए। उनके आने से पार्टी को नुकसान हो सकता है।
हरक से माफी पर अड़े रावत
हरीश रावत का कहना था कि हरक सिंह को अपने किए की माफी मांगनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, हरक सिंह को लेकर उन्होंने अपनी आपत्ति दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व को भी बता दी है। जबकि यादव व देंवेंद्र सिंह न सिर्फ हरक सिंह से संपर्क में हैं, बल्कि उनकी वापसी के लिए सबसे अहम भूमिका यही निभा रहे हैं। प्रदेश के एक नेता का कहना था कि जो व्यक्ति (हरक सिंह) पंद्रह दिन पहले एक टीवी चैनल की बहस में हमारे नेता राहुल गांधी को गाली दे रहा हो, बहस में सामने प्रीतम सिंह बैठकर सब सुनते हैं, फिर भी उसकी वापसी की बात हो रही है।