कोलकाता
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal Assembly Elections) से पहले कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बीच की आपसी तकरार तेज हो गई है। कांग्रेस नेतृत्व से नाराज 'जी 23' में शामिल वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) को कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में शामिल किए जाने पर तगड़ा प्रहार किया है।
शर्मा का कहना है कि यह कांग्रेस पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ है। फुरफुरा शरीफ दरगाह के जिस 38 वर्षीय मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी को लेकर कांग्रेस में रार मचा हुआ है, वह कभी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास हुआ करते थे। ममता बनर्जी से नाराज होकर कुछ समय पहले उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली थी।
ममता पर मुस्लिमों की अनदेखी का लगाया आरोप
पश्चिम बंगाल में करीब 31 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। फुरफुरा शरीफ दरगाह का बंगाल के मुस्लिम समाज पर काफी गहरा प्रभाव है। यह दरगाह मुस्लिम वोट बैंक का गेमचेंजर माना जाता है। लेफ्ट फ्रंट सरकार के समय इसी दरगाह की मदद से ममता बनर्जी ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे बड़े आंदोलन कर सत्ता हासिल की थी। कई महीनों पहले पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का ममता बनर्जी से मतभेद हो गया जिसके बाद उन्होंने नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। सिद्दीकी ने ममता पर मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाया है।
पीरजादा के साथ पर आनंद शर्मा ने जताई आपत्ति तो बोले अधीर रंजन - 'पार्टी नेतृत्व की मंजूरी से गठबंधन में शामिल हुआ ISF'
ममता के वोट बैंक में सेंध लगाएगी पीरजादा की पार्टी
वर्ष 2011 में ममता बनर्जी की धमाकेदार जीत के पीछे मुस्लिम वोटरों का बड़ा योगदान था। बंगाल की 294 सीटों में से 90 से ज्यादा सीटों पर इस वोटबैंक का सीधा प्रभाव है। ऐसे में पीरजादा के नई पार्टी बना लेने से ममता के इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी आशंका है। कांग्रेस की नजर भी इसी वोट बैंक पर है जिसके चलते उसने आईएसएफ को अपने गठबंधन में शामिल किया है।
ममता बनर्जी के करीबी रहे पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बनाई नई पार्टी, TMC के वोट बैंक में सेंध लगना तय!
ओवैसी ने भी की थी पीरजादा से मुलाकात
कांग्रेस से गठबंधन से पहले गत जनवरी में पीरजादा से एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी मुलाकात की थी। उस समय ओवैसी ने दावा किया था कि उन्हें फुरफुरा शरीफ के मौलाना पीरजादा का समर्थन हासिल है। बाद में ओवैसी की पार्टी के साथ आईएसएफ की बात नहीं बनी तो वह कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में शामिल हो गई।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal Assembly Elections) से पहले कांग्रेस पार्टी के नेताओं के बीच की आपसी तकरार तेज हो गई है। कांग्रेस नेतृत्व से नाराज 'जी 23' में शामिल वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) को कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में शामिल किए जाने पर तगड़ा प्रहार किया है।
शर्मा का कहना है कि यह कांग्रेस पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ है। फुरफुरा शरीफ दरगाह के जिस 38 वर्षीय मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी को लेकर कांग्रेस में रार मचा हुआ है, वह कभी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास हुआ करते थे। ममता बनर्जी से नाराज होकर कुछ समय पहले उन्होंने अपनी नई पार्टी बना ली थी।
ममता पर मुस्लिमों की अनदेखी का लगाया आरोप
पश्चिम बंगाल में करीब 31 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। फुरफुरा शरीफ दरगाह का बंगाल के मुस्लिम समाज पर काफी गहरा प्रभाव है। यह दरगाह मुस्लिम वोट बैंक का गेमचेंजर माना जाता है। लेफ्ट फ्रंट सरकार के समय इसी दरगाह की मदद से ममता बनर्जी ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे बड़े आंदोलन कर सत्ता हासिल की थी। कई महीनों पहले पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का ममता बनर्जी से मतभेद हो गया जिसके बाद उन्होंने नई पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। सिद्दीकी ने ममता पर मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाया है।
पीरजादा के साथ पर आनंद शर्मा ने जताई आपत्ति तो बोले अधीर रंजन - 'पार्टी नेतृत्व की मंजूरी से गठबंधन में शामिल हुआ ISF'
ममता के वोट बैंक में सेंध लगाएगी पीरजादा की पार्टी
वर्ष 2011 में ममता बनर्जी की धमाकेदार जीत के पीछे मुस्लिम वोटरों का बड़ा योगदान था। बंगाल की 294 सीटों में से 90 से ज्यादा सीटों पर इस वोटबैंक का सीधा प्रभाव है। ऐसे में पीरजादा के नई पार्टी बना लेने से ममता के इस मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने की पूरी आशंका है। कांग्रेस की नजर भी इसी वोट बैंक पर है जिसके चलते उसने आईएसएफ को अपने गठबंधन में शामिल किया है।
ममता बनर्जी के करीबी रहे पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बनाई नई पार्टी, TMC के वोट बैंक में सेंध लगना तय!
ओवैसी ने भी की थी पीरजादा से मुलाकात
कांग्रेस से गठबंधन से पहले गत जनवरी में पीरजादा से एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी मुलाकात की थी। उस समय ओवैसी ने दावा किया था कि उन्हें फुरफुरा शरीफ के मौलाना पीरजादा का समर्थन हासिल है। बाद में ओवैसी की पार्टी के साथ आईएसएफ की बात नहीं बनी तो वह कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में शामिल हो गई।