बागपत
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत शहर में चार दिन बाद मतदान होना है और सभी प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुटे हैं, लेकिन मूलभूत समस्याओं की अनदेखी को लेकर लोग खफा हैं। यह शहर स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छता और बिजली की कमी की दुखद कहानी बयां करता है। 50,000 की आबादी वाले शहर में 11 अप्रैल को मतदान होगा। यहां मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सत्यपाल सिंह और समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के उम्मीदवार जयंत चौधरी के बीच है।
सरकारी अस्पताल में नहीं मिलते डॉक्टर
बागपत सीट से फिर से किस्मत आज़मा रहे सिंह को भरोसा है कि लोग उन्हें दोबारा लोकसभा भेजेंगे जबकि आरएलडी नेता अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी पासा पलटने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। बहरहाल, दोनों ही उम्मीदवारों को स्थानीय लोगों की चिंताओं और सियासत तथा सियासतदानों के बारे में उनकी निराशा का निदान करना होगा । इलाके में एक ही सरकारी अस्पताल है जहां मरीज या उनके रिश्तेदार कभी डॉक्टरों को तलाशते हैं तो कभी दवाइयां ढूंढते हैं। आमिर नाम के एक शख्स ने बताया, 'अगर किसी व्यक्ति को यहां आपात स्थिति में इलाज की जरूरत पड़े तो उसकी इलाज से पहले ही मौत होने की संभावना है।'
आमिर अपनी 10 वर्षीया बेटी के पीलिया का इलाज कराने के लिए शहर से बाहर गए थे। उन्होंने कहा, 'हम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आते हैं लेकिन यहां मूल सुविधाओं का बहुत अभाव है। सियासतदान बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं करते हैं।' उन्होंने कहा कि मौजूदा सांसद ने यहां कोई विकास कार्य नहीं कराया। डॉक्टरों और अस्पताल की कमी एक फिक्र की बात है।
लोगों को अब तक नहीं मिला स्वास्थ्य कार्ड
रज्जो की गर्भवती बेटी की हालत गंभीर है और उसे तीन दिन पहले जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन डॉक्टरों ने अब तक उसकी जांच नहीं की। 65 साल की बुजुर्ग ने रोते हुए कहा, 'वे कहते हैं कि उसकी जांच करने के लिए महिला रोग विशेषज्ञ नहीं है। वे अब हमें दिल्ली जाने के लिए कह रहे हैं। मैं इस हालत में उसे कैसे ले जाऊं?' सरकार ने आयुष्मान भारत के तहत प्रति परिवार पांच लाख रुपये के इलाज की सुविधा देने की योजना शुरू की है लेकिन लोगों का कहना है कि उन्हें अब तक स्वास्थ्य कार्ड नहीं मिला है।
'सरकार ने कुछ नहीं किया'
कयामपुर गांव की रहने वाली हाजरा ने बताया, 'हमने सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत पांच महीने पहले फॉर्म भरा था लेकिन हमारे पास स्वास्थ्य कार्ड को लेकर कोई जानकारी नहीं है।' मिठाई की दुकान चलाने वाले राम सिंह का कहना है, 'यहां हर तरफ गंदगी है जिसके कारण सांस लेना मुश्किल है। यहां कोई शौचालय नहीं है और मौजूदा सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं किया है।'
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत शहर में चार दिन बाद मतदान होना है और सभी प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जोर-शोर से जुटे हैं, लेकिन मूलभूत समस्याओं की अनदेखी को लेकर लोग खफा हैं। यह शहर स्वास्थ्य सुविधाओं, स्वच्छता और बिजली की कमी की दुखद कहानी बयां करता है। 50,000 की आबादी वाले शहर में 11 अप्रैल को मतदान होगा। यहां मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सत्यपाल सिंह और समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के उम्मीदवार जयंत चौधरी के बीच है।
सरकारी अस्पताल में नहीं मिलते डॉक्टर
बागपत सीट से फिर से किस्मत आज़मा रहे सिंह को भरोसा है कि लोग उन्हें दोबारा लोकसभा भेजेंगे जबकि आरएलडी नेता अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी पासा पलटने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। बहरहाल, दोनों ही उम्मीदवारों को स्थानीय लोगों की चिंताओं और सियासत तथा सियासतदानों के बारे में उनकी निराशा का निदान करना होगा । इलाके में एक ही सरकारी अस्पताल है जहां मरीज या उनके रिश्तेदार कभी डॉक्टरों को तलाशते हैं तो कभी दवाइयां ढूंढते हैं। आमिर नाम के एक शख्स ने बताया, 'अगर किसी व्यक्ति को यहां आपात स्थिति में इलाज की जरूरत पड़े तो उसकी इलाज से पहले ही मौत होने की संभावना है।'
आमिर अपनी 10 वर्षीया बेटी के पीलिया का इलाज कराने के लिए शहर से बाहर गए थे। उन्होंने कहा, 'हम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आते हैं लेकिन यहां मूल सुविधाओं का बहुत अभाव है। सियासतदान बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन उन्हें पूरा नहीं करते हैं।' उन्होंने कहा कि मौजूदा सांसद ने यहां कोई विकास कार्य नहीं कराया। डॉक्टरों और अस्पताल की कमी एक फिक्र की बात है।
लोगों को अब तक नहीं मिला स्वास्थ्य कार्ड
रज्जो की गर्भवती बेटी की हालत गंभीर है और उसे तीन दिन पहले जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन डॉक्टरों ने अब तक उसकी जांच नहीं की। 65 साल की बुजुर्ग ने रोते हुए कहा, 'वे कहते हैं कि उसकी जांच करने के लिए महिला रोग विशेषज्ञ नहीं है। वे अब हमें दिल्ली जाने के लिए कह रहे हैं। मैं इस हालत में उसे कैसे ले जाऊं?' सरकार ने आयुष्मान भारत के तहत प्रति परिवार पांच लाख रुपये के इलाज की सुविधा देने की योजना शुरू की है लेकिन लोगों का कहना है कि उन्हें अब तक स्वास्थ्य कार्ड नहीं मिला है।
'सरकार ने कुछ नहीं किया'
कयामपुर गांव की रहने वाली हाजरा ने बताया, 'हमने सरकार की स्वास्थ्य योजना के तहत पांच महीने पहले फॉर्म भरा था लेकिन हमारे पास स्वास्थ्य कार्ड को लेकर कोई जानकारी नहीं है।' मिठाई की दुकान चलाने वाले राम सिंह का कहना है, 'यहां हर तरफ गंदगी है जिसके कारण सांस लेना मुश्किल है। यहां कोई शौचालय नहीं है और मौजूदा सरकार ने हमारे लिए कुछ नहीं किया है।'